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2700 प्रवासियों को लेकर महाराष्ट्र से पहुंची दो श्रमिक स्पेशल ट्रेन

लॉक डाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों को सोमवार को महाराष्ट्र के बांद्रा रेलवे स्टेशन से चली श्रमिक स्पेशल एक्सप्रेस से 193

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 May 2020 08:06 PM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 06:10 AM (IST)
2700 प्रवासियों को लेकर महाराष्ट्र से पहुंची दो श्रमिक स्पेशल ट्रेन
2700 प्रवासियों को लेकर महाराष्ट्र से पहुंची दो श्रमिक स्पेशल ट्रेन

सरिया (गिरिडीह) : लॉकडाउन के कारण महाराष्ट्र में फंसे प्रवासी मजदूरों को लेकर सोमवार को पहली बार दो श्रमिक स्पेशल ट्रेन हजारीबाग रोड स्टेशन पहुंची। दोनों ट्रेनों से करीब 2738 प्रवासी मजूदर लौटे हैं, जो गिरिडीह के अलावा अन्य जिलों के श्रमिक हैं। दोनों ट्रेने अलग-अलग समय में यहां पहुंची।

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महाराष्ट्र के बांद्रा रेलवे स्टेशन से 1938 प्रवासी मजदूरों को लेकर चली श्रमिक स्पेशल एक्सप्रेस हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन शाम लगभग पांच बजे पहुंची। मजदूरों को सुरक्षित उनके गृह प्रखंड पहुंचाने के लिए उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा के नेतृत्व में प्रतिनियुक्त अधिकारियों व कर्मचारियों ने अपने कर्तव्य का निर्वहन किया। उक्त ट्रेन के प्लेटफॉर्म नंबर एक पर रुकते ही ड्यूटी पर तैनात सभी पुलिस अधिकारी व कर्मी ने शारीरिक दूरी का पालन कराते एक-एक कर प्रवासी मजदूर को ट्रेन के डिब्बे से उतरने में सहयोग किया। रेलवे प्लेटफार्म पर बनाए गए मानक घेरे में सभी मजदूर खड़े रहे। उन्हें स्वास्थ्य जांच के लिए प्लेटफार्म के बाहर स्वास्थ्य शिविर ले जाया गया।

उक्त श्रमिक स्पेशल ट्रेन (गाड़ी संख्या 1037) से गिरिडीह के 460, हजारीबाग के 246, कोडरमा के 177, चतरा के 123, जमशेदपुर के 123, रांची के 123, बोकारो के 83, साहिबगंज के 69, सिमडेगा के 51,पलामू के 43, धनबाद के 32, गुमला के 32, लातेहार के 28, पश्चिम सिंहभूम के 27, देवघर के 23, हटिया के 26, गोड्डा के 23, गढ़वा के 21, जामताड़ा के 17, मधुपुर के 17, सिंहभूम के 12 तथा दुमका के 29 प्रवासी मजदूर पहुंचे। वहां उन्हें उनके गृह जिला तथा प्रखंड पहुंचाने को कई बसों में सवार कर प्रस्थान कराया गया। इस बीच उन्हें नाश्ते के पैकेट व पानी बोतल उपलब्ध कराए गए। ट्रेन के आने की सूचना को लेकर पूरे सरिया बाजार में क‌र्फ्यू सा माहौल रहा। सुबह से ही आवश्यक वस्तुओं को छोड़ सभी दुकानें व मकान बंद रहे। स्थानीय लोग अपने-अपने घरों के अंदर रहे व पुलिस पेट्रोलिग करती रही।

दूसरी ट्रेन रात करीब दस बजे पहुंची। उस ट्रेन से करीब 800 मजदूर वापस आए हैं। ये मजदूर भी गिरिडीह के अलावा अन्य जिलों के हैं।

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यात्रियों के आने का इंतजार कर रहे थे अधिकारी

बिरनी : श्रमिक स्पेशल ट्रेन से महाराष्ट्र से आ रहे प्रवासी मजदूरों को रिसीव करने सोमवार सुबह से ही बिरनी बीडीओ संतोष कुमार गुप्ता, सीओ संदीप मधेशिया तथा दंडाधिकारी राजेश कुमार लिडा हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन में इंतजार कर रहे थे। वहां मौजूद सभी अधिकारियों की नजर सिर्फ रेल पटरी पर ही टिकी थी। जेठ माह व रोहन नक्षत्र की चिलचिलाती धूप व भीषण गर्मी में अधिकारी व कर्मी बेचैन हो रहे थे। स्टेशन में बैठने व प्याऊ की व्यवस्था थी, लेकिन अधिकारी कहीं भी बैठने से डर रहे थे। कोरोना के भय से सभी चितित थे। फिर भी वे निर्भीक होकर अपना फर्ज निभाने के लिए लगे हुए थे। बीडीओ ने कहा कि ट्रेन से आने वाले मजदूरों को गृह जिला पहुंचाने के लिए दंडाधिकारी व पुलिस बल के साथ वाहन की व्यवस्था की गई थी। ट्रेन से उतरते ही सभी प्रवासियों की सबसे पहले स्वास्थ्य जांच कराई गई। उसके बाद उन्हें गृह जिला के लिए बस से रवाना किया गया।

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प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्य भेजने की होगी व्यवस्था: उपायुक्त

सरिया : महाराष्ट्र के बांद्रा रेलवे स्टेशन से हजारीबाग रोड स्टेशन पहुंची श्रमिक स्पेशल ट्रेन में झारखंड के अलावा बिहार व बंगाल के भी सैकड़ों प्रवासी मजदूर शामिल हैं जिन्हें उनके प्रदेश तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाएगी। ये बातें उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने पत्रकारों से कहीं। कहा कि यह ट्रेन खासकर मुंबई में फंसे झारखंड के प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए चलाई गई थी। इसमें सिर्फ झारखंड के मजदूरों को ही सवार होना था, लेकिन ट्रेन में बंगाल के 400 तथा बिहार के 400 प्रवासी मजदूर भी चढ़ गए। वे सोमवार की शाम हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन में उतर गए हैं। फिलहाल झारखंड के मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने को प्रतिनियुक्त अधिकारी व कर्मचारी लगे हुए हैं। उन्हें गंतव्य तक प्रस्थान कराने के बाद बंगाल व बिहार के आए सभी 800 मजदूरों को भी उनके गृह जिला तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाएगी।

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प्रशासन ने फूल देकर प्रवासी मजदूरों का किया स्वागत

सरिया : सोमवार को महाराष्ट्र के बांद्रा से 1938 प्रवासी मजदूरों को लेकर झारखंड के गिरिडीह जिले में पहली ट्रेन शाम को पांच बजे पहुंची। ट्रेन के पहुंचते ही जिला प्रशासन सक्रिय होकर ट्रेन से सबसे पहले गिरिडीह जिले के यात्रियों को उतरवाकर शारीरिक दूरी का पालन करवाते हुए थर्मल स्क्रीनिंग करते हुए नाश्ते का पैकेट, पानी एवं जिले में स्वागत को लेकर हाथों में गुलाब का फूल देते हुए नजर आए। उसके बाद सभी प्रवासी मजदूरों को सरिया इंटर कॉलेज लाया गया जहां पर सभी लोगों का रजिस्ट्रेशन के पश्चात विभाग द्वारा व्यवस्थित गाड़ियों के माध्यम से सभी को संबंधित प्रखंडों की ओर भेज दिया गया। उक्त व्यवस्था की जिम्मेवारी सरिया के अनुमंडल पदाधिकारी रामकुमार मंडल, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी विनोद कुमार महतो, व सरिया के बीडीओ देख रहे थे। इस मौके पर स्थानीय प्रशासन द्वारा यहां पानी आदि की भी व्यवस्था की गई थी। सभी लोग कतारबद्ध होकर अपना रजिस्ट्रेशन करवाकर हाथों में होम क्वारंटाइन की मुहर लगाकर अपने निर्धारित गाड़ियों में बैठते हुए नजर आए। सारा कार्य शांतिपूर्ण ढंग से होता दिखा लेकिन एक अतिरिक्त ट्रेन हजारीबाग रोड स्टेशन पहुंचने के बाद प्रशासन परेशानी तो झेलनी पड़ी। सभी अधिकारियों के चेहरे पर चिता की लकीर दिख रही थी, लेकिन पहले ट्रेन को सभी लोगों ने शांतिपूर्वक निपटा दिया।

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जिसका था इंतजार उसका नहीं हुआ दीदार

सरिया (गिरिडीह): दो दिनों से जिला प्रशासन द्वारा प्रवासी मजदूरों के उनके घर तक पहुंचाने को लेकर तैयारियां चल रही थीं। प्रशासन को जो सूचना मिली थी उसके अनुसार ट्रेन संख्या 7315 महाराष्ट्र के पनवेल से हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन सोमवार की सुबह 9:00 बजे तक पहुंचनेवाली थी। अधिकारी भी समय पर पहुंचकर ट्रेन का इंतजार करने लगे। कुछ देर के लिए तो ट्रेन का अता पता ही चल नहीं पाया। रेलवे प्रशासन के पास भी कोई मुकम्मल सूचना नहीं थी। अचानक 11 बजे रेलवे प्रशासन को सूचना मिली कि हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन पहुंचनेवाली ट्रेन का रूट नागपुर से परिवर्तित कर दिया गया है। पूर्व में यह ट्रेन झाड़सुगुड़ा राहुलकेला होकर आनी थी, लेकिन बाद में इसे इलाहाबाद बनारस होते हुए मार्ग परिवर्तित कर दिया गया। ट्रेन महाराष्ट्र से ही 2 घंटे विलंब से खुली एवं रास्ते में विलंब होने के कारण सुबह नौ बजे पहुंचनेवाली ट्रेन रात को नौ बजे हजारीबाग रोड स्टेशन पहुंचेगी। इसी बीच दोपहर एक बजे स्थानीय प्रशासन को एक और सूचना प्राप्त हुई जिसके तहत महाराष्ट्र के बांद्रा से चलकर गिरिडीह रेलवे स्टेशन पहुंचने वाली ट्रेन का रूट परिवर्तित कर हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन में लाने का निर्णय रेलवे प्रशासन द्वारा लिया गया है। अचानक लगभग 1938 और यात्रियों के हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन पर पहुंचने की सूचना के बाद स्थानीय प्रशासन की व्यवस्था को लेकर चितित देखा गया। पूर्व में जिला प्रशासन द्वारा मात्र 800 यात्रियों के नाश्ता व वाहन की व्यवस्था की गई थी। इस दौरान यह भी चर्चा सुनने को मिली कि जिस ट्रेन का इंतजार सुबह नौ बजे से किया जा रहा था वही बाद में पहुंचेगी और जिसे नहीं पहुंचना था वह पहले आ पहुंची। अचानक इतने प्रवासी मजदूरों के पहुंचने के बाद थोड़ी बहुत अव्यवस्था तो देखने को मिली लेकिन स्थानीय प्रशासन व जिला प्रशासन की भी तारीफ करनी होगी कि सारा कार्य शांतिपूर्ण ढंग से निपटाने का कोशिश की जाती रही।

टिकट का भाड़ा भी नहीं लगा, खाने की भी मिली व्यवस्था : मुंबई के बांद्रा से चलकर हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन पहुंची पहली ट्रेन के यात्रियों ने बताया कि बंगाल व बिहार के लोगों को जबरन मुंबई में चढ़ा दिया गया एवं शारीरिक दूरी के नियमों का भी पालन नहीं करवाया जा रहा है। प्रशासन द्वारा समय पर नाश्ता पानी नहीं मिलने की शिकायत की जबकि इसी ट्रेन में सवार बगोदर के पप्पू कुमार व टिकू कुमार ने बताया कि मुंबई में उनलोगों ने रजिस्ट्रेशन करवाया। रेलवे ने 740 रुपये का टिकट भी दिया लेकिन हम लोगों से कहीं नगदी भाड़ा के रूप में नहीं लिया गया। साथ ही, रेल प्रशासन द्वारा इस रूट में पड़नेवाले बड़ी बड़े स्टेशनों पर नाश्ते के पैकेट, पानी के बोतल आदि की भी व्यवस्था दी जा रही थी। छोटे-छोटे बच्चों को लेकर अपने घर पहुंचनेवाले प्रवासी मजदूरों के चेहरे से चिता की लकीरें दिख रही थीं। कई मजदूरों ने कहा कि अब हम अपने प्रदेश में ही रहकर रोजी रोजगार की तलाश करेंगे और कभी महानगरों की ओर रुख नहीं करेंगे। कहा कि स्थानीय राज्य प्रशासन भी लोगों को रोजगार मुहैया करने में सहयोग करे। हम लोग कोई शौक से परदेस काम करने के लिए नहीं जाते हैं। हम लोगों के पास भी घर एवं परिवार चलाने की मजबूरी होती है जिस कारण हम लोग मुंबई व दिल्ली जैसे शहरों में जाकर मजदूरी करते हैं।


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