पार्कों का लुत्फ उठाना है तो आइए गिरिडीह
म ने शहर में करोड़ों की लागत से बनाए हैं कई पार्क प्रतिदिन सैकड़ों लोग उठाते लुत्फ जागरण संवाददाता गिरिडीह इस भागदौड़ की जिदगी में मनोरंजन और आराम जरूरी है। आराम से शारीरिक थकावट दूर होती है तो मनोरंजन त
गिरिडीह : इस भागदौड़ की जिदगी में मनोरंजन और आराम जरूरी है। आराम से शारीरिक थकावट दूर होती है, तो मनोरंजन तनाव, मानसिक परेशानी, चिता आदि को दूर करने का अच्छा माध्यम है। आराम और मनोरंजन के बाद लोग नए जोश और उमंग के साथ अपने काम में लगते हैं, लेकिन मनोरंजन के साधनों की कमी शहरवासियों लंबे समय से खलती रही थी। नगर निगम ने लोगों की इस परेशानी को समझा और इसे दूर करने की दिशा पहल शुरू की। इसी का परिणाम है कि आज गिरिडीह शहर अत्याधुनिक सुविधाओं और संसाधनों से लैस कई पार्कों से सुसज्जित हो गया है, जहां प्रति दिन हजारों लोग सैर-सपाटा और मनोरंजन के लिए पहुंचते हैं।
शहीद सीताराम पार्क :
नगर भवन के बगल में शहीद सीताराम पार्क का निर्माण कराया गया है। शहर का पहला पार्क यही है। यहां मनोरंजन के कई साधन मौजूद हैं। तरह-तरह के झूले लगे हैं, जो बच्चों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं, वहीं आकर्षक कलाकृतियां और तरह-तरह के फूल-पौधे यहां आने वाले हर किसी को लुभाते हैं। प्रतिदिन इस पार्क में सैकड़ों लोग आकर सुकून के दो पल बिताते और मानसिक तनाव को दूर करते हैं।
ग्रीन पार्क :
बरमसिया में साईं मंदिर के सामने ग्रीन पार्क स्थित है। एक करोड़ रुपये से अधिक की लागत से इस पार्क का निर्माण कराकर नगर निगम ने दो जुलाई को शहरवासियों को सुपुर्द किया है। तब से यहां सुबह-शाम महिला-पुरुषों, बुजुर्गों और बच्चों की भीड़ लगी रहती है। सभी वर्ग के लोग यहां मनोरंजन करने और पार्क का आनंद लेने आते हैं। प्रति दिन 500 से अधिक लोग यहां आकर सैर-सपाटा करते हैं। पार्क में वोटिग के साथ-साथ कई तरह के झूले की व्यवस्था है। रात में जब आकर्षक रोशनी के बीच तालाब के बीच पानी का फव्वारा छूटता है, तो यह नजारा देखते ही बनता है। यह किसी फिल्मी दृश्य से कम नहीं लगता। यही वजह है कि सैर-सपाटा करने के साथ-साथ लोग यहां पार्टी मनाने भी पहुंचते हैं।
शहर के लिए है बड़ी उपलब्धि :
उक्त दोनों पार्कों के अलावा शास्त्री नगर और झगरी में भी पार्क का निर्माण कराया गया है। इसे लेकर शहर के लिए बड़ी उपलब्धि बताते हैं। लखन बरनवाल ने कहा कि कुछ साल पहले तक शहर में न कोई पार्क था और न ही मनोरंजन का कोई दूसरा साधन, जिससे खासकर छुट्टी के दिनों में समय बिताना काफी मुश्किल हो जाता था। लोग चाहकर भी बाल-बच्चों के साथ कहीं घूमने नहीं जा पाते थे।
एहसान आलम ने कहा कि गिरिडीह जैसे शहर में पार्क संस्कृति का विकसित होना अच्छी बात है। इससे शहर की शान भी बढ़ती है।
छात्रा प्रिया कुमारी ने कहा कि पहले कहीं घूमने जाने के लिए सोचना पड़ता था, लेकिन अब जब मन करता है दोस्तों और परिवार वालों के साथ पार्कों में जाकर मौज-मस्ती करती है।