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नवजात की अटकती सांसों को मिलेगी जिंदगी

जागरण संवाददाता, गिरिडीह : गंभीर रूप से बीमार नवजात शिशुओं की जान अब सांसत में नहीं फंसेगी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 26 Sep 2018 10:53 AM (IST)Updated: Wed, 26 Sep 2018 10:53 AM (IST)
नवजात की अटकती सांसों को मिलेगी जिंदगी
नवजात की अटकती सांसों को मिलेगी जिंदगी

जागरण संवाददाता, गिरिडीह :

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गंभीर रूप से बीमार नवजात शिशुओं की जान अब सांसत में नहीं रहेगी। इनका गिरिडीह में ही बेहतर इलाज हो सकेगा। शिशुओं को नई ¨जदगी देने के लिए बने सिक न्यू बोर्न यूनिट (नियोनेटल) को स्वास्थ्य विभाग करीब एक साल बाद गुरुवार को चालू करेगा। इसे शुरू कराने को दैनिक जागरण ने प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया था। सब कुछ होते हुए भी इसके चालू नहीं होने की जानकारी मिलने पर उपायुक्त नेहा अरोड़ा ने कदम बढ़ा दिया।

यूनिसेफ के नवजात शिशु मामले के स्टेट कोऑर्डिनेटर डॉ. तालपात्रा ने हाल में इसका निरीक्षण कर स्वास्थ्य सचिव को रिपोर्ट दी थी। डीसी नेहा अरोड़ा ने मंगलवार को बताया कि नियोनेटल को दो दिनों में चालू कर देंगे। कहा कि सदर अस्पताल में संचालित महिला विभाग एवं शिशु विभाग के वाह्य एवं अंत: विभाग को 27 सितंबर को चैताडीह के नवनिर्मित भवन में शिफ्ट कराया जाएगा। प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है। सफाई का काम चल रहा है। बुधवार से वार्ड के बेड, पैथोलोजी, फार्मेसी व अन्य संसाधनों को पहुंचाना शुरू करेंगे। चैताडीह में इसको शिफ्ट कराए जाने के बाद प्रसव के साथ ही महिलाओं के लिए ओपीडी एवं शिशुओं का वाह्य उपचार भी होगा। इससे संस्थागत प्रसव की संख्या बढ़ेगी।

12 बेड की यूनिट, मां के लिए अलग वार्ड:

यहां शानदार भवन के साथ कई अत्याधुनिक मशीनें एक साल पूर्व ही सरकार ने उपलब्ध करा दी थीं। बावजूद इच्छाशक्ति के अभाव में नवजात शिशुओं को नई ¨जदगी देने वाली यह यूनिट चालू नहीं हो रही थी। राज्य सरकार ने नवजात शिशुओं के लिए गिरिडीह समेत सूबे के 18 जिलों में अत्याधुनिक सिक न्यू बोर्न यूनिट खोलने का निर्णय लिया था। डॉक्टरों व चिकित्साकर्मियों को इसके लिए प्रशिक्षण भी दिया गया। गिरिडीह ही एकमात्र जिला है, जहां यह यूनिट आज तक चालू नहीं हो सकी थी। जबकि चैताडीह में इसके लिए करोड़ों रुपये खर्च कर आलीशान भवन बनाया गया है। यह यूनिट 12 बेड की है। नवजात की मां के लिए अलग से वार्ड बनाया गया है। गिरिडीह में अब तक कहीं भी नियोनेटल यूनिट नहीं थी। इस कारण रोज जिले में जन्म लेने वाले आधा दर्जन से अधिक नवजात शिशुओं को नियोनेटल में रखने के लिए धनबाद, बोकारो एवं रांची रेफर किया जाता था। प्रसव के बाद माता गिरिडीह के अस्पताल में भर्ती रहती है और उनका नवजात दूसरे शहर के नियोनेटल में।

इन बीमारियों का होगा इलाज:

समय से पूर्व जन्म लेने वाले शिशु जिनका वजन काफी कम होता है, वैसे शिशु जो जन्म लेने के साथ ही पीलिया से पीड़ित होते हैं, जिन्हें सांस लेने में तकलीफ होती है जैसी समस्याओं से जूझने वाले शिशुओं को नियोनेटल में रखकर इलाज किया जाता है।

नियोनेटल में ये मशीनें उपलब्ध :

नवजात के शरीर को माता के गर्भ का तापमान देने के लिए रेडिएंट वार्मर, हृदय की धड़कन व ऑक्सीजन की मात्रा मापने के लिए पल्स ऑक्सीमीटर, इनफ्यूजर पंप, पीलिया के इलाज के लिए फोटो थेरेपी, बिना किसी बाहरी स्रोत के हवा से ऑक्सीजन तैयार करने के लिए ऑक्सीजन केनसिफेटो मशीन यहां लगी है।


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