राशन कार्ड बेकार, अनाज को मचा हाहाकार
कोरोना संकट में कोई भूखा न रहे इसके लिए सरकार सभी जरूरतमंद परिवारों को अनाज उपलब्ध करा रही है। राशन कार्ड नहीं रहने के बावजूद गरीब और जरूरमंद लोगों को अनाज देने का निर्देश सरकार ने दिया है लेकिन पीरटांड़ में एक ऐसा गांव है जहां के लोगों के पास राशन कार्ड रहने के बाद भी अनाज नहीं मिल रहा है।
सिकंदर सिंह, पीरटांड़ (गिरिडीह) : कोरोना संकट में कोई भूखा न रहे, इसके लिए सरकार सभी जरूरतमंद परिवारों को अनाज उपलब्ध करा रही है। राशन कार्ड नहीं रहने के बावजूद गरीब और जरूरतमंद लोगों को अनाज देने का निर्देश सरकार ने दिया है, लेकिन पीरटांड़ में एक ऐसा गांव है जहां के लोगों के पास राशन कार्ड रहने के बाद भी अनाज नहीं मिल रहा है। इसके अलावा गांव में कई अन्य समस्याएं भी विराजमान हैं। समस्याओं में जकड़े यहां के ग्रामीणों की स्थिति देख लगता है कि भारत आजाद ही नहीं हुआ हो। हम बात कर रहे हैं प्रखंड के बदगावां के टोले बसगदवा की।
जिस गांव के नाम से पंचायत है वहां समस्याओं का अंबार तो है ही उस गांव के कुछ टोलों में बिजली छोड़ किसी भी प्रकार का लाभ सही तरीके से नहीं पहुंच पा रहा है। प्रखंड मुख्यालय से लगभग 19 किमी दूर पारसनाथ पहाड़ की तलहटी में बसे बदगावां के बसगदवा गांव की कहानी से आपको रूबरू कराते हैं। इस टोले में बाइक से जाने पर भी बहुत परेशानी हुई। वहां जाने को पगडंडीनुमा रास्ता था। पगडंडियों के सहारे पहुंचने पर एक कटहल के पेड़ के नीचे बांस की सामग्री बनाती कुछ महिलाएं दिखीं। वहां पहुंचते ही महिलाएं बांस के बर्तन बनाना छोड़ खड़ी हो गईं। एक जन वितरण दुकानदार चुन्नीलाल महतो साथ में थे। बात होते-होते वहां लगभग सौ लोग उसी कटहल पेड़ के नीचे पहुंच गए। सभी को लगा कि उनलोगों के लिए कोई मसीहा आ गया हो। कुछ लोग तो ऐसे रुतबे के साथ पहुंचे कि वहां कोई मीडिया कर्मी नहीं, बल्कि कोई अधिकारी पहुंचा हो। उन्होंने वहां जमकर अपनी भड़ास निकालनी शुरू कर दी। भड़ास निकलना भी लाजिमी था। इस गांव के एक-दो लोगों को छोड़ दें तो कुल 82 लोगों को चार साल पहले राशन कार्ड तो मिला है लेकिन अनाज नहीं मिल रहा है। ये लोग स्थानीय डीलर पर दबाव बना रहे थे। मुखिया गिरिजा शंकर महतो के पास भी पहुंचे थे लेकिन लॉकडाउन जैसे समय में इन्हें अनाज नहीं मिलने पर समझा जा सकता है कि पीरटांड़ के विकास का सच क्या है और यहां के अधिकारी व जनप्रतिनिधि कितने सच्चे सेवक हैं। बात कुछ लोगों की सुनने की हो रही थी लेकिन सभी लोग शोर मचा रहे थे। उसी तरह की स्थिति नावाटांड़ टोले की भी थी। कुछ समझदार लोगों ने उन्हें पत्रकार की हकीकत बताते हुए उन्हें उनकी बातों को सरकार तक पहुंचाने वाला संदेशवाहक बताया।
अधिकतर लोगों का राशन कार्ड डिलीट : बसगदवा टोले की बात करें तो वहां आपूर्ति विभाग की करतूत देख लीजिए। पूरे गांव के अधिकतर लोगों का राशन कार्ड डिलीट है। लाल व पीला कार्ड दोनों हैं पर लगभग चार साल से उन्हें अनाज नहीं मिल रहा है। लगभग 82 लोग हैं।
माता-पिता वंचित, बच्चे को मिल रहा अनाज
एक बच्चे का राशन कार्ड है और उसे अनाज भी मिल रहा है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब उसकी उम्र अभी लगभग छह साल है तो जब उसका कार्ड बना होगा तब उसकी उम्र कितनी होगी। अब सवाल उठ रहा है कि आपूर्ति विभाग ने बच्चे का किस तरीके से कार्ड बना दिया। उसके मातापिता का कार्ड नहीं है लेकिन छह वर्षीय इस बच्चे को पांच किलो चावल मिल रहा है। इसी टोला के चांदो लाल मुर्मू, लछु मरांडी, चुड़का मांझी, प्रभु राम मुर्मू, बीरालाल किस्कू, भदरु मांझी, माइको देवी, दर्शनी देवी, गुड्डा मुर्मू, बिरासमुनी कुमारी आदि ने बताया कि वोट देने को सब कहते हैं पर इस गांव की ओर कोई ध्यान नहीं देते। इधर मनरेगा बीपीओ मनोज कुमार ने बताया कि तत्काल उस टोले में मनरेगा के तहत डोभा का निर्माण चालू कराया जाएगा।
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अनाज से वंचित रह रहे उक्त गांव के लोगों को तत्काल 10-10 किलो अनाज दिया जाएगा। गांव की अन्य समस्याओं का भी समाधान किया जाएगा। राशन कार्ड रहने के बावजूद अनाज क्यों नहीं मिल रहा है, इसकी भी जांच की जाएगी।
समीर अल्फ्रेड मुर्मू, बीडीओ
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133 राशन कार्ड डिलीट होने का मामला सामने आया है। इसकी जांच चल रही है। लॉकडाउन के बाद सभी का राशन कार्ड बनाया जाएगा।
अजय कुमार, एमओ