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मुफ्त की रोटी तोड़ रहे सेंट्रल जेल के सजायाफ्ता

जागरण संवाददाता, गिरिडीह: जेल मैनुअल के अनुसार, वैसे सजायाफ्ता जिन्हें कम से कम तीन साल का

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 Sep 2018 08:01 PM (IST)Updated: Sat, 01 Sep 2018 08:01 PM (IST)
मुफ्त की रोटी तोड़ रहे सेंट्रल जेल के सजायाफ्ता
मुफ्त की रोटी तोड़ रहे सेंट्रल जेल के सजायाफ्ता

जागरण संवाददाता, गिरिडीह: जेल मैनुअल के अनुसार, वैसे सजायाफ्ता जिन्हें कम से कम तीन साल कारावास हुई है, उन्हें जेल के अंदर कुछ न कुछ काम करना है। इसके बदले उन्हें मजदूरी मिलती है। जेल से रिहा होने के बाद ये इस मजदूरी को अपने साथ ले जाते हैं।

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फिल्म अभिनेता संजय दत्त ने आ‌र्म्स एक्ट के मामले में सजा काटने के दौरान पुणे के यरवडा जेल में मजदूरी की थी। उम्रकैद की सजा भोग रहे आसाराम लुधियाना जेल में पेड़-पौधों को पानी दे रहे हैं, लेकिन गिरिडीह जेल में बंद 60 से अधिक सजायाफ्ता खुशकिस्मत हैं कि उन्हें कोई काम करना नहीं पड़ रहा है। वे आराम से मुफ्त में जेल की रोटी तोड़ रहे हैं। इन बंदियों में बिहार के बाहुबली राजद नेता व पूर्व सांसद प्रभुनाथ ¨सह एवं उनका भाई दीनानाथ भी शामिल हैं। दोनों भाई हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। वे जमशेदपुर जेल से यहां लाए गए हैं। मंडल कारा से अपडेट होकर बना सेंट्रल जेल: वैसे इसमें इन बंदियों का कोई कसूर नहीं है। दरअसल गिरिडीह सेंट्रल जेल के पास इन बंदियों से कराने लायक कोई काम ही नहीं है। सरकार ने गिरिडीह मंडल कारा को अपग्रेड कर इसी साल 17 जनवरी को सेंट्रल जेल बना दिया। सेंट्रल जेल का दर्जा मिलने के साथ ही हजारीबाग, जमशेदपुर समेत अन्य जेलों से सजायाफ्ता बंदियों को यहां लाया गया। कुल मिलाकर सात सौ से अधिक लोग गिरिडीह सेंट्रल जेल में बंद हैं। सेंट्रल जेल के लिए जितनी जमीन चाहिए, वह इसके पास नहीं है। हालांकि गिरिडीह जेल के पास फिलहाल चार से पांच एकड़ अतिरिक्त जमीन है लेकिन उससे काम नहीं होगा।

अतिरिक्त जमीन देने के लिए सरकार की ओर से अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। एक जगह 50 से एकड़ से अधिक जमीन चाहिए जिसकी तलाश चल रही है। लेकिन यह अभी बहुत दूर की बात है। तब तक यहां बंद सजायाफ्ता कैदियों की पौ बारह है।

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संसाधनों के अभाव में सजायाफ्ता बंदियों से काम नहीं लिया जा रहा है। सेंट्रल जेल के हिसाब से अभी आधुनिकीकरण नहीं हो सका है। लेकिन शीघ्र ही आधुनिकीकरण का कार्य शुरू होगा। दिल्ली की एक कंपनी को 15 दिनों के अंदर इसके लिए डीपीआर बनाने का निर्देश दिया गया है। डीपीआर के बाद आधुनिकीकरण व विस्तारीकरण का कार्य जमीन पर उतरेगा।

- मो. इसरायल, जेल अधीक्षक, सेंट्रल जेल गिरिडीह


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