मंत्री चंद्रमोहन को पराजित कर मुन्नालाल ने गाड़ा था झामुमो का झंडा
उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा जिसमें लगभग चार हजार मतों से वे हार गए। उक्त चुनाव में झारखंड विकास मोर्चा के उम्मीदवार निर्भय कुमार शाहाबादी ने बाजी मार ली। हालांकि अपने कार्यकाल में उन्होंने जनहित के कई कार्य किए। पेयजल की समस्या को दूर करने के लिए गांवों में डीप बोरिग के माध्यम से ग्रामीणों के घरों तक पानी पहुंचाने का कार्य किया।
अविनाश प्रसाद, गिरिडीह : झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की कर्मस्थली रही गिरिडीह में पहली बार विधायक के रूप में मुन्नालाल ने बाजी मारी थी। उन्होंने राज्य के तत्कालीन मंत्री चंद्रमोहन प्रसाद को शिकस्त देते हुए लगभग सात हजार वोटों से गिरिडीह विधानसभा पर कब्जा जमाया था। भाजपा के चंद्रमोहन प्रसाद वर्ष 1995 और 2000 में दो बार यहां का प्रतिनिधित्व कर चुके थे। 15 नवंबर 2000 को झारखंड का गठन होने के बाद बनी सरकार में उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिली थी। इसके बाद जब वर्ष 2005 में विस चुनाव की घोषणा की गई तो प्रसाद को पराजित करने के लिए शिबू सोरन ने उद्योगपति मुन्नालाल को मैदान में उतारा। इसे लेकर गुरुजी ने मुन्नालाल से बात की तो उन्होंने जवाब दिया कि अगर उन्हें झामुमो से टिकट दिया गया तो वे इस सीट को जरूर निकाल लेंगे। आखिर उन्हें यहां से पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया। तब मुन्नालाल ने गांव-गांव का भ्रमण कर लोगों से मुलाकात की और उनकी समस्याओं को जानकर उसे दूर करने का आश्वासन दिया। माओवाद क्षेत्र पीरटांड़ के कई क्षेत्रों का भ्रमण कर लोगों से रूबरू हुए और उन्हें हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया। मुन्नालाल भाजपा प्रत्याशी चंद्रमोहन को हराने में सफल रहे। बाद में 2009 के चुनाव में नेतृत्व से मतभेद के कारण वे झामुमो के बजाय निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े। निर्दलीय होते हुए भी वे दूसरे नंबर पर रहे। लगभग चार हजार मतों से वे हार गए। उक्त चुनाव में झारखंड विकास मोर्चा के उम्मीदवार निर्भय कुमार शाहाबादी ने बाजी मार ली।