देश का सम्मान बढ़ा, अब नौकरियां भी बढ़े
जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है। शहर-कस्बों के माहौल में सियासत का रंग तीखा होता जा रहा है। चौक चौराहे पर पल- पल कभी किसी की सरकार बन रही है तो कभी किसी और की। चुनावी चर्चा बस स्टैण्ड से लेकर रेलवे स्टेशन तक पहुंच गई है। स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार कर रहे यात्री हों या ट्रेन में सवार होकर गन्तव्य स्टेशन तक का सफर। वक्त मिलते ही सियासत पर खुली चर्चा शुरू हो जाती है। कौन विधायक बन रहा? सरकार किसकी बन रही? किसकी जमानत जब्त
सतीश साहू, निमियाघाट : सुबह 9:15 बजे का समय। पारसनाथ रेलवे स्टेशन पर लोगों का हुजूम आनेवाली ट्रेन का इंतजार कर रहा है। 9:30 बजे आसनसोल से वाराणसी जानेवाली पैसेंजर ट्रेन का एनाउंसमेंट हुआ तो एक-दूसरे को ढकेलते हुए लोग ट्रेन की बोगी की ओर दौड़ने लगे। सभी को कोच में पहुंचकर सीट कब्जाने की हड़बड़ी थी। हमने भी दौड़ लगा दी। खैर ट्रेन आई और किसी तरह हम कोच के अंदर पहुंच गए। कोच में भीड़ अधिक नहीं थी, जिसे जहां जगह मिली उसने आसन जमा लिया। इलेक्शन एक्सप्रेस के लिए सफर कर चुनावी चर्चाओं को जाना। सफर के दौरान यात्रियों के बीच छिड़ी राजनीतिक बहस तेज हो गई। ज्यादातर यात्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल से संतुष्ट नजर आए। यह भी कहा कि देश का सम्मान तो सर्जिकल स्ट्राइक के बाद बढ़ा है किन्तु अब नौकरियां भी बढ़नी चाहिए। एक सज्जन ने मुद्दा उछालते हुए कहा कि कांग्रेस को तो वोट देने से कोई फायदा नहीं है। कांग्रेस ने 70 सालों में इस देश के लिए क्या किया? मोदी के आने के बाद कम से कम घोटाले तो बंद हो गए। दूसरे सज्जन उनकी हां में हां मिलाते हुए कहते हैं कि भाई यह बात तो है कि बीजेपी की सरकार में भ्रष्टाचार पर तो लगाम लग गई। अब किसी विभाग में काम के लिए जाओ तो पहले की तरह बाबुओं की जी-हुजूरी नहीं करनी पड़ती। पास में बैठे एक अन्य सज्जन ने भी उसकी हां में हां मिलाई। साथ ही कहा कि अभी इससे काम नहीं चलेगा। बहुत सुधार करना बाकी है। वीरेंद्र कुमार यादव मुखर होते हैं। दो टूक कहते हैं कि सभी सरकार के अपने-अपने एजेंडे होते हैं परंतु मौजूदा सरकार में काम दिखता है। रोटी, कपड़ा और मकान की जरूरतें पूरी हो रही है। सुशांत राज ने कहा कि आवश्यकताएं अनंत हैं। कोई जादू की छड़ी नहीं है कि सबकुछ पल में बदल जाए। इस सरकार ने महिलाओं को सम्मान दिया, गांव-गांव में शौचालय बनवाए, उज्ज्वला के जरिए लाखों घरों में सिलेंडर पहुंचा, घर घर बिजली पहुंची, गरीबों के मुफ्त इलाज के लिए आयुष्मान भारत शुरू किया। नंद किशोर साहू ने कहा कि चुनाव है भैया, वोट तो सभी मांगेंगे, पर देना उसे ही है जो हमारे लिए काम करे। उदय कुमार ने कहा कि चुनाव के इस मौसम में घोषणाएं खूब होती हैं व वादों की तो बरसात हो जाती है। वोट देने से पहले सोच समझकर ही बटन दबाना है। एक बार मौका चूक गए तो फिर पांच साल बाद मौका मिलेगा। रामदेव राम ने कहा कि क्षेत्र में समस्याओं की कमी नहीं है। हर कोई सिर्फ अपनी पीठ थपथपाता है। इस बार सोच समझकर वोट देंगे। जो हमारे लिए काम करनेवाला होगा, उसे ही हम चुनेंगे। गोपाल रवानी ने सादगी से कहा कि दो वक्त की रोटी मिल जाए यही हमारे लिए काफी है। यहां तो रोटी के लिए भी एड़ियां रगड़नी पड़ती हैं। इसे ही यदि विकास कहते हैं तो फिर हमारे यहां विकास कहां है? मालती देवी कहती हैं कि चुनाव के मौसम में महिलाओं के विकास की बात भी खूब करते हैं। महिला मंडल बना देने भर से विकास थोड़े हो जाता है। विकास करना ही है तो रोजगार का सृजन करना होगा। जो यह काम करेगा उसे ही हम वोट देंगे।
संगीता कुमारी बोलती हैं कि चुनाव है भैया, अपने वोट का सही इस्तेमाल करेंगे। वे किसी के बहकावे में आनेवाली नहीं हैं। नुसरत खातून भी सबकी बातों को सुनकर बोल उठी कि चुनाव में जीत और हार के बाद जो नेता नजर आ जाए, वही सही मायने में हमारा नेता है। यहां तो चुनाव जीतते ही लोग गायब हो जाते हैं। कोई हमारी सुनने भी नहीं आता।
प्रवीण कुमार कहते हैं कि चुनावी मौसम में झूठे वादों से काम नहीं चलनेवाला है। जो काम करेगा उसे ही वोट देंगे। वोटरों का मिजाज देखकर एहसास हो गया कि इस बार चुनाव में ठोस कामवाले को ही चुनने का मिजाज वोटर बना चुके हैं। कोई झूठ चलनेवाला नहीं है। हर हाल में वोटर सही फैसला ही करेंगे।