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मंदिर-मस्जिद की जगह हो विकास की बात

समय रविवार सुबह 1020 बजे। स्थान बस पड़ाव गिरिडीह। अपने-अपने गंतव्य की ओर जाने के लिए छोटे-बड़े दर्जनों वाहन खड़े थे। कुछ वाहन खुलने के लिए तैयार थे तो कुछ वाहनों में यात्रियों को बैठाया जा रहा था। सम्राट नामक बस भी अपने गंतव्य स्थान बो

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Nov 2019 05:37 PM (IST)Updated: Mon, 25 Nov 2019 06:16 AM (IST)
मंदिर-मस्जिद की जगह हो विकास की बात
मंदिर-मस्जिद की जगह हो विकास की बात

ज्ञान ज्योति, गिरिडीह : समय, रविवार सुबह 10:20 बजे। स्थान बस पड़ाव गिरिडीह। अपने-अपने गंतव्य की ओर जाने के लिए छोटे-बड़े दर्जनों वाहन खड़े थे। कुछ वाहन खुलने के लिए तैयार थे तो कुछ वाहनों में यात्रियों को बैठाया जा रहा था। सम्राट नामक बस भी अपने गंतव्य स्थान बोकारो के लिए खुलने ही वाली थी। मैं भी बस में सवार हो गया। सामने की एक सीट खाली थी। कंडक्टर ने बैठने के लिए कहा, लेकिन मैं जिस उद्देश्य से बस में चढ़ा था, वह बैठने से पूरा होने वाला नहीं था। एक नजर मैंने बस में बैठे यात्रियों पर डाला। महिला-पुरूष, बच्चे अपनी-अपनी सीट पर बैठे थे, तो कुछ यात्री खड़े भी थे। गिरिडीह, डुमरी, बोकारो, मधुपुर विधानसभा क्षेत्र के यात्री बस में सवार थे। सभी बस खुलने का इंतजार कर रहे थे। दूसरे नंबर की सीट पर असलम अंसारी बैठे थे। वह फुसरो जा रहे थे। उन्हीं से मैंने बातचीत शुरू की। बात जब चुनाव की हुई तो उनकी दिलचस्पी भी जगी। तपाक से कहते हैं मैं वोट तो उसी को दूंगा जो विकास करेगा। अब मंदिर-मस्जिद, जात-धर्म की राजनीति नहीं चलनेवाली है। विकास की बात करनेवाले को ही जनता पंसद करेगी, उन्हें विधानसभा भेजेगी। उन्हीं के बगल में बैठे जैनमोड़ जा रहे कामदेव रवानी ने भी उनके सुर में सुर मिलाया। कहा, चुनाव में केवल विकास और जनता से जुड़े मुद्दों पर ही बात हो तो अच्छा लगता है। बढि़या काम करनेवाले को ही मैं अपना वोट दूंगा।

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पीछे की सीट पर बैठे बोकारो जा रहे प्रयाग शर्मा चुनाव का नाम सुनते ही आवेश में आ जाते हैं। कहते हैं हर जगह चुनाव का माहौल गरमाने लगा है। नेता गली-गली घूमने लगे हैं, लेकिन इस चुनाव से जनता को हो रही परेशानी से किसी को कोई सरोकार नहीं है। बार-बार चुनाव होने से जनता को काफी नुकसान होता है, इसलिए देश में एक ही बार सभी तरह के चुनाव होने चाहिए। इसी बीच दूसरे यात्री रिंकू शर्मा कहते हैं चुनाव में जनता को नेता तरह-तरह के सब्जबाग दिखाते हैं, लेकिन जीतने के बाद उनका दर्शन दुर्लभ हो जाता है। अपने क्षेत्र के चुनावी माहौल पर कहा, वहां तो टक्कर भाजपा और कांग्रेस में होगी, लेकिन एक निर्दलीय प्रत्याशी की स्थिति भी दमदार है। बस में अधिवक्ता उमाशंकर प्रसाद भी थे। उन्हें चैनपुर तक ही जाना था, सो वह बस पर खड़े ही थे। वह भी इस चर्चा में भाग लेने से खुद को नहीं रोक सके। कहा, राज्य में चुनाव का माहौल है। वोट और विकास की बातें हो रही हैं। हमारे क्षेत्र के विधायक भी विकास करने में पीछे नहीं रहे हैं। उन्होंने पुल-पुलिया, सड़क, शौचालय, स्कूल का निर्माण कराकर उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में विकास की बयार बहाई है। भाजपा सरकार में काम दिख रहा है। उनकी बात समाप्त होने के बाद नावाडीह जा रहे कमर मिसवाही शायराना अंदाज में अपनी राय देते हैं। वह कहते हैं वतन की सरजमीं को अमल का दर्पण बनाना है। जो शाखें नीम की हैं उन्हें अब चंदन बनाना है। हमें जल्दी निकालो मस्जिद और मंदिर के झगड़े से, हमें बच्चों के मुस्तकबिल को रोशन बनाना है। अपनी बारी आने पर बोकारो जा रहे मधुपुर के जीएम मिस्त्री कहते हैं, सरकार ने काम तो बहुत किया है, लेकिन सकारात्मक सोच के साथ सृजनात्मक काम होना चाहिए। सभी सरकारें पुराने ढर्रे पर ही चलती हैं। कुछ नया नहीं होता है। उन्होंने अपने क्षेत्र के विधायक के कार्यों पर संतोष जताया। कहा, विधायक ने काफी काम किए हैं। क्षेत्र में उनका काम बोलता है। अब जनता किसके पक्ष में जाएगी यह तो नहीं पता, लेकिन विकास करने वाले को साथ मिलना चाहिए। कुछ यात्रियों के बीच हीरा प्रसाद खड़े थे। उन्हें चिरकी में उतरना था। उनकी मंजिल करीब आ रही थी, सो वह हड़बड़ी में थे। फिर भी वह इस चुनावी चर्चा में शामिल होने से खुद को नहीं रोक सके। कहा इस बार पूरे राज्य मे परिवर्तन होना चाहिए। सत्ता पक्ष ने तो जो किया सो किया, लेकिन विपक्ष ने भी अपनी भूमिका सही से नहीं निभाई। इसकी वजह है विपक्ष का कमजोर होना। इसलिए मजबूत विपक्ष का होना जरूरी है। बात जब अपने क्षेत्र की आती है तो वह भड़क उठते हैं। कहते हैं, हमारे क्षेत्र में विधायक ने कोई काम नहीं किया। वह केवल वोट लेने के लिए आते हैं। इस बार जनता उन्हें सबक जरूर सिखाएगी। मोदी के नाम पर झारखंड को लूटा जा रहा है। वह कुछ और कहते, लेकिन उसके पहले ही उनकी मंजिल आ गई थी। बस रुकती है और वह उतर जाते हैं। फिर बस भी अपने गंतव्य की ओर आगे बढ़ चलती है। तभी मेरी नजर एक भद्रजन पर पड़ी। वह सभी की बातों को बड़े ध्यान से सुन रहे थे। मैंने इस चुनावी माहौल में उनसे भी कुछ उगलवाने का प्रयास किया। इस पर वह पूछते हैं आप किसी न्यूज चैनल से हैं क्या, मैंने कहा नहीं मैं दैनिक जागरण अखबार से हूं। यह सुनकर वह मुस्कुराते हैं, फिर कहते हैं आप जिस मुद्दे पर बात करने आए हैं, उस पर मैं कुछ नहीं कह सकता। कारण पूछने पर कहा कि मैं बीएसएफ से हूं। मैं उनके बगल में बैठ गया। उन्होंने झारखंड की सुरक्षा व्यवस्था, नक्सलवाद पर बात की। चुनाव में नक्सलियों से निपटने की रणनीति, शांति पूर्वक मतदान कराने की तैयारी, दूसरे राज्यों में नक्सलवाद की स्थिति सहित कई मुद्दों पर बात की। साथ ही कहा कि ये सब बातें अखबार में छापियेगा नहीं। कहा कि झारखंड की जनता चुनाव को लेकर काफी जागरूक हुई है। इसी बीच मेरी मंजिल आ गई थी। बस रुकी और मैं उतरता हूं और फिर आगे की ओर निकल जाती है।


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