शव लेकर आया था, लाश बनकर लौटा
जागरण संवाददाता गिरिडीह इसे काल चक्र कहें या कुछ और कि चालक मो. शकील जिस एंबुलेंस
जागरण संवाददाता, गिरिडीह: इसे काल चक्र कहें या कुछ और, कि चालक मो. शकील जिस एंबुलेंस से शव लेकर दिल्ली से कोलकाता गया था, उसी एंबुलेंस से उसका शव लेकर उसके पुत्र एवं रिश्तेदार शनिवार को दिल्ली के लिए लौट गए। गिरिडीह सदर अस्पताल से अपने पिता का शव लेकर निकलते वक्त मो. शकील के पुत्र मो. समीर एवं उसके दोनों चाचा अपने आंसू नहीं रोक पा रहे थे।
मालूम हो कि शकील शराब के नशे में सरिया के बागोडीह में एक घर में घुस गया था। चोर समझकर ग्रामीणों ने उसकी पिटाई कर पुलिस को सौंप दिया था। गुरुवार की सुबह उसने सरिया थाने में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
गिरिडीह पुलिस की सूचना पर एंबुलेंस चालक के पुत्र व भाई शुक्रवार की रात करीब साढ़े 12 बजे सरिया थाना पहुंचे। वहां से शनिवार की सुबह करीब 10 बजे वे सदर अस्पताल पहुंचे। सोमवार की शाम को मो. शकील अपने सहयोगी चालक सहदेव राम के साथ नई दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल से दिव्यांग युवक का शव लेकर एंबुलेंस से कोलकाता के लिए निकला था। उसने दिव्यांग का शव तो सही-सलामत कोलकाता पहुंचा दिया, लेकिन शराब के नशे में अपनी ¨जदगी गवां बैठा। पांच दिन बाद उसी एंबुलेंस से शनिवार की सुबह करीब दस बजे गिरिडीह सदर अस्पताल से उसका शव लेकर उसके परिजन दिल्ली लौट गए।
शकील के पुत्र ने बताया कि उसके पिता एवं सहदेव राम शव लेकर दिल्ली से देश के हर कोने में गए हैं। पीड़ित परिवार को सहदेव राम से कोई शिकायत नहीं है। उनका कहना है कि सहदेव एक अच्छे इंसान हैं। वे बराबर उनके पिता के साथ आते-जाते थे। इस बार शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।