फिसड्डी साबित होने के बावजूद दोबारा उसी कंपनी को सौंपा टैक्स वसूली का काम
company. फिसड्डी साबित होने के बावजूद दोबारा उसी कंपनी को टैक्स वसूली का काम सौंपा गया है।
सत्येंद्र सिंह, गिरिडीह। सरकार की ओर से स्पष्ट निर्देश है कि अब नगर निकायों को वह आर्थिक सहायता नहीं देगी। स्वयं ही उसे राजस्व की वसूली कर अपने खर्च को मेंटेन करना होगा। इसके लिए आउटसोर्सिंग कंपनी को सहयोग के लिए लगाया गया है। इसी क्रम में गिरिडीह नगर निगम ने होल्डिंग टैक्स एवं वाटर टैक्स की वसूली के लिए श्री पब्लिकेशन लिमिटेड को प्रतिनियुक्त किया है। इस कंपनी की तरफ से जो वसूली का अनुपात है, उससे स्थानीय नगर निगम प्रशासन भी खुश नहीं है। गत 17 जनवरी तक इस कंपनी के कार्यों की समीक्षा करें तो पता चलता है कि होल्डिंग टैक्स की वसूली तो करीब 51 फीसद की गई है, लेकिन जल कर की वसूली महज 16 फीसदी ही हो सकी है।
इस क्षेत्र में करीब 22 हजार घर हैं। हालांकि सरकारी खाते में 19748 हाउसहोल्ड हैं। कंपनी के इसी रवैये के कारण गत वर्ष मुख्यमंत्री रघुवर दास के आदेश पर नगर विकास विभाग ने उसके वसूली करने पर रोक लगा दी थी। हालांकि बाद में फिर से इसी कंपनी को यह काम सौंप दिया गया। राजस्व की वसूली के लिए नगर आयुक्त की तरफ से इस कंपनी को पत्र भी लिखा गया, लेकिन इसका असर कुछ खास दिख नहीं रहा है। निगम प्रशासन को इससे राजस्व का काफी नुकसान हो रहा है। इसे लेकर ननि प्रशासन काफी चिंतित है।
बकाए 257.80 करोड़ होल्डिंग टैक्स में महज 131.05 की वसूली
नगर निगम क्षेत्र में 19748 घर (हाउसहोल्ड) हैं। इन सभी घरों पर नगर निगम का दो करोड़ 57 लाख 80 हजार रुपये बकाया था। इसमें 17 जनवरी तक महज एक करोड़ 31 लाख 5 हजार रुपये की ही वसूली हो सकी है। अभी भी एक करोड़ 26 लाख 75 हजार रुपये बकाया है। इस वसूली के लिए नगर विकास विभाग की तरफ से सेल्फ एसेसमेंट की योजना चालू किए जाने के बाद लोगों ने स्वयं ही संबंधित विभाग को कर आकर जमा कराया गया है। कुल मिलाकर 51 फीसद होल्डिंग टैक्स की वसूली कर ली गई है। जल कर वसूली में पिछड़े: निगम क्षेत्र में रह रहे लोगों के पास दो करोड़ 62 लाख दस हजार रुपये बकाया है। इसमें से 17 जनवरी तक महज 43 लाख 22 हजार रुपये की ही वसूली हो सकी है। अभी भी करीब दो करोड़ 19 लाख रुपये का जलकर बकाया है। शहर में वैध रूप से 6782 घरों में पानी का कनेक्शन है, जबकि इस क्षेत्र में निगम के अनुसार 19748 घर हैं। विभाग की मानें तो वार्ड संख्या 7, 11, 12, 15, 18, 20, 22 व 25 में दस लाख रुपये से अधिक जल कर बकाया है। विभाग इस बात को लेकर भी चिंतित है कि सैकड़ों की संख्या लोगों ने पानी का अवैध कनेक्शन ले रखा है। निगम को आर्थिक नुकसान इसलिए हो रहा है, क्योंकि अवैध कनेक्शन लेने वालों के घर भी पानी पहुंचाने में निगम को खर्च लगता है।
होल्डिंग टैक्स की वसूली तो सेल्फ एसेसमेंट की योजना चलाए जाने से कुछ ठीक भी है, लेकिन जल कर की वसूली नहीं हो रही है। इस मामले को लेकर निगम चिंतित है। संबंधित कंपनी को इसके लिए पत्र लिखा गया है।
- गणेश कुमार, नगर आयुक्त।
आउटसोर्सिंग कंपनी को जल कर की वसूली में तेजी लाने का निर्देश दिया गया है। राजस्व प्राप्त होने से निगम का बेहतर तरीके से संचालित किया जा सकता है। सभी लोगों को पेयजल की सुविधा भी इससे दी जा सकेगी।
- सुनील कुमार पासवान, मेयर।