हाथी ने दिया जख्म, व्यवस्था ने मौत
जागरण संवाददाता गिरिडीह हाथी अगर किसी की जान ले लेता है तो सरकार उसके आश्रितों को मुआव
जागरण संवाददाता, गिरिडीह : हाथी अगर किसी की जान ले लेता है तो सरकार उसके आश्रितों को मुआवजा दे देती है, लेकिन वही हाथी अगर जख्मी कर देता है तो सरकार उसका समुचित इलाज नहीं करा पाती, घायल व्यक्ति को तड़प-तड़प कर मरने को छोड़ दिया जाता है। जसपुर पंचायत के चुंगलो पारटांड़़ गांव की खुशबू देवी के साथ भी ऐसा ही हुआ है। शनिवार शाम करीब छह बजे घर के पास उसे हाथी ने उसे कुचला था। बुरी तरह जख्मी हालत में उसे गिरिडीह के सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। बाद में सदर अस्पताल से रेफर कर दिया गया, लेकिन एंबुलेंस के अभाव में उसे बाहर नहीं ले जाया जा सका और रविवार को सदर अस्पताल में ही उसकी मौत हो गई।
भाकपा माले के गिरिडीह विधानसभा प्रभारी राजेश सिन्हा ने कहा कि सुबह नौ बजे खुशबू के दिव्यांग पति विकास तुरी के अलावा नवीन कुमार सिंह एवं राजेंद्र प्रसाद सिंह आदि ने उन्हें फोन किया तो वह अस्पताल पहुंचे। तब तक उसे रेफर किया जा चुका था। उन्होंने 108 एंबुलेंस को धनबाद भेजने के लिए फोन लगाया तो उसके चालक ने कहा कि प्राइवेट वैन ले लीजिए, एंबुलेंस खाली नहीं है। इसी बीच खुशबू की मौत तड़पते हुए हो गई। राजेश ने कहा कि इसके लिए सरकारी एंबुलेंस व्यवस्था भी दोषी है। हाथी के कहर से ज्यादा खतरनाक सदर अस्पताल, संबंधित अधिकारी और जनप्रतिनिधि हैं। यदि स्थानीय जनप्रतिनिधि पहल करते और रात में ही उसे रेफर कर दिया जाता तो वह बच जाती। खुशबू ही घर चलाती थी क्योंकि उसका पति दिव्यांग है। अब उसका पूरा परिवार बिखर गया है।
राजेश ने कहा कि हाथी के हमले से मौत के बाद मुआवजा मिलता है, लेकिन अगर वह जख्मी कर दे तो इलाज की व्यवस्था नहीं की जाती है। उपायुक्त को पहल करना चाहिए और हाथियों से बचाव के उपाय करने के लिए वन विभाग को सख्त निर्देश देना चाहिए।
मौके पर जुगल तुरी, धीरेंद्र तुरी, अमर तुरी, राजेंद्र सिंह, पोखन दास, सुजीत शर्मा, भूदेव तुरी, रोशीला देवी, बबिता देवी आदि थे। बता दें कि बीते तीन दिन में हाथी के हमले में जिले के अलग-अलग गांवों के पांच लोगों की मौत हो चुकी है। हाथी के इस कहर से ग्रामीण क्षेत्रों में दहशत का माहौल है।