दरिदों ने जलाया काया, अपनों ने पुतले से मोक्ष दिलाया
गिरिडीह में सीसीसीएल के मृत सुरक्षा निरीक्षक य प्रकाश सिंह उर्फ भोला सिंह के परिजनों की पीड़ा उनके चीत्कार से झलक रही थी। सोमवार को पड़ोसी ही नहीं पूरे क्षेत्र के अधिसंख्य लोगों की आंखें नम थीं।
जागरण संवाददाता, गिरिडीह : गिरिडीह में सीसीसीएल के मृत सुरक्षा निरीक्षक य प्रकाश सिंह उर्फ भोला सिंह के परिजनों की पीड़ा उनके चीत्कार से झलक रही थी। सोमवार को पड़ोसी ही नहीं पूरे क्षेत्र के अधिसंख्य लोगों की आंखें नम थीं। दरिदों की क्रूरता के कारण परिजनों को उनके अंतिम दर्शन भी नहीं हो सके। उनकी हत्या कर अपराधियों ने कोयला की दहकती अवैध खदान में डाल दिया था। परिजनों ने अस्थियों और अन्य अवशेषों का पुतला बना अंतिम संस्कार की रस्म पूरा किया।
दरअसल, भोला सिंह की हत्या कर दरिदों ने शव को कोयला की दहकती अवैध खदान में डाल दिया था। पुलिस ने आरोपितों की निशानदेही पर 14 दिनों बाद रविवार को वहां से उनकी अस्थियां एवं शरीर के अवशेषों को बरामद किया था। हत्या की पुष्टि और अस्थियों की बरामदगी के दूसरे दिन परिजनों ने बराकर नदी तट पर उनका अंतिम संस्कार कर दिया। इसके लिए उनका पुतला बनाया गया। पुतले की शव यात्रा निकाल परिजन और स्थानीय लोग बराकर नदी तट पहुंचे थे।
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अंतिम दर्शन को तरसते रहे परिजन
भोला सिंह के लापता होने के बाद परिजन यह मांग करते रहे कि पुलिस उन्हें जिदा या मुर्दा ढूंढकर निकाले। यदि वे जीवित नहीं रहे तो परिजन और रिश्तेदार उनका शव देखकर ही दिल पर पत्थर रख लेंगे। उनका कहना था कि अंतिम दर्शन कर सभी सब्र कर लेंगे कि अब वे उनके बीच नहीं रहे, लेकिन हत्यारों ने ऐसी क्रूरता और दरिदगी दिखाई कि परिजनों को उनका शव भी हाथ नहीं लग पाया। परिजन और रिश्तेदार उनका अंतिम दर्शन के लिए भी तरसते रह गए।
न अपनों का कंधा और न मुखाग्नि : हिदू धर्म से जुड़े हर किसी की इच्छा होती है कि उसके दुनिया छोड़ने के बाद उसे पुत्र और सगे संबंधी कंधा दें। पुत्र ही से मुखाग्नि दे, लेकिन भोला सिंह को न तो अपनों का कंधा नसीब हुआ और न ही पुत्र के हाथों मुखाग्नि। पुत्र भी पिता को न कंधा दे सके और न ही मुखाग्नि।