पारसनाथ में रोजगार देने की असीम संभावना
वैश्विक महामारी कोरोना की रोकथाम के लिए पूरे देश में दो महीना से लॉकडाउन है। कोरोना और लॉकडाउन ने हर तबके के लोगों को प्रभावित किया है। इससे हजारों-लाखों लोगों की नौकरी चली गई। पहले विभिन्न तरह के रोजगार और शहरों व महानगरों में नौकरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाले लोग एकबार फिर बेरोजगारों की श्रेणी में आ खड़े हुए हैं। ऐसे लोगों के समक्ष रोजगार की घोर समस्या उत्पन्न हो गई है। साथ ही देश और राज्य की अर्थव्यवस्था पर भी इसका बुरा असर पड़ा है। अपना गिरिडीह जिला भी इससे अछूता नहीं रहा है।
गिरिडीह : वैश्विक महामारी कोरोना की रोकथाम के लिए पूरे देश में दो महीना से लॉकडाउन है। कोरोना और लॉकडाउन ने हर तबके के लोगों को प्रभावित किया है। इससे हजारों-लाखों लोगों की नौकरी चली गई। पहले विभिन्न तरह के रोजगार और शहरों व महानगरों में नौकरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाले लोग एकबार फिर बेरोजगारों की श्रेणी में आ खड़े हुए हैं। ऐसे लोगों के समक्ष रोजगार की घोर समस्या उत्पन्न हो गई है। साथ ही देश और राज्य की अर्थव्यवस्था पर भी इसका बुरा असर पड़ा है। अपना गिरिडीह जिला भी इससे अछूता नहीं रहा है। जिले के हजारों लोग बेरोजगार हो चुके हैं। दर्जनों फैक्ट्रियों, कल-कारखानों और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में ताले लटक गए हैं। कोरोना संकट ने लोगों की सोच भी बदली है। खासकर रोजगार के लिए दूसरे प्रदेशों और महानगरों की ओर रुख करने वाले युवाओं का मन बदला है। वे अब अपने ही शहर और जिला में रोजगार करने का मन बनाने लगे हैं। अभी समय है कि युवाओं को समेट कर उन्हें स्थानीय स्तर पर ही रोजगार उपलब्ध कराया जाए। गिरिडीह जिले में स्थानीय स्तर पर रोजगार की असीम संभावनाएं भी हैं। कृषि से लेकर कुटीर और पर्यटन उद्योगों को बढ़ावा देकर न केवल चरमराती अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की जा सकती है, बल्कि बेरोजगारी की समस्या का समाधान भी किया जा सकता है। गिरिडीह जिला में ही स्थिति जैन धर्मावलंबियों के विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पारसनाथ में रोजगार की काफी संभावनाएं हैं।
पारसनाथ से जुड़े लोगों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और विशेषज्ञों के अनुसार पारसनाथ और इसके आसपास के इलाकों में रोजगार के नए अवसर तलाशने की आवश्यकता है, ताकि लोग अपने ही शहर और गांव में रहकर लोग जीविकोपार्जन कर सकें।
हालांकि इसके लिए सरकार को अपनी नीति और व्यवहार में बदलाव लाना होगा। पारसनाथ से जुड़े एक जैन धर्मावलंबी की मानें तो इस क्षेत्र में कल-कारखाने भी लगाए जा सकते हैं, लेकिन इसके लिए आसानी से जमीन उपलब्ध हो तब। साथ ही, बिजली की स्थिति में भी सुधार करना होगा। लचर विद्युत व्यवस्था से किसी भी तरह का उद्योग नहीं चलाया जा सकता है। उद्योग लगाने के इच्छुक लोगों के साथ सरकार को अच्छा व्यवहार करते हुए उन्हें सभी तरह की सुविधाएं मुहैया करानी होगी।
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पर्यटन से बढ़ेगा रोजगार : डीसी
डीसी राहुल कुमार सिन्हा ने बताया कि पारसनाथ एक्शन प्लान से पारसनाथ एवं आसपास के पूरे इलाकों की तस्वीर बदल रही है। पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। पहले भी इस दिशा में काफी कुछ किया गया है। इसे और आगे बढ़ाया जाएगा। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। पर्यटन की दृष्टि से गिरिडीह में बहुत कुछ है। बाहर से लोग यहां आते हैं। रोजगार के लिए सरकार लोन भी दे रही है। इच्छुक लोग सरकार से मदद लेकर अपना रोजगार खड़ा कर सकते हैं।
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- पारसनाथ बहुत बड़ा धार्मिक और पर्यटन स्थल है। इसे टूरिज्म सर्किट बनाने की आवश्यकता है। टूरिज्म सर्किट बनाने से क्षेत्र के हजारों लोगों को रोजगार मिल सकता है। साथ ही इससे सरकार को अच्छा राजस्व भी प्राप्त होगा। इस क्षेत्र में कुटीर उद्योग को बढ़ावा देकर क्षेत्र के महिला-पुरुषों को स्वरोजगार से जोड़ा जा सकता है। पहले उत्तर प्रदेश प्रकाश भवन में कुटीर उद्योग के तहत बांस, लकड़ी आदि से कई तरह के सामान बनाने का काम शुरू किया गया था। इसे शुरू करते हुए इस काम को व्यापक रूप देने की आवश्यकता है। पहले इस क्षेत्र में काफी जड़ी-बूटियां मिलती थीं। अधिक से अधिक औषधीय पौधे लगाकर यहां आयुष केंद्र की स्थापना भी की जा सकती है। इससे भी लोगों को रोजगार मुहैया कराया जा सकता है।
कृष्णकांत, पारसनाथ, सामाजिक कार्यकर्ता
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पारसनाथ एवं इसके आसपास के इलाके में रोजगार की काफी संभावनाएं हैं। आवश्यकता है उन संभावनाओं की तलाश कर काम करने की। क्षेत्र में कृषि योग्य काफी जमीन है। यहां के लोग मेहनती होने के साथ-साथ उनका कृषि से लगाव भी रहा है। क्षेत्र में यदि कृषि की सुविधा और अन्य संसाधन मुहैया करा दिए जाएं तो सालों भर खेती हो सकती है। इससे काफी लोगों को रोजगार मिलेगा। बात यदि मधुबन की करें तो वहां पर्यटन को बढ़ावा देकर रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकते हैं। युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
बैद्यनाथ, पारसनाथ, सामाजिक कार्यकर्ता
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पारसनाथ में रोजगार को बढ़ावा देने के लिए सबसे पहले यहां मूलभूत सुविधाएं बहाल करना बहुत जरूरी है। कहने को तो यह विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। यहां देश विदेश से प्रतिवर्ष लाखों लोग आते हैं, लेकिन इसे न तो रेल मार्ग से जोड़ा गया है और न ही यहां हवाई मार्ग की ही सुविधा उपलब्ध है। यहां तक पहुंचने वाले यात्रियों और पयर्टकों को कितनी परेशानी होती है, यह किसी से छिपा नहीं है। यदि ये सुविधाएं बहाल कर इसे पर्यटन स्थल का दर्जा दिया जाए, तो इससे हजारों लोगों को रोजगार मिल सकता है। यहां की सुरक्षा व्यवस्था को और दुरुस्त करना होगा, ताकि यहां यात्री नीर्भीक होकर आएं।
पंकज कुमार, पारसनाथ, सामाजिक कार्यकर्ता
-------------------- - तालाब, पीसीसी, सड़क जैसे निर्माण कार्य कर बाहर से वापस लौटे मजदूरों को तत्काल रोजगार मुहैया कराया जा सकता है, लेकिन यदि लंबे समय के रोजगार की बात करें तो इसके लिए भी इस क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं। पीरटांड़ के विभिन्न इलाकों में क्षेत्र में पाए जाने वाले खनिज पदार्थों पर आधारित उद्योगों की स्थापना कर युवाओं को रोजगार से जोड़ा जा सकता है। यह जंगली क्षेत्र है। विभिन्न तरह के फलों के काफी पेड़-पौधे हैं। यहां के लोग कृषि पर भी विशेष ध्यान देते हैं। ऐसे में फूड प्रोसेसिग प्लांट की स्थापना भी की जा सकती है। इससे भी काफी लोगों को रोजगार मिल सकता है। कृषि को बढ़ावा देने और इससे युवाओं को जोड़ने के लिए आवश्यक सुविधाएं मुहैया करानी होगी। युवाओं को कृषि से संबंधित नई-नई तकनीक की जानकारी भी देने की आवश्यकता है, ताकि वे वैज्ञानिक ढंग से खेती कर अपनी बेरोजगारी दूर कर सके।
मनोहर साहु, पारसनाथ, सामाजिक कार्यकर्ता।