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सीमित संसाधनों में कोरोना से जंग

करीब 30 लाख की आबादी वाले गिरिडीह जिले में वैश्विक महामारी कोरोना से जंग सीमित संसाधनों के बीच लड़ी जा रही है। जिला एवं पुलिस प्रशासन तथा स्वास्थ्य विभाग आम लोगों के सहयोग से यह लड़ाई लड़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Mar 2020 07:56 PM (IST)Updated: Tue, 31 Mar 2020 06:16 AM (IST)
सीमित संसाधनों में कोरोना से जंग
सीमित संसाधनों में कोरोना से जंग

गिरिडीह : करीब 30 लाख की आबादी वाले गिरिडीह जिले में वैश्विक महामारी कोरोना से जंग सीमित संसाधनों के बीच लड़ी जा रही है। जिला एवं पुलिस प्रशासन तथा स्वास्थ्य विभाग आम लोगों के सहयोग से यह लड़ाई लड़ रहा है। डॉक्टर, चिकित्साकर्मी एवं चिकित्सा उपकरणों की भारी कमी के बावजूद शुरुआती लड़ाई में कोरोना पर काबू पाने में हम यहां सफल रहे हैं। शनिवार तक जिले भर में 11 हजार 186 लोगों की जांच हो चुकी है। इनमें से कोई भी कोरोना वायरस से पीड़ित नहीं मिला है। जिन संदिग्ध लोगों की जांच की गई है उनमें 68 विदेश एवं 81 दूसरे राज्यों से आने वाले लोग हैं।

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जिला स्तर पर सदर अस्पताल में एक एवं 352 पंचायतों में से करीब 300 पंचायत सचिवालयों में क्वारंटाइन नियंत्रण केंद्र खोला गया है। बाकी बचे पंचायत सचिवालयों में भी दो दिन के अंदर केंद्र खोल दिया जाएगा। दूसरे राज्यों से आनेवाले लोगों को इन केन्द्रों में रखा जा रहा है। यहां इनके रहने, खाने एवं स्वास्थ्य जांच की सुविधा बहाल की गई है। वैसे जब इसकी पड़ताल की गई तो यह बात सामने आया कि कहीं जमीन पर गद्दा बिछाकर तो कहीं चौकी पर गद्दा बिछाकर बेड बना दिया गया है।

कोरोना मरीजों के लिए सदर अस्पताल में 50 बेड के दो आइसोलेशन वार्ड बनाए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने राज्य सरकार को रिपोर्ट भेजकर यह जानकारी दी है।

कोरोना मरीजों के इलाज में डॉक्टर, चिकित्सा कर्मियों एवं एंबुलेंस कर्मियों के पास पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट जिसे पीपीई कहते हैं का होना बहुत जरूरी है। एक डॉक्टर के पास पांच पीपीई का होना जरूरी है।

यदि पीपीई नहीं होगा तो इलाज करने वाले डॉक्टर ही संक्रमण का शिकार हो जाएंगे। इस उपकरण का यहां घोर अभाव है। जंग में सबसे बड़ी भूमिका निभाने वाले डॉक्टर एवं पारा मेडिकल स्टाफ परेशान हैं।

जिले के सरकारी अस्पतालों में 59 डॉक्टर कार्यरत हैं जबकि हमारे पास मात्र पांच पीपीई है। इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि दुर्भाग्य से यदि स्थिति बिगड़ी तो चिकित्सा सुविधा मुहैया कराना कितना मुश्किल होगा। स्वास्थ्य विभाग के पास अभी 100 एन 95 किट, 13 वीटीएम किट, ग्लब्स 6000 उपलब्ध है। यह जरूरत के अनुपात में बहुत कम है।

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संसाधनों की नहीं होगी कमी : डीसी

डीसी राहुल कुमार सिन्हा ने बताया कि कोरोना के खिलाफ जंग में संसाधनों की कमी आड़े आने नहीं दी जाएगी। सभी पंचायतों में क्वारंटाइन नियंत्रण केंद्र खोले जा रहे हैं। अधिकांश केंद्र खुल चुके हैं। भोजन, चिकित्सीय जांच समेत सभी सुविधाएं वहां मुहैया कराई गई है। अब तक 30 संदिग्धों ने होम क्वारंटाइन पूरा कर लिया है। 149 संदिग्ध अभी होम क्वारंटाइन में हैं। दो हजार एन 95 मास्क, 20 पीपीई किट, 15 हजार ट्रिपल लेयर मास्क एवं दस हजार ग्लब्स का आदेश दिया गया है। जो भी जरूरत होगी, सरकार पूरा करेगी।


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