दिव्यांगों को प्रमाण पत्र के लिए भटकने की जरूरत नहीं
समाज कल्याण महिला बाल विकास समाजिक सुरक्षा स्वास्थ्य स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की तरफ से दिव्यांग शिविर का आयोजन किया जाएगा।
जामताड़ा : समाज कल्याण, महिला बाल विकास, समाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की तरफ से दिव्यांग शिविर का आयोजन किया जाएगा। शिविर में स्वामी विवेकानंद पेंशन, दिव्यांग प्रमाण पत्र, कृत्रिम अंग समेत अन्य योजना का लाभ मिलेगा। जिला स्तरीय शिविर दिसम्बर माह में आयोजित होगा। इस बाबत जिले में तिथि व स्थान निर्धारण के साथ अन्य तैयारी चल रही है।
जिलास्तरीय शिविर का उद्देश्य : अब कोई भी दिव्यांग सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित नहीं रहेगा। खास कर पांच से 18 वर्ष के दिव्यांग को शिक्षा के साथ साथ सरकार द्वारा संचालित सभी योजनाओं को सहजता पूर्वक उपलब्ध कराने में शिविर मील का पत्थर साबित होगा। जिले में पांच से 18 वर्ष के 700 दिव्यांग छात्र है। जो विभिन्न विद्यालयों में अध्ययनरत है। जिला स्तर पर समाज कल्याण, महिला बाल विकास, समाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के संयुक्त तत्वावधान में दिव्यांग शिविर का आयोजन होने से किसी भी दिव्यांग को दोहरी लाभ नहीं मिलेगा। वहीं पेंशन, दिव्यांग प्रमाण पत्र लेने,कृत्रिम यंत्र प्राप्त करने को दिव्यांगों को यत्र तत्र नहीं भटकना पड़ेगा। शिविर में विभिन्न विभाग के अलग-अलग स्टॉल स्थापित होंगे। सभी विभागीय पदाधिकारी समन्वय स्थापित कर संबंधित दिव्यांगों को आवश्यकता वाली योजनाओं से लाभांवित होगा।
दिव्यांग संघ के जिला अध्यक्ष दिवाकर महतो ने बताया कि भारत का संविधान अपने सभी नागरिकों के लिए समानता, स्वतंत्रता, न्याय व गरिमा सुनिश्चित करता है और स्पष्ट रूप से यह दिव्यांग व्यक्तियों समेत एक संयुक्त समाज बनाने पर जोर डालता है। हाल के वर्षों में दिव्यांगों के प्रति समाज का नजरिया तेजी से बदला है। यह माना जाता है कि यदि दिव्यांग व्यक्तियों को समान अवसर तथा प्रभावी पुनर्वास की सुविधा मिले तो वे बेहतर व गुणवत्तापूर्ण जीवन व्यतीत कर सकता है।
दिव्यांगता की रोकथाम : चूंकि कई सारे मामलों में विकलांगता को रोका जा सकता है, इसलिए इसकी रोकथाम के लिए कड़े प्रयास करने की आवश्यकता होगी। ऐसे रोगों की रोकथाम के लिए कार्यक्रम को काफी बढ़ावा देना होगा, जिससे विकलांगता उत्पन्न होती है और गर्भावस्था के दौरान और उसके बाद होने वाली विकलांगता के लिए जागरुकता फैलाने की जरूरत है।
आरंभिक पहचान व उपचार : विकलांगता की आरंभिक पहचान व दवा या गैर-दवा उपचारों के जरिए इसकी चिकित्सा से इन रोगों की गंभीरता को कम करने में मदद मिलती है। अत: आरंभिक पहचान तथा आरंभिक उपचार के साथ आवश्यक सुविधाओं की उपलब्धता पर अधिक ध्यान दिया जाएगा। सरकार खासकर ग्रामीण इलाकों में ऐसी सुविधाओं की उपलब्धता के लिए सूचना का प्रसार करेगी।
भारत सरकार विकलांगों को आईएसआई प्रमाणित टिकाऊ तथा वैज्ञानिक रूप से निर्मित, आधुनिक यंत्र व उपकरण की खरीद के लिए सहायता देती रही है, जिससे उनके शारीरिक, सामाजिक व मनोवैज्ञानिक निर्भरता को कम करते हुए विकलांगता के प्रभाव को कम किया जा सके। राष्ट्रीय संस्थानों, राज्य सरकारों, डीडीआरसी व गैर सरकारी संगठनों के जरिए हर साल विकलांगों को प्रोस्थेसिस तथा ऑर्थोसेस, ट्राइसाइकिल, व्हील चेयर, सर्जिकल फूटवेयर व दैनिक जीवन में काम आने वाले व सीखने वाले यंत्र (ब्रेल लेखन यंत्र, डिक्टाफोन, सीडी प्लेयर, टेप रिकॉर्डर), लो विजन यंत्र, चलने-फिरने के लिए विशेष यंत्र- जैसे ²ष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए छड़ी, श्रवण यंत्र, शैक्षणिक किट्स, बातचीत करने वाले यंत्र, मदद करने और अलर्ट करने वाले यंत्र और ऐसे यंत्र जो मानसिक रूप से विकलांग व्यक्ति के लिए बनाए जाते हैं। इन उपकरणों की उपलब्धता को अछूते व सेवा वाले क्षेत्रों तक विस्तार करना।
दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी करना : भारत सरकार ने विकलांगता के मूल्यांकन व प्रमाणपत्र के लिए दिशा-निर्देश जारी किया हैं। इसके तहत सरकार प्रयास कर रहा है की जिला स्तरीय शिविर में सुनिश्चित करेगी कि विकलांग व्यक्ति कम से कम समय में बिना किसी परेशानी के विकलांगता प्रमाणपत्र प्राप्त कर सके, जिसके लिए सरल, पारदर्शक व ग्राहकोन्मुख प्रक्रियाओं को लागू किया जाएगा।
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वर्जन
समाज कल्याण,महिला बाल विकास,समाजिक सुरक्षा,स्वास्थ्य,स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के संयुक्त तत्वावधान में जिला स्तरीय दिव्यांग शिविर का आयोजन होगा। इस निमित उपायुक्त की अध्यक्षता में शिविर की रुप रेखा व स्थान के साथ तिथि निर्धारित किया जाएगा। इस निमित विभागीय प्रक्रिया चल रही है। वहीं पुन: ग्राम स्तर पर दिव्यांग बच्चों का सर्वेक्षण किया जा रहा है। किस विभाग से कितने दिव्यांगों को किस प्रकार का लाभ मिला है इसका डाटाबेस तैयार करने का काम शुरु किया गया है।
उज्जवल मिश्रा, एपीओ