चिटफंड कंपनी ने पैसों को दोगुना करने का लालच देकर की तीस लाख की ठगी, सीबीआई कर रही मामले की जांच
30 लाख से अधिक की ठगी के मामले में चिटफंड कंपनी के खिलाफ सीबीआई साक्ष्य जुटाने में लगा हुआ है। चिटफंड कंपनी की ठगी का शिकार वह आम जनता हुई है जिसने इस आशा से कंपनी में निवेश किया था कि उसका पैसा दोगुना हो जाएंगे।
गिरिडीह,जागरण संवाददाता: चिटफंड कंपनी द्वारा की गई ठगी की जांच कर रही सीबीआई लगातार दूसरे दिन कंपनी में निवेश करने वाले निवेशकों से संबंधित दस्तावेज जुटाने में लगी रही। बुधवार को चिटफंड कंपनी ओमिशा एग्री इंडस्ट्रीज इंडिया लिमिटेड में निवेश करने वाले और एफआईआर दर्ज कराने पीड़ित समेत एक अन्य पीड़ित ने निवेश से संबंधित दस्तावेज सीबीआई को सौंपा और पूछताछ में कई अहम जानकारियां भी दी। सीबीआई एफआईआर और पीड़ितों से मिले प्राथमिक दस्तावेजों, बयानों के माध्यम से आगे की कार्रवाई को आगे बढ़ाने में जुटी है। टीम में शामिल अधिकारी निवेशकों समेत गवाह और एफआईआर दर्ज कराने वालों के घरों पर भी पहुंचकर मामले की तह तक पहुंचते हुए साक्ष्य को इकट्ठा करने में जुटे हैं।
20 निवेशकों से हुई 30 लाख की ठगी
चिटफंड कंपनी ओमिशा एग्री इंडस्ट्रीज इंडिया लिमिटेड का कार्यालय खुलने के बाद राशि दोगुना होने के प्रलोभन में आकर पीड़ितों ने अपनी गाढ़ी कमाई को निवेश किया था। इसमें शहर से लेकर गांव तक के करीब 20 निवेशक शामिल हैं। चिटफंड कंपनी में आरडी, फिक्स और अन्य मदों में करीब 30 लाख रुपये जमा किए थे। इसमें एक ही परिवार के करीब सात सदस्य भी शामिल हैं।
मां की सेवानिवृति का पैसा किया जमा
चिटफंड कंपनी में मकतपुर के पिंटू मुखर्जी ने भी अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ रकम जमा की थी। पिंटू ही इस कंपनी को यहां खुलवाने में सहयोग भी किया था। इसके बाद वह अपने परिवार के कुछ सदस्यों के साथ इसमें करीब पांच लाख रुपये जमा किया था। पिंटू ने बताया कि उनकी मां एक निजी संस्थान में नौकरी करती थी। सेवानिवृत्ति के बाद मिली राशि से कुछ राशि इसमें आरडी और फिक्स कर दिया था। पिंटू ने ही एफआईआर दर्ज कराते हुए कार्रवाई की गुहार लगाई थी।
बच्चों के भविष्य के लिए रखा था पैसा
चिटफंड कंपनी ओमिशा के दिखाए सब्जबाग में पंच मंदिर रोड निवासी सुरेश विश्वकर्मा भी आ फंसे। वे बिजली मिस्त्री का काम करते हैं। इससे होने वाली कमाई की राशि में कटौती करते हुए इस कंपनी में करीब एक लाख रुपये आरडी और फिक्स मद में जमा किया था, ताकि बच्चों का भविष्य बनाने में आगे काम आ सके। सुरेश कहते हैं कि बहुत ही उम्मीद से राशि इस कंपनी में जमा की थी।
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