लापरवाही बैंकों की, शिक्षकों पर सख्ती
जागरण संवाददाता गिरिडीह जिले के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले करीब डेढ़ लाख बच्चों क
जागरण संवाददाता, गिरिडीह : जिले के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले करीब डेढ़ लाख बच्चों का बैंक खाता अब तक नहीं खुल पाया है। अभिभावक से लेकर शिक्षक तक इसके लिए परेशान है। विभाग और प्रशासन की ओर से शिक्षकों पर शत प्रतिशत बच्चों का जल्द से जल्द खाता खुलवाने के लिए दबाव तो बनाया जा रहा है, लेकिन बैंक कर्मियों के उदासीन रवैया के कारण खाता खुलवाने में परेशानी हो रही है।
सरकारी लाभ से वंचित हो रहे बच्चे : बता दें कि सरकार की ओर से मिलने वाली पोशाक, साइकिल, छात्रवृत्ति आदि की राशि को डीबीटी के माध्यम से सीधे बच्चों के बैंक खाते में भेजना है, जिन बच्चों का बैंकों में खाता खुला है, उनके खाते में राशि तो जा रही है, लेकिन जिनका खाता नहीं खुल पाया है, उन्हें इन सब लाभ से वंचित रहना पड़ रहा है। कोई भी बच्चा सरकारी लाभ से वंचित न रहे, इसके लिए शिक्षकों व शिक्षा अधिकारियों को सभी बच्चों का बैंक खाता जल्द से जल्द खुलवाने का सख्त निर्देश दिया गया है। ऐसा नहीं करने पर उन सभी पर कार्रवाई भी हो सकती है। बैंकों का जिम्मेवार ठहरा रहे शिक्षक : शिक्षक बच्चों का खाता नहीं खुलने के पीछे बैंकों को जिम्मेवार ठहरा रहे हैं। कई शिक्षकों ने बताया कि बैंक कर्मी बच्चों का खाता खोलने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। तरह-तरह का बहाना बनाकर खाता खोलने में टालमटोल किया जाता है। कभी लिक तो कभी फार्म नहीं रहने की बात कह बच्चों और अभिभावकों को बैंक से लौटा दिया जाता है। इसके बावजूद केवल शिक्षकों पर ही बच्चों का खाता खुलवाने के लिए दबाव बनाया जाता है, जबकि यह दबाव बैंक कर्मियों और पदाधिकारियों पर बनाने की जरूरत है। एपीओ अभिनव सिन्हा ने कहा कि अब सभी तरह की राशि बच्चों के बैंक खाता में ही आएगी। इसलिए बैंक कर्मी प्राथमिकता के साथ बच्चों का खाता खोलें। अभिभावक भी इसे जरूरी समझते हुए अपने-अपने बच्चों का खाता खुलवा लें। - बैंकों का बच्चों का खाता खोलने में उदासीन रवैया नहीं है, बल्कि खाता खोलने की प्रक्रिया जटिल हो जाने के कारण इसमें विलंब होता है। बैंकों में अभी साफ्टवेयर अपलोड किया जा रहा है, इसलिए खाता नहीं खुल पा रहा है। बच्चों का खाता खुलवाने के लिए और 10-15 दिन इंतजार करना पड़ेगा।
--रवींद्र सिंह, एलडीएम, गिरिडीह।