समय के साथ आदिवासी समाज को बदलना होगा
खंडोली में मनाया गया बाहा पर्व
संस, बेंगाबाद (गिरिडीह) : आदिवासी समाज को समय के साथ बदलना जरूरी है। सभी को शिक्षित होना भी आवश्यक है, क्योंकि व्यक्ति की सोच का दायरा बढ़ाती है। यह बात पूर्व मुख्यमंत्री झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने कही। मरांडी सोमवार को बाहा पर्व पर ग्राम स्वराज मंच व आदिवासी युवा ग्रुप ताला बुरु की ओर से आयोजित मिलन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
समारोह में विभिन्न प्रखंडों से आदिवासी समाज के जनप्रतिनिधियों सहित सैकड़ों महिला-पुरुषों ने भाग लिया। कार्यक्रम स्थल पर स्थित जहीर थान में समाज के पुजारी ने पूजा-अर्चना की। साथ ही उपस्थित लोगों ने मरांडी सहित अन्य अतिथियों का स्वागत किया। मौके पर सभी ले मांदर की थाप पर पारंपरिक नृत्य भी किया।
मरांडी ने कहा कि बहा पर्व संथाल समाज का सबसे बडा पर्व है। इस पर्व में प्रकृति के संरक्षण के भाव निहित हैं। आज जिस प्रकार पेड़-पौधों का नाश हो रहा है, इससे पर्यावरण पर संकट उत्पन्न हो गया है। उससे बचने के लिए पेड़-पौधों को लगाने पर जोर दिया जा रहा है, जबकि इस समाज ने हजारों साल पूर्व पेड़ों की महत्ता को महसूस करते ही इसकी पूजा अर्थात संरक्षण की शुरुआत की थी।
कहा कि इस समाज की प्राचीन व्यवस्थाएं पूर्णत: लोकतांत्रित थीं। अच्छाई और बुराई को अलग करने की भी क्षमता थी। भाषा और न्याय के क्षेत्र मे भी अलग पहचान थी। समाज की पहचान उनकी सभ्यता ओर संस्कृति से है। मौके झाविमो नेता नुनूलाल मरांडी, पीरटांड़ प्रमुख सिकंदर हेम्ब्रम, हिरालाल मुर्मू, सुशील हांसदा, जितलाल किस्कू, मंगल सोरेन आदि उपस्थित थे।