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तीन अवैध आरा मिलों को किया गया ध्वस्त

जमुआ (गिरिडीह) : वन प्रमंडल पदाधिकारी डॉ. सत्यम के नेतृत्व में सोमवार को जमुआ वन रोपण प्र

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 May 2018 06:50 PM (IST)Updated: Tue, 22 May 2018 06:50 PM (IST)
तीन अवैध आरा मिलों को किया गया ध्वस्त
तीन अवैध आरा मिलों को किया गया ध्वस्त

जमुआ (गिरिडीह) : वन प्रमंडल पदाधिकारी डॉ. सत्यम के नेतृत्व में सोमवार को जमुआ वन रोपण प्रक्षेत्र के बदडीहा (मिर्जागंज) गांव में एक ही स्थान पर अवैध रूप से संचालित तीन आरा मिलों पर विभाग की गाज गिरी। श्यामसुंदर राणा, कामदेव राणा एंव कैलाश राणा के आरा मिल में छापेमारी की गई। जमुआ वन रोपण क्षेत्र पदाधिकारी दिग्विजय ¨सह ने बताया कि ग्रामीणों ने शिकायत की थी कि उक्त स्थान पर अवैध रूप से संचालित आरा मिलों के डस्ट से लोगों का जीना दूभर हो गया है। इसे गंभीरता से लेते हुए डीएफओ ने अवैध रूप से संचालित आरा मिलों को ध्वस्त करने और वहां से लकड़ी सहित मशीन को जब्त करने का निर्देश दिया था। डीएफओ के नेतृत्व में उक्त लोगों के अवैध आरा मिलों में छापेमारी की गई है। तीनों आरा मशीन के साथ भारी मात्रा में कीमती लकड़ी मसलन शीशम, कटहल, गमहार, आम, केशीया, महुआ, सागवान आदि को जब्त किया गया। कहा कि जमुआ एंव डोरंडा रेंज के अंदर एक भी अवैध आरा मिल का संचालन नहीं होने दिया जाएगा। इधर, इस कार्रवाई को देख अवैध रूप से संचालित आरा मिलों संचालकों में हड़कंप मचा हुआ है। छापेमारी में धनवार के वन रोपण पदाधिकारी राजनारायण शर्मा, गिरिडीह के एसएम तिग्गा, जमुआ फोरेस्टर कुलदीप शर्मा, नागेन्द्र ¨सह आदि शामिल थे।

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अवैध आरा मिलों में छापेमारी की सूचना हो गई थी लीक

संवाद सहयोगी, हीरोडीह (गिरिडीह) : जमुआ प्रखंड में वर्षों से चल रहे अवैध आरा मिलों में हुई छापेमारी के बाद धंधेबाजों में दहशत है। हालांकि यह खलबली कब तक रहेगी, इस पर संशय बना हुआ है क्योंकि छापेमारी के पूर्व जिस प्रकार अवैध आरा मिल संचालकों ने अपनी-अपनी दुकान समेट ली थी, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि इस छापेमारी की जानकारी उन लोगों तक पहुंच चुकी थी। यदि इस बात से विभाग के पदाधिकारी इन्कार करते हैं तो इस यक्ष प्रश्न का उनके पास क्या उत्तर है कि छापेमारी के दौरान वर्षो से चल रहे आरा मिल एकाएक बंद कैसे हो गए। इसके पूर्व भी छापेमारी की गई थी। उसके बावजूद ये लोग आरा मिलों का संचालन किसके निर्देश पर कर रहे थे, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। लोगों की शिकायत के बाद भी वर्षो तक संचालकों के विरुद्ध कार्रवाई क्यों नहीं हो पा रही थी। इधर, प्रशासन के इस प्रयास की लोगों ने सराहना करते हुए कहा कि इन अवैध आरा मिलों में हरे पेड़ों की कटाई कर उसका उपयोग किया जा रहा था, जो अब शायद बंद हो जाएगा। इनकी मानें तो अब भी जमुआ प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध आरा मिलों का संचालन हो रहा है। इनके विरुद्ध भी कार्रवाई की होनी चाहिए। लोगों का कहना है कि अवैध रूप से संचालित आरा मिल संचालकों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि ऐसे लोगों का मनोबल टूटे।


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