संविधान में प्राप्त है बंदियों को अधिकार : सीजेएम
गिरिडीह स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ पर देशभर में अमृत महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है
गिरिडीह : स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ पर देशभर में अमृत महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इसे लेकर राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार के निर्देश पर शुक्रवार को गिरिडीह सेंट्रल जेल में कानूनी जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। करीब डेढ़ साल बाद जेल में शिविर लगा। बंदियों को कानून की जानकारी देते हुए सीजेएम मिथिलेश कुमार सिंह ने कहा कि देश में जन्म लेने के साथ ही उस बच्चे को मौलिक अधिकार मिल जाता है। संविधान में बंदियों को भी अधिकार दिए गए हैं। कोई भी बंदी अपने अधिकार से वंचित नहीं रहे, इसके लिए उन्हें निश्शुल्क कानूनी सहायता देने का प्रावधान है। बंदी कोई भी हो उसे देश के किसी भी न्यायालय में निश्शुल्क कानूनी सहायता दी जाती है।
-कर्तव्य प्रोजेक्ट के लिए बंदियों ने दिया आवेदन : संचालन करते हुए डालसा के सचिव संदीप कुमार बर्तम ने बंदियों को दी जानेवाली विधिक सहायता के बारे में जानकारी दी। कहा कि जो बंदी स्वयं के खर्च पर अपना अधिवक्ता रखने में असमर्थ हैं उन्हें जिला विधिक सेवा प्राधिकार से निश्शुल्क अधिवक्ता तत्काल मुहैया कराया जाता है। झालसा लांच किए गए प्रोजेक्ट कर्तव्य के तहत बंदियों के स्वजनों को सरकारी जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए निरंतर कार्य कर रहा है। वैसे बंदी जो अपने घर के एकमात्र कमाऊ सदस्य थे तथा वर्तमान में वह कारा में सीमित हैं उनके परिवार के लोगों को सरकारी जनकल्याणकारी योजनाओं जैसे खाद्यान्न योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, वृद्ध माता पिता के लिए वृद्धावस्था पेंशन योजना, विद्यालय में बच्चों का निश्शुल्क नामांकन एवं छात्रवृत्ति योजना सहित अन्य आवश्यक योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। उन्होंने बंदियों से इस संबंध में आवेदन देने को कहा जिसमें कई बंदियों ने निश्शुल्क अधिवक्ता के लिए एवं प्रोजेक्ट कर्तव्य के तहत लाभ को आवेदन दिया। प्रशिक्षु न्यायिक दंडाधिकारी, अभिनंदन पांडेय, जेल पैनल अधिवक्ता एके सिन्हा तथा शमशुल होदा ने भी संबोधित किया। इस दौरान जेलर अजय कुमार श्रीवास्तव, जेलकर्मी सकलदेव पंडित, न्यायालय कर्मी नवनीत दाराद, देवेंद्र कुमार दास, पीएलवी रमेश मंडल, अभिषेक कुमार, संजय राय आदि मौजूद थे।