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स्कूलों में फंड नहीं, अपनी जेब ढिली कर रहे शिक्षक

गिरिडीह जिले के सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में फंड का टोटा लग गया है। इस वित्तीय वर्ष मे

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Feb 2021 04:33 PM (IST)Updated: Sat, 20 Feb 2021 04:33 PM (IST)
स्कूलों में फंड नहीं, अपनी जेब ढिली कर रहे शिक्षक
स्कूलों में फंड नहीं, अपनी जेब ढिली कर रहे शिक्षक

गिरिडीह : जिले के सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में फंड का टोटा लग गया है। इस वित्तीय वर्ष में विद्यालयों को अब तक किसी भी तरह की अनुदान राशि नहीं मिली है। इससे शिक्षकों को विद्यालयों के संचालन और विभागीय कार्यो के निष्पादन में परेशानी हो रही है। इसके लिए उन्हें अपनी जेब ढिली करनी पड़ रही है।

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सरकार की ओर से विद्यालयों को हर साल अनुदान राशि दी जाती रही है। इस राशि से विद्यालयों के विकास, संचालन सहित अन्य विभागीय कार्य किए जाते हैं, लेकिन इस वर्ष अब तक अनुदान राशि नहीं मिली है, जबकि शिक्षकों को नियमित रूप से सभी तरह के कार्यो का निष्पादन करना पड़ रहा है। इसके अलावा विभाग की ओर से समय-सयम पर मांगी जानेवाली रिपोर्ट भी वे उपलब्ध कराते रहे हैं। एमडीएम के खाद्यान्न का उठाव व वितरण तथा इससे संबंधित प्रतिवेदन भी उन्हें देना पड़ रहा है। इन सब कार्यो में होने वाला व्यय उन्हें अपनी जेब से करनी पड़ रही है, लेकिन उनकी जेब भी अब जवाब देने लगी है।

शिक्षक दीपक कुमार ने कहा कि अनुदान राशि नहीं मिलने के कारण परेशानी हो रही है। विद्यालय की साफ-सफाई, पंजियों का संधारण, विभाग को रिपोर्ट उपलब्ध कराने आदि कार्यो में अपने से खर्च करना पड़ रहा है। राज कुमार वर्मा ने कहा कि बच्चों को साप्ताहिक कैलेंडर देना है, जिसमें काफी खर्च होता है। राशि के अभाव में बच्चों को यह नियमित रूप से नहीं मिल पा रहा है। झारखंड स्टेट प्राइमरी टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक मिश्र ने बताया कि शिक्षकों को सैनिटाइजर, मास्क, पंजी आदि उधार खरीदना पड़ रहा है। फंड के अभाव में विद्यालयों का रंग-रोगन भी नहीं हो पा रहा है। बच्चों के बीच सिलेबस बांटने में भी परेशानी हुई है।

एक से स्कूल आएंगे आठवीं कक्षा के बच्चे : सरकार ने एक मार्च से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को स्कूल आने की अनुमति दे दी है। इसके पूर्व विद्यालयों को सैनिटाइज करना जरूरी है। उनके लिए सैनिटाइजर, मास्क आदि की भी व्यवस्था करनी होगी, लेकिन स्कूलों में इसके लिए कोई फंड नहीं है। शिक्षकों के लिए यह भी चिता का कारण है कि बिना सैनिटाइज किए बच्चों को स्कूल कैसे बुलाया जाए।


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