दूसरे का नंबर भेज पेटीएम में चढ़वाकर करता है ठगी
गिरिडीह सरकार साइबर अपराध को रोकने के लिए नए कड़े कानून बनाती है। वहीं साइबर अपर
गिरिडीह : सरकार साइबर अपराध को रोकने के लिए नए कड़े कानून बनाती है। वहीं साइबर अपराधी नित्य नए प्रयोग कर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। अब पेटीएम की इंक्वायरी भी लोगों पर भारी पड़ रही है। पेटीएम से भी साइबर ठगी की जा रही है। यह खुलासा खुद साइबर आरोपित ने किया है। पुलिस के हत्थे चढ़ा साइबर आरोपित महाबीर मंडल, अशोक मंडल, सुभाष मंडल आदि ने कई राज खोले हैं।
इन साइबर आरोपितों ने बताया कि तीन सालों में आठ लाख रुपये लोगों से ठगी कर कमाया है। अब आम जनता भी जागरूक हो चुकी है इसलिए साइबर ठगी के नित्य नए प्रयोग किए जाते हैं। इसमें सफलता मिलती है। अब लोग पेटीएम का उपयोग ज्यादा करते हैं इसलिए साइबर अपराध करनेवालों ने उसी में ध्यान लगा रखा है। पेटीएम केवाईसी के नाम से लोगों को फर्जी काल करते हैं। कहते हैं कि पेटीएम एकाउंट चालू करने की बात कहकर एक लिक भेजते हैं। लिक को ओपन करते ही मोबाइल नंबर और पेटीएम पासवर्ड का ऑप्शन आता है। जैसे ही मोबाइल नंबर और पासवर्ड भरा जाता है वह साइबर अपराधी के पास चला आता है। पासवर्ड आते ही खाताधारक का पैसा ट्रांसफर हो जाता है। इसके लिए सभी पेटीएम के रजिस्टर्ड नंबरों पर बल्क एसएमएस से चढ़ाया जाता है। ग्राहक जब उस नंबर से काल करते हैं तो इधर उसके खाते से रुपया साफ हो जाता है। बताया कि नए नियम के तहत एक हजार से चालीस हजार तक की ही राशि एक खाते से ट्रांसफर हो सकती है। साइबर आरोपित सुबह से शाम तक लगातार एक सौ लोगों को बैंक मैनेजर बनकर कॉल करते हैं। इनमें से कुछ इनके झांसे में आकर ठगी का शिकार हो जाते हैं।