गिरिडीह में मेडिकल कॉलेज को केंद्र से एमओयू करेगी सरकार
सदर अस्पताल एवं जिले के सभी रेफरल अस्पतालों को जोड़कर गिरिडीह जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने की तैयारी शुरू कर दी गयी है। केंद्र सरकार के साथ झारखंड सरकार इसके लिए एमओयू करेगी। इसका प्रस्ताव राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को भेज दिया है।
जागरण संवाददाता, गिरिडीह : सदर अस्पताल एवं जिले के सभी रेफरल अस्पतालों को जोड़कर गिरिडीह जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने की तैयारी शुरू कर दी गयी है। केंद्र सरकार के साथ झारखंड सरकार इसके लिए एमओयू करेगी। इसका प्रस्ताव राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को भेज दिया है। गिरिडीह के झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार सोनू के तारांकित प्रश्न का जवाब देते हुए स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने विधानसभा में यह जानकारी दी है।
मंत्री ने बताया कि केंद्र प्रायोजित योजना अंतर्गत फेज तीन के तहत यह प्रस्ताव भेजा गया है। गिरिडीह में मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए भवन निर्माण के गाइडलाइन के अनुसार आवश्यक भूमि स्वास्थ्य विभाग को हस्तांतरित कर प्रतिवेदन गिरिडीह के डीसी से मांगा गया है। इधर बगोदर के भाकपा माले विधायक विनोद सिंह ने भी गिरिडीह के अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी का मामला विधानसभा में उठाया था।
विधायक के एक और सवाल के जवाब में मंत्री ने स्वीकार किया कि गिरिडीह सदर अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ नहीं हैं। यहां मात्र दो शिशु रोग विशेषज्ञ एवं एक पैथलोजिस्ट हैं। एक रेडियोलॉजिस्ट पदस्थापित जरूर हैं लेकिन वे अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित हैं। मंत्री ने बताया कि विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता के आधार पर सदर अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की पदस्थापना पर सरकार विचार करेगी।
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विनोद सिंह ने विस में उठाया ओरब्रिज का मामला
संस, सरिया (गिरिडीह): सरिया की सबसे बड़ी समस्या रेलवे फाटक के पास लगनेवाला जाम है। इससे मुक्ति को लेकर बगोदर के विधायक विनोद कुमार सिंह ने विधानसभा के सत्र में इस मामले को उठाया। धनबाद-गया ग्रैंडकोर्ड रेलमार्ग स्थित रेलवे गुमटी 20 बी-3 टी के पास रेलवे ओवरब्रिज तथा बाईपास सड़क निर्माण से जुड़े सवाल विधानसभा सत्र में विधायक ने रखा। इस सवाल पर जवाब मिला कि खोरीमहुआ, धनवार, सरिया पथ के बीच में पड़ने वाले उक्त रेलवे फाटक पर रेलवे ओवरब्रिज निर्माण की स्वीकृति राज्य सरकार द्वारा दी जा चुकी है। इसके लिए राज्य सरकार ने अपना 50 फीसद अंशदान 21 करोड़ 42 लाख 45 हजार 997 की स्वीकृति वर्ष 2013 में ही दे चुकी है। रेलवे ओवरब्रिज निर्माण के लिए विभाग द्वारा निविदा भी निकाली गई थी, परंतु रेलवे फाटक के दोनों ओर स्थानीय निवासियों की अत्यधिक भूमि पर अतिक्रमण करने के कारण निविदाकारों ने इसमें रुचि नहीं दिखाई। इस कारण निविदा रद कर दी गई। रेलवे ने वैकल्पिक सुझाव देते हुए बाईपास निर्माण को लेकर विभागीय सर्वे करवाया। इस पर राज्य सरकार को कुल 35. 87 एकड़ भूमि अधिग्रहण करनी पड़ेगी। इसमें राज्य सरकार को आरओबी निर्माण में होनेवाले खर्च के अलावा 348 करोड़ अतिरिक्त राशि का वहन करना पड़ेगा। इस कारण राज्य सरकार ने रेलवे के सुझाव को निरस्त कर दिया। मुख्य सचिव की समीक्षात्मक बैठक में निर्णय लेते हुए निर्देश दिया गया है कि आरओबी निर्माण के लिए जितनी भी सरकारी एवं रैयती भूमि की आवश्यकता है उसकी जानकारी राज्य सरकार को उपलब्ध करवाई जाए। साथ ही मुआवजे की राशि का भी आकलन कर रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपने को उपायुक्त गिरिडीह को निर्देश दिया गया है। सरिया स्थित रेलवे फाटक के पास मुख्य मार्ग से ही रेलवे ओवरब्रिज निर्माण का कार्य प्रारंभ करने के लिए केंद्र सरकार ने भी राशि मुहैया करवा दी है।