बगोदर में बदहाल स्वास्थ्य सुविधा किसी के एजेंडे में नहीं
झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर बगोदर विधानसभा के सभी राजनीतिक दल के नेता चुनावी कार्यो में व्यस्त हैं लेकिन सरिया की लगभग डेढ़ लाख से भी अधिक आबादी कैसे स्वस्थ रहे इसकी सुध लेनेवाला कोई नहीं है।
किशुन कुशवाहा, सरिया (गिरिडीह) : झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर बगोदर विधानसभा के सभी राजनीतिक दल के नेता चुनावी कार्यो में व्यस्त हैं, लेकिन सरिया की लगभग डेढ़ लाख से भी अधिक आबादी कैसे स्वस्थ रहे, इसकी सुध लेनेवाला कोई नहीं है। सरिया अस्पताल में मूलभूत जरूरतों की ओर किसी भी राजनीतिक दल का ध्यान नहीं है। वर्षो बाद भी सरिया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उपेक्षा का शिकार है। वर्षो से भवन निर्माण कार्य लंबित पड़ा है। अस्पताल में एक भी एमबीबीएस चिकित्सक पदस्थापित नहीं हैं। स्वास्थ्य विभाग भगवान भरोसे चल रहा है। अस्पताल परिसर में गंदगी का अंबार है। हमेशा असामाजिक तत्वों का जमावड़ा अस्पताल परिसर मे बना रहता है लेकिन इसकी सुध लेनेवाला ना तो विभाग है ना ही हमारे जनप्रतिनिधि जिस कारण आम आवाम में काफी रोष है। इसका परिणाम आगामी विधानसभा चुनाव में जनप्रतिनिधियों को झेलना पड़ सकता है। सरिया जैसे स्थान पर स्वास्थ्य सुविधा कि इतनी लचर व्यवस्था इस विस चुनाव के में स्थानीय जनता के लिए सबसे बड़ा मुद्दा है।
सरिया में कहने को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित है। इस अस्पताल के गेट के ताले सरकारी स्कूलों की तरह सुबह नौ बजे खुलते हैं और संध्या चार बजते ही गेट पर बड़े-बड़े ताले लटके हुए नजर आते हैं। इस बीच किसी को इलाज कराना हो या कोई सड़क दुर्घटना में घायल हो गए हों तो उनकी जिदगी भगवान भरोसे रहती है। मजबूरन लोगों को बगोदर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का सहारा लेकर अपने जीवन ऊपरवाले के भरोसे छोड़ना पड़ता है। कोई भी चिकित्साकर्मी सरिया अस्पताल परिसर में रहना मुनासिब नहीं समझते हैं। हां लंबी लड़ाई व आंदोलन के बाद विभाग के एएनएम के भरोसे बच्चों की डिलेवरी का कार्य करवाया जाता है।
क्या है लोगों की राय: सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र प्रसाद ने कहा कि सरिया जरूर अनुमंडल बन गया कितु स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाओं की घोर कमी है। ना तो अस्पताल में डॉक्टर है और न ही भवन। पंचायत समिति सदस्य संगीता देवी ने कहा कि अस्पताल में डॉक्टर नहीं रहने से अचानक किसी की तबीयत खराब होने या दुर्घटना होने पर आम आवाम को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। वैसी परिस्थिति में इलाज के लिए उन्हें बड़े शहरों की ओर रुख करना पड़ता है। अशोक कुमार पांडेय ने कहा कि सरिया अस्पताल की स्थिति दयनीय है। अस्पताल परिसर में आवारा पशुओं का जमावड़ा बना रहता है। डॉक्टर का कोई पता ही नहीं रहता है। आगामी विधानसभा चुनाव में यहां की जनता जनप्रतिनिधियों को सबक सिखाएगी। युवा विकास कुमार साहू ने कहा कि सरिया स्वास्थ्य केंद्र आज भी बगोदर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीन चल रहा है जिस कारण इस अस्पताल में वर्षों से समस्या जस की तस बनी हुई है ।बीजेपी की डबल इंजन सरकार ने भी इस अस्पताल की स्थिति को सुधारने में कोई ध्यान नहीं दिया जो दुर्भाग्यपूर्ण है। व्यवसाई नंद किशोर पांडे ने कहा कि काफी आंदोलन के पश्चात अस्पताल में भवन निर्माण का शिलान्यास कार्य 2008 में शुरू हुआ, लेकिन लंबे समय के बाद भी आज भी स्वास्थ्य केंद्र अधूरा पड़ा है। अस्पताल में डॉक्टरों की घोर कमी है। ग्रामीण इलाज करवाने के लिए अस्पताल आते हैं लेकिन इलाज किए बगैर बैरंग लौट जाते हैं। गणेश महतो ने कहा कि सरिया में डॉक्टर के नहीं रहने के कारण अचानक बीमार पड़ने या छोटी-मोटी दुर्घटना का शिकार होने पर इलाज करने के लिए दूसरे शहरों की शरण लेनी पड़ती है। ऐसी परिस्थिति में गरीबों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। आगामी विधानसभा चुनाव में ऐसे प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करेंगे जो सरिया अस्पताल की स्थिति को सुधारने में सार्थक पहल करेंगे।