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सदर अस्पताल में प्रसव के बाद महिला की मौत

जागरण संवाददाता, गिरिडीह : सदर अस्पताल में चिकित्सकों की लापरवाही थमने का नाम नहीं ले र

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Jul 2018 08:57 AM (IST)Updated: Mon, 16 Jul 2018 08:57 AM (IST)
सदर अस्पताल में प्रसव के बाद महिला की मौत
सदर अस्पताल में प्रसव के बाद महिला की मौत

जागरण संवाददाता, गिरिडीह : सदर अस्पताल में चिकित्सकों की लापरवाही थमने का नाम नहीं ले रही है। इसी के साथ यहां इलाज के लिए आने वाले मरीजों की मौत होने का सिलसिला भी जारी है। रविवार को फिर एक महिला चिकित्सकों की लापरवाही की भेंट चढ़ गई। प्रसव के बाद उचित इलाज और देखभाल नहीं होने के कारण महिला की मौत हो गई। मृतका बेंगाबाद थाना अंतर्गत खुरचुट्टा गांव की रूबी देवी (20) थी। उसका यह पहला प्रसव था। महिला की मौत को जिला प्रशासन ने गंभीरता से लिया है। उपायुक्त मनोज कुमार के निर्देश पर एसडीओ विजया जाधव अस्पताल पहुंची और घटना की जानकारी ली। साथ ही चिकित्सकों द्वारा आनन-फानन में एंबुलेंस से घर भेजे जा रहे महिला के शव को ले जाने से मना कर दिया। फिर कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। बताया जाता है कि रामू तुरी की पत्नी रूबी देवी को प्रसव पीड़ा शुरू होने पर परिजन उसे शनिवार देर रात को सदर अस्पताल लेकर आए। अस्पताल पहुंचने पर वाहन में ही महिला का प्रसव हो गया। उसने एक स्वस्थ बेटी को जना था। इसके बाद उसे भर्ती किया गया, लेकिन उसका इलाज करने के लिए कोई चिकित्सक नहीं थी। ड्यूटी पर मौजूद नर्स के भरोसे उसे छोड़ दिया गया। नर्स ने ही उसे दवा और इंजेक्शन दिया। रविवार सुबह डॉक्टर रेखा झा पहुंची और उसकी जांच की। इसके बाद उन्होंने महिला की स्थिति गंभीर बताते हुए उसे धनबाद ले जाने की सलाह परिजनों को दी। परिजन धनबाद ले जाने की तैयारी कर ही रहे थे कि करीब 10:30 बजे उसकी मौत हो गई। हालांकि इसके पहले वह बाथरूम गई थी और चाय भी पी थी। घटना को लेकर परिजनों ने नगर थाना में आवेदन दिया है।

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एसडीओ ने ली घटना की जानकारी, चिकित्सकों को ठहराया जिम्मेवार : उपायुक्त के निर्देश पर अस्पताल पहुंची एसडीओ विजया जाधव ने वहां मौजूद डॉ. सर्जना शर्मा, डॉ. रेखा झा सहित कर्मियों से जानकारी ली। उन्होंने मृतका के परिजनों से भी पूरे मामले की जानकारी ली। इस क्रम में पूरी तरह चिकित्सकों की लापरवाही सामने आई। इसे लेकर उन्होंने चिकित्सकों को फटकार भी लगाई। एसडीओ जाधव ने बताया कि महिला के इलाज में लापरवाही बरती गई है। रात 1:55 बजे महिला को अस्पताल लाया जाता है। अस्पताल पहुंचते ही गेट के पास उसका प्रसव हो जाता है। इसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती तो किया जाता है, लेकिन डाक्टर के नहीं रहने के कारण उसका सही से इलाज नहीं हो पाता है। बताया कि महिला के इलाज में किस कदर लापरवाही बरती गई है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हीमोग्लोबिन जांच के लिए आज सुबह 6:26 बजे उसके खून का सैंपल लिया गया। इसी समय उसकी बीपी, प्लस आदि भी जांच की गई। सवाल उठता है कि जब रात में ही महिला को अस्पताल में भर्ती का दिया गया था तो हीमोग्लोबिन आदि की जांच में इतना विलंब क्यों किया गया। यह जांच का विषय है। वह मामले की पूरी रिपोर्ट उपायुक्त को सौपेंगी।

कहा कि गत दिन अस्पताल में इलाज के अभाव में अनिता देवी की मौत हो गई थी। ठीक वैसा ही मामला यह भी है। बताया कि रूबी की मौत का कारण चिकित्सक खून की कमी बता रहे हैं। यदि ऐसा है तो क्यों नहीं समय रहते हीमोग्लोबिन जांच की खून की व्यवस्था की गई। यदि समय पर यह पता चल जाता कि महिला को खून की कमी है, तो उसकी जान बच सकती थी। अपनी उपस्थिति में कराया पोस्टमार्टम :बता दें कि महिला की मौत के बाद चिकित्सक आनन-फानन में कागजी प्रक्रिया पूरी कर शव को एंबुलेंस से परिजनों के साथ उसका घर भेज रहे थे। इसी बीच किसी ने इसकी सूचना उपायुक्त को दे दी। उपायुक्त के निर्देश पर एसडीओ पहुंची और शव को ले जाने से रोकते हुए उसे एंबुलेंस से उतरवाया। साथ ही कहा कि उपायुक्त ने शव का पोस्टमार्टम कराने का आदेश दिया है। फिर आवश्यक कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद उन्होंने ने अपनी उपस्थिति में शव का पोस्टमार्टम कराया।

पोस्टमार्टम करने से कतराते रहे चिकित्सक :अचानक एसडीओ के पहुंचने और शव का पोस्टमार्टम कराने की बात कहते ही वहां मौजूद चिकित्सकों के होश उड़ गए।

डॉ. बीएन झा ने यहां तक कह दिया कि पोस्टमार्टम कराने की आवश्यकता नहीं है। परिजन भी इसके लिए तैयार नहीं हैं। इसपर एसडीओ ने उनकी क्लास ली। कहा कि यह उपायुक्त का आदेश है। पोस्टमार्टम तो होगा ही। साथ ही उन्होंने मोबाइल पर उनकी उपायुक्त से बात भी करा दी। उपायुक्त से बात करने के बाद उनकी बोलती बंद हो गई। इसलिए मीडिया पर भड़कीं डॉ. सर्जना : रूबी की मौत और रात में किस महिला डाक्टर की ड्यूटी थी, इसके बारे में पूछने पर डा. सर्जना शर्मा मीडिया कर्मियों पर भड़क गईं। कहा कि पहले कागज तैयार कर शव को परिजनों के हवाले करें या फिर आप लोगों को जानकारी दें। कागज तैयार करने के बाद आप लोगों से बात करूंगी। इस पर वहां उपस्थित लोगों का कहना था कि काश ! चिकित्सक इतनी तत्परता महिला के इलाज में दिखाई होती, तो शायद अभी वह ¨जदा होती। लोगों का यह भी कहना था कि जल्द से जल्द कागजी प्रक्रिया पूरी कर शव को घर भेज चिकित्सक इससे ¨पड छुड़ाना चाहते थे, लेकिन येन मौके पर एसडीओ पहुंच गई और सभी के मंसूबे पर पानी फेर दी। --------------------------

खून की कमी का बहाना बनाते चिकित्सक : महिला की मौत होने की सूचना मिलने पर रेडक्रास के सचिव सह पूर्व नप उपाध्यक्ष राकेश मोदी भी अस्पताल पहुंचे और घटना की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि सदर अस्पताल में लगातार मरीजों की मौत हो रही है। मौत का कारण खून की कमी बताया जाता है। यही बहाना बनाकर मरीजों को रेफर भी कर दिया जाता है, लेकिन अस्पताल की ओर से रेडक्रास से अब तक कभी भी खून की मांग नहीं की गई है। यहां खून उपलब्ध रहता है। उनके कई लोग भी मरीजों के लिए खून की व्यवस्था करने में हमेशा तत्पर रहते हैं। कहा कि यहां के चिकित्सकों की मनमानी काफी बढ़ गई है। इस पर अंकुश लगना जरूरी है।

इलाज में नहीं हुई लापरवाही : सीएस

सिविल सर्जन डॉ. रामरेखा प्रसाद ने कहा कि महिला के इलाज में लापरवाही नहीं बरती गई है, लेकिन इस तरह के मामले में चिकित्सक को ही दोषी ठहराया जाता है। कहा कि महिला का प्रसव बाहर में ही हो गया था। बाद में उसे अस्पताल लाया गया। इसके बाद उसे भर्ती कर नर्सों ने नाड़ी आदि काटी। रात में महिला चिकित्सक बुलाने पर आती हैं। चूंकि महिला की स्थिति सामान्य थी, इसलिए नर्स ने चिकित्सक को सूचना नहीं दी। सुबह डा. संजना शर्मा आई और लगातार मरीज के साथ रहकर इलाज की। ..और महिला को बता दिया मिर्गी की मरीज

जासं, गिरिडीह : मौत के बाद परिजनों ने रूबी देवी को मिर्गी की मरीज तक करार दे दिया। मृतका की सास हेमिया देवी और रिश्तेदार संजू देवी ने बताया कि रूबी को घर पर ही प्रसव पीड़ा शुरू हुई थी। इसे देख गांव से दाई को बुलाया गया, लेकिन दाई ने डाक्टर को बुलाने की सलाह दी। इस पर गांव के ही एक डाक्टर को बुलाया गया। डाक्टर ने उसे तत्काल गिरिडीह ले जाने की बात कही। फिर उसे दो प्राईवेट अस्पताल में लेकर गए, लेकिन कहीं भी भर्ती नहीं लिया गया। अंत में उसे सदर अस्पताल लाया गया। यहां पहुंचते ही उसका प्रसव हो गया। बताया कि रूबी को मिर्गी का दौरा पड़ता था। प्रसव पीड़ा के दौरान और बच्चा होने के बाद भी उसे कई बार दौरा पड़ चुका था। बताया कि अस्पताल में नर्सों ने रूबी को दवा-सूई तो दी, लेकिन रात में कोई डाक्टर नहीं आए।

मृतका के पिता कौआकोल निवासी दुखाराम तुरी ने बताया कि रूबी को कभी मिर्गी का दौरा नहीं पड़ा था। वह इसकी मरीज नहीं थी। उसके ससुराल वाले गलत बोल रहे हैं। कहा कि डाक्टर और ससुराल वालों की लापरवाही के कारण रूबी की मौत हुई है।

इधर, लोगों का कहना है कि चिकित्सकों की लापरवाही के कारण महिला की हुई मौत पर पर्दा डालने के लिए उसे मिर्गी की मरीज बताया जा रहा है। डाक्टरों के कहने पर ही मृतका के ससुराल वाले ऐसा कह रहे होंगे। एसडीओ विजया जाधव ने कहा कि मृतका मिर्गी की मरीज थी, ऐसा डाक्टरों ने रिपोर्ट में कहीं भी नहीं लिखा है। ऐसा कहकर मामले को उलझाने और लोगों को दिग्भ्रमित करने का प्रयास किया जा रहा है।


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