इस ट्रेन की बोगी में बच्चे कर रहे पढ़ाई, देख कर लोग हो रहे हैरान
Jharkhand. इस स्कूल में बच्चे मस्ती के साथ पढ़ाई कर रहे हैं। इससे यहां बच्चों की उपस्थिति भी बढ़ी है। सड़क पर आते-जाते लोग इसके साथ ले रहे हैं सेल्फी।
गढ़वा, [दीपक]। गढ़वा जिले के मेराल प्रखंड के गोंदा में एक स्कूल ऐसा है जिसकी बिल्डिंग देख पहली नजर में आप धोखा खा सकते हैं। बाहर से खूबसूरत ट्रेन की बोगी जैसा दिखने वाला यह स्कूल अपनी इसी खासियत की वजह से न सिर्फ बच्चों को खूब भा रहा है, बल्कि राज्यभर में इसके चर्चे हैं। हम बात कर रहे हैं। उत्क्रमित मध्य विद्यालय गोंदा की, जहां की प्रभारी प्राचार्य रीना कुमारी की नई सोच ने इस स्कूल को आकर्षक लुक दे दिया।
खूबसूरत रंग-बिरंगी छटा बिखेरती ट्रेन की बोगी जैसे स्कूल में जब बच्चे घुसते हैं उन्हें दीवारों की पेंटिंग से लेकर कक्षा की बनावट और बैठने की व्यवस्था तक देखकर ट्रेन में सफर करने जैसा अहसास होता है। यहां अब बच्चों की उपस्थिति भी बढ़ गई है। स्कूल के शिक्षक-शिक्षिकाओं के साथ-साथ ग्रामीण भी स्कूल की प्रभारी प्राचार्य रीना कुमारी की इस सोच को सलाम कर रहे हैं।
सड़क से गुजर रहे लोग गाडिय़ां रोक लेने लगे हैं सेल्फी
ट्रेन का रूप दिए गए स्कूल भवन के बरामदे में जब बच्चे एक साथ मध्याह्न भोजन करने बैठते हैं तो वह दृश्य देखते ही बनता है। बच्चों को बैठा देख ऐसा महसूस होता है कि बच्चे ट्रेन के नीचे बैठकर मध्याह्न भोजन कर रहे हैं। स्कूल के छठी कक्षा का छात्रा अभिषेक कुमार, संजय कुमार, कक्षा तीन के छात्र विजय कुमार, वर्ग 8 की रीना कुमारी, मधु मुस्कान आदि ने कहा कि स्कूल भवन को ट्रेन का रूप दिये जाने से न केवल स्कूल की सुंदरता बढ़ी है, बल्कि एनएच-75 सड़क से होकर गुजरने वाले कई लोग अपनी गाड़ी रोककर एक नजर स्कूल को भर नजर देखने के बाद इस भवन के पास खड़ा होकर सेल्फी लेना नहीं भूलते।
बच्चों की बढ़ी उपस्थिति, मन लगाकर कर रहे पढ़ाई
प्रभारी प्राचार्य रीना कुमारी बताती हैं कि विद्यालय को नया रूप देने के बाद स्कूल में नियमित आने वाले छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई है। साथ ही बच्चे मन लगाकर पढ़ाई भी कर रहे हैं। इतना ही नहीं स्कूल के छात्र-छात्राएं और क्या शिक्षक-शिक्षिकाएं सभी स्कूल परिसर को स्वच्छ और सुंदर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। रीना बताती हैं कि देश में आवागमन का एक बड़ा साधन रेल है। बावजूद झारखंड के कई ऐसे गांव हैं जहां के बच्चों ने ट्रेन की सवारी करना तो दूर ट्रेन को नजदीक से देखा भी नहीं है। ऐसे में यह सोच उनमें ट्रेन को करीब से देखने और उसमें सवारी करने का अहसास भरती है।
'स्कूल भवन को इसी साल अप्रैल में रंग-रोगन के माध्यम से ट्रेन का रूप दिया गया है। भवन को ट्रेन का रूप देने से एक तरफ जहां स्कूल में अध्ययनरत बच्चों को कई सवाल का स्वत: जवाब मिल जाता है। वहीं विद्यालय परिसर की खूबसूरती भी बढ़ गई है। बच्चे रोचक तरीके से विद्यालय में शिक्षा प्राप्त कर जीवन में अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकें, मेरी यही सोच है।' -रीता कुमार, प्रभारी प्राचार्य, उमवि, गोंदा (मेराल)।
'स्कूल भवन को ट्रेन का स्वरूप देने की स्कूल की प्रभारी प्राचार्य की परिकल्पना की जितनी तारीफ की जाए, वह कम होगी। वैसे तो सभी विद्यालयों को विद्यालय विकास मद की राशि विद्यालय के सुंदरीकरण समेत अन्य जरूरी कार्यों के लिए दी जाती है, लेकिन उमवि गोंदा की प्रभारी प्राचार्य की इस सोच ने मुग्ध कर दिया है।' -अभय शंकर, जिला शिक्षा पदाधिकारी, गढ़वा।
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