महंगा पड़ा मौखिक आदेश पर प्रभार, नाजिर को होना पड़ा बर्खास्त
सदर प्रखंड के तत्कालीलन बीडीओ मनीषा तिर्की के मौखिक आदेश पर गढ़वा प्रखंड के नाजिर इंदु भूषण ¨सह को पूर्व नाजिर प्रमोद कुमार से आधा-अधूरा प्रभार लेना महंगा पड़ा। प्रभार लेते ही इंदु ¨सह ने कई चेक बुक के पन्ने गायब होने की शिकायत बीडीओ से मिलकर की थी। लेकिन बीडीओ ने आनन-फानन में इंदु भूषण ¨सह के विरुद्ध ही विभिन्न चेक के माध्यम से
दीपक, गढ़वा : सदर प्रखंड के तत्कालीन बीडीओ मनीषा तिर्की के मौखिक आदेश पर गढ़वा प्रखंड के नाजिर इंदु भूषण ¨सह को पूर्व नाजिर प्रमोद कुमार से आधा-अधूरा प्रभार लेना महंगा पड़ा। प्रभार लेते ही इंदु ¨सह ने कई चेक बुक के पन्ने गायब होने की शिकायत बीडीओ से मिलकर की थी। लेकिन बीडीओ ने आनन-फानन में इंदु भूषण ¨सह के विरुद्ध ही विभिन्न चेक के माध्यम से 80 लाख रुपये गबन करने के आरोप में गढ़वा थाना में प्राथमिकी दर्ज करा दी। पुलिस भी प्राथमिकी के आलोक में इंदु भूषण ¨सह को दोषी मानकर गिरफ्तार कर जेल भेज दी। कुछ माह बाद इंदु भूषण ¨सह जेल से जमानत पर रिहा होकर बाहर आए। आवश्यक प्रक्रिया पूरी करने के बाद इन्हें निलंबन मुक्त करते हुए जिला स्थापना शाखा द्वारा अनुमंडल पदाधिकारी नगर उंटारी के कार्यालय में पदस्थापित कर दिया गया। इधर छह वर्ष तक चली जांच के बाद उक्त राशि के गबन का दोषी इंदु भूषण ¨सह को करार देते हुए दो माह पूर्व उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। इस संबंध में दैनिक जागरण द्वारा जिला स्थापना शाखा से सूचना के अधिकार के तहत सूचना मांगी गई। जिला स्थापना शाखा द्वारा दिये गये सूचना से इस पूरे प्रकरण में एक नहीं अनेक खुलासे हुए। मसलन तत्कालीन बीडीओ मनीषा तिर्की द्वारा प्रखंड नाजिर प्रमोद कुमार से नजारत का काम नहीं करा, गैर सरकारी व्यक्ति सतीश ¨सह से नजारत का सारा काम कराने, रोकड़ बही का जांच के प्रति बीडीओ की उदासिनता तथा नजारत में रखे गये विभिन्न चेक बुक के पन्नों के रहस्यम तरीके से गायब होना जैसे मामले सामने आए। वहीं गंभीर अनियमितता बरते जाने के बावजूद बीडीओ के विरुद्ध कार्रवाई नहीं किया जाना इस पूरे प्रकरण को संदेह के घेरे में लाता है। मिली जानकारी के अनुसार इस मामले में तत्कालीन उपायुक्त राजेंद्र प्रताप सिन्हा द्वारा तत्कालीन उप विकास आयुक्त रवींद्र प्रसाद ¨सह की अध्यक्षता में एक जांच टीम गठित कर पूरे मामले की जांच कराई गई थी। जांच दल में डीडीसी के अलावे तत्कालीन सदर एसडीओ ए मुत्थु कुमार तथा कार्यपालक दंडाधिकारी रंजीत कुमार भी शामिल थे। जांच दल द्वारा अपने प्रतिवेदन में स्पष्ट किया गय है कि बर्खास्त किये गये नाजिर इंदु भूषण ¨सह को तत्कालीन प्रखंड नाजिर प्रमोद कुमार द्वारा नजारत का पूर्ण प्रभार नहीं दिया गया। बीडीओ के मौखिक आदेश पर इंदुभूषण ¨सह ने केवल सामान्य रोकड़ बही का ही प्रभार लिया था। इसी दौरान उन्होंने पाया कि विभिन्न चेक बुक से 8 पन्ने गायब हैं। इन्होंने इसकी सूचना अविलंब बीडीओ मनीषा तिर्की को दी। छानबीन में पता चला कि गायब चेक बुकों से 80 लाख रुपये की निकासी विभिन्न बैंकों से कर ली गई है। उक्त पैसे निकासी किसी छ्दम नामधारी अनिल प्रसाद ¨सह एवं अनिल कुमार के नाम पर की गई है। इस छ्दम नामधारी व्यक्ति ने एक ही दस्तावेज के आधार पर बैंक ऑफ इंडिया तथा पंजाब नेशनल बैंक गढ़वा शाखा से उक्त राशि की निकासी की है। जांच दल ने सौंपे गये प्रतिवेदन में इस प्रकरण में तत्कालिन नाजिर इंदु भूषण ¨सह समेत, बीडीओ मनीषा तिर्की, प्रधान सहायक केके यादव, नाजिर प्रमोद कुमार की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े किये। बावजूद इसके अभी तक इनके विरुद्ध कार्रवाई की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी। यह भी सामने नहीं आ सका है कि आखिरकार बीडीओ ने किसके कहने पर किसी गैर सरकारी व्यक्ति सतीश ¨सह को नजारत का संपूर्ण कार्य भार सौंपा था। क्योंकि जांच दल के समक्ष पूर्व नाजिर प्रमोद कुमार ने भी स्वीकार किया है कि उनके योगदान देने से पहले से ही सतीश ¨सह नजारत का सारा कार्यभार करते आ रहे थे। इसके एवज में प्रखंड कार्यालय से सतिश ¨सह को किसी प्रकार का मानदेय भी नहीं दिया जाता था। इस बात का खुलासा होना अपने-अपने आप में कई सवालों को खड़ा कर रहा है।