अपने अस्तित्व को बचाने को जंग लड़ रहा रामबांध तालाब
गढ़वा : पुराने जमाने की अपेक्षा जिले में ताल तलैया व तालाबों की संख्या में अप्रत्याशित कमी आई है। जब
गढ़वा : पुराने जमाने की अपेक्षा जिले में ताल तलैया व तालाबों की संख्या में अप्रत्याशित कमी आई है। जबकि शहर व आस-पास के इलाके से तो तालाब लगभग गायब ही हो गए हैं। यहीं कारण है कि शहर में वर्षा जल संरक्षण नहीं हो पा रहा है और लोग भीषण जल संकट झेलने को विवश है। इस परिस्थिति के बावजूद यदि शहर के लोग नहीं चेते तो एक समय ऐसा भी आएगा जब लोग पानी पानी के लिए मोहताज हो जाएंगे। गढ़वा शहर के आस-पास तालाब नहीं होने के कारण दिनों दिन भूमिगत जलस्तर नीचे चला जा रहा है। कई इलाके तो ऐसे हैं जहां 300 फीट बो¨रग किए जाने के बाद भी लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा है । इसका मूल कारण वर्षा जल का संरक्षण नहीं हो पाना है। लोग वर्षा जल को संरक्षित करने के प्रति गंभीर नहीं हैं। वर्षा होने पर वर्षा का पानी नालियों में बह जाता है तथा यह जल भविष्य के काम नहीं आ पाता। मालूम हो कि तालाब, ताल तलैये मुख्य जलश्रोत हैं। जिसके माध्यम से हम वर्षा जल को संग्रहित कर सकते हैं तथा तालाब में संग्रहित जल का उपयोग सालों भर सकते हैं। तालाब में जल संरक्षित होने से आस-पास के इलाके का भूमिगत जलस्तर भी ऊपर आता है तथा लोगों को पेयजल संकट नहीं झेलना पड़ता। गढ़वा शहर के बीचों बीच सोनपुरवा में एक मात्र रामबांध तालाब हैं। जिसमें सालों भर पानी रहता है। लोग इसके पानी का उपयोग भी करते हैं। मगर रामबांध तालाब की उपेक्षा के कारण यह भी अपना अस्तित्व बचाने की जंग लड़ रहा है। तालाब के आस-पास फैली गंदगी तथा तालाब में फेंके जाने वाला कूड़ा कचरा इसके अस्तित्व को खत्म करने पर तुला है। यदि लोग इसके प्रति गंभीर नहीं हुए तो गढ़वा शहर से यह तालाब भी जलविहीन हो जाएगा तथा लोगों को पानी के लिए तरसना पड़ेगा। जानकारी के अनुसार रामबांध तालाब 200 वर्ष पुराना है मगर इसकी समुचित देखरेख नहीं हो पाने के कारण यह तालाब अपना अस्तित्व खो रहा है। इसके लिए सभी को आगे आने की जरूरत है।