झासा के अधिकारी काला बिल्ला लगाकर कर रहे काम
झासा के अधिकारी काला बिल्ला लगाकर कर रहे काम: फोटो, काला बिल्ला लगा काम करते बीडीओ अमित कुमार: श्री बंशीधर नगर: - बुधवार से झासा के अधिकारियों का आंदोलन शुरू हो गया है। पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत प्रखंड विकास पदाधिकारी अमित कुमार, सीओ अरुणिमा एक्का सहित अन्य झासा के पदाधिकारी काला बिल्ला लगाकर अपने अपने कार्यालय में काम कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार सरकार पर अनसुनी का आरोप लगाते हुए झासा ने आंदोलन का ऐलान किया था। बीडीओ अमित कुमार ने बताया कि इसके तहत 16 से 20 जनवरी तक काला बिल्ला लगाकर काम किया जाएगा।: - इन मांगों को लेकर कर रहे आंदोलन: - झासा की मुख्य मांगो में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर पे बैंड 3 का वेतनमान एडीशनल सेक्रेट्री व स्पेशल सेक्रेट्री के वेतनमान को अपग्रेड करते हुए
श्री बंशीधर नगर: बुधवार से झासा के अधिकारियों का आंदोलन शुरू हो गया है। पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत प्रखंड विकास पदाधिकारी अमित कुमार, सीओ अरुणिमा एक्का सहित अन्य झासा के पदाधिकारी काला बिल्ला लगाकर अपने अपने कार्यालय में काम कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार सरकार पर अनसुनी का आरोप लगाते हुए झासा ने आंदोलन का ऐलान किया था। बीडीओ अमित कुमार ने बताया कि इसके तहत 16 से 20 जनवरी तक काला बिल्ला लगाकर काम किया जाएगा।
- इन मांगों को लेकर कर रहे आंदोलन: झासा की मुख्य मांगो में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर पे बैंड 3 का वेतनमान एडीशनल सेक्रेट्री व स्पेशल सेक्रेट्री के वेतनमान को अपग्रेड करते हुए 8900 एवं 10000 करने, झासा के लिए चिन्हित पदों पर दूसरी सेवा के पदाधिकारियों को पदस्थापित नहीं करने, पदाधिकारियों के लंबित प्रमोशन को देने, इसके लिए प्रति वर्ष जनवरी माह में वरीयता पैनल जारी करने, पदाधिकारियों की सुरक्षा के लिए अंचल गार्ड की व्यवस्था करने, चिकित्सा भत्ता 1000 रुपये प्रतिमाह को हटाकर चिकित्सा बीमा लागू करने, चाइल्ड केयर लीव की व्यवस्था करने, रेवेन्यू प्रोटेक्शन एक्ट को लागू करने, झासा कार्यालय भवन के लिए कोकर एरिया में 3 एकड़ जमीन उपलब्ध कराने, एलटीसी की व्यवस्था केंद्र सरकार की तर्ज पर करने, 2017 से आईएएस की रिक्ति को भरना शामिल है। झासा के मुताबिक मुख्य सचिव के द्वारा संघ को यह लिखित आश्वासन 8 महीने पहले दिया गया था, कि सभी मांगों पर सरकार दो महीने के अंदर निर्णय ले लेगी। लेकिन आठ माह बीत जाने के बाद भी मांगें नहीं मानी गई। जिससे क्षुब्ध होकर संघ ने आंदोलन का रूख अख्तियार किया है।