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बिना आवेदन के ही लाभुकों का कर दिया चयन

अंजनी कुमार उपाध्याय गढ़वा जिले में विकास योजनाओं में बिचौलिए किस तरह हावी हैं इसकी

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 07:01 PM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 07:01 PM (IST)
बिना आवेदन के ही लाभुकों का कर दिया चयन
बिना आवेदन के ही लाभुकों का कर दिया चयन

अंजनी कुमार उपाध्याय, गढ़वा :

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जिले में विकास योजनाओं में बिचौलिए किस तरह हावी हैं, इसकी बानगी ज्रेडा की कुसुम योजना में सामने आई है। वर्ष 2019-20 की कुसुम योजना के तहत लाभुकों के चयन प्रक्रिया को लेकर उठे सवालों के बाद उपायुक्त के आदेश से हुई जांच में व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। इसमें बिना आवेदन के भी लाभुकों का चयन कर लिया गया है। वहीं अन्य आवेदनों में भी कई प्रकार की गड़बड़ियां मिली हैं।

-क्या है मामला -

झारखंड अक्षय उर्जा विकास एजेंसी यानी ज्रेडा की कुसुम योजना के तहत सिचाई के लिए किसानों को 90 प्रतिशत अनुदान पर सोलर सिस्टम व पंपिग सेट दिया जाता है। वित्तीय वर्ष 2019-20 की इस योजना में जिले में 400 लाभुकों का चयन किया गया था। लाभुकों के चयन में कृषि विभाग के कुछ कर्मियों पर आवेदकों से 25 हजार रुपये की अवैध वसूली कर चयनित करने का आरोप लगा था। बताया गया कि जिन आवेदकों ने अवैध राशि का भुगतान किया, उन्हें लाभुक की सूची में शामिल किया गया था। इस मामले को लेकर सांसद बीडी राम, गढ़वा के तत्कालीन विधायक सत्येंद्रनाथ तिवारी ने लाभुकों के चयन में अवैध राशि की उगाही पर सवाल खड़े करते हुए जांच की मांग किया था। विधान सभा चुनाव 2019 की अधिसूचना जारी हो जाने के कारण कुसुम योजना लंबित रही। विधानसभा चुनाव के बाद लाभुकों का चयन कर ज्रेडा को सूची भेजी गई। इस बीच कोरोना काल शुरु हो जाने के कारण इस योजना पर ग्रहण लग गया। अगस्त 2020 में ज्रेडा द्वारा लाभुकों से योजना राशि का 10 प्रतिशत रकम का ड्राफ्ट लेकर भेजने संबंधित पत्र उपायुक्त व कृषि विभाग को प्रेषित किया गया। तब राज्य सरकार के मंत्री सह गढ़वा के विधायक मिथिलेश कुमार ठाकुर ने लाभुकों के चयन प्रक्रिया की जांच का निर्देश दे दिया। इस पर उपायुक्त ने जिला कल्याण पदाधिकारी व जिला पंचायती राज पदाधिकारी की दो सदस्यीय जांच टीम गठित कर जांच कराई है। लाभुकों का भौतिक व कागजी सत्यापन में गड़बड़ी मिली है। - हैंडपंप को भी बोर दिखाकर किया गया लाभुक का चयन-

कुसुम योजना के तहत आवेदक के पास, कृषि भूमि व सिचाई कूप या बोर का होना आवश्यक है। लेकिन लाभुकों के चयन में यहां भी गड़बड़झाला किया गया। कई लोगों को बिना आवेदन के ही लाभुक सूची में शामिल कर लिया गया है। मेराल प्रखंड में की गई जांच में 41 चयनित लाभुकों में से सात लोगों का चयन बिना आवेदन के ही कर दिया गया है। इनमें लखेया गांव की चंद्रकांता देवी पति आनंद कुमार, बनुआं गांव के चंद्रिका सिंह पिता स्व किशुन सिंह, रजहारा गांव के कालीचरण बैठा पिता चोनु बैठा, मीना देवी पति अजय राम, गोंदा गांव के विजय मेहता पिता श्रवण महतो, गेरुआ गांव के अखिलेश चौधरी पिता कुलदीप चौधरी व अधौरा गांव के कामेश्वर महतो पिता स्व रामनारायण महतो ऐसे ही चयनित लाभुक हैं, जिनके आवेदन का ही अता पता नहीं है। कई अन्य आवेदनों में आवेदकों की पैतृक भूमि में वंशावली नहीं दिया गया है। इससे जमीन में उनका हिस्सा स्पष्ट नहीं है। अयोग्य होने के बावजूद चयन करने के लिए बाइपास रास्ता चुना गया है। इसी तरह जिनके पास हैंडपंप है, उसे सिचाई बोर दिखा कर लाभुक बना दिया गया है। कई आवेदकों के आवेदन पर उनकी तस्वीर ही नहीं लगी है।


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