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मौसम परिवर्तन को ग्लोबल वार्मिग का प्रभाव मानते हैं लोग

ग्रीष्म ऋतु के चैत महीने में सावन भादो की तरह लगातार हो रही वर्षा से लोग का जीवन व्यस्त हो गए हैं। असमय हो रही रवि फसल का काफी नुकसान हुआ है वही आम आदमी की दिनचर्या प्रभावित हो गयी है। चैत महीने में नदी में बाढ़ का आ आना कपड़ा दुकान में बरसाती की बिक्री होना निश्चित ही लोगों को आश्चर्यचकित कर रहा है। इस तरह से मौसम परिवर्तन को कुछ लोग जहां ग्लोबल वार्मिंग का इफेक्ट बता रहे हो तो कुछ अनहोनी का द्योतक। कारण जो भी हो हर समय अत्यधिक वर्षा से लाभ कम नुकसान ज्यादा हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Mar 2020 06:39 PM (IST)Updated: Sun, 15 Mar 2020 06:39 PM (IST)
मौसम परिवर्तन को ग्लोबल वार्मिग का प्रभाव मानते हैं लोग
मौसम परिवर्तन को ग्लोबल वार्मिग का प्रभाव मानते हैं लोग

संवाद सूत्र, मेराल: ग्रीष्म ऋतु के चैत महीने में सावन-भादो की तरह लगातार हो रही वर्षा से जीवन-व्यस्त हो गया है। असमय हो रही बारिश से रबी फसल को काफी नुकसान हुआ है। वहीं आम आदमी की दिनचर्या प्रभावित हो गयी है। चैत महीने में नदी में बाढ़ का आना, कपड़ा दुकान में बरसाती की बिक्री होना, निश्चित ही लोगों को आश्चर्यचकित कर रहा है। इस तरह से मौसम परिवर्तन को कुछ लोग जहां ग्लोबल वार्मिंग का इंफेक्ट बता रहे हो तो कुछ अनहोनी का द्योतक। कारण जो भी हो हर समय अत्यधिक वर्षा से लाभ कम नुकसान ज्यादा हो रहा है। 80 वर्षीय वृद्ध मुंशी महतो तथा 78 वर्षीय सूर्यदेव साह का कहना है कि अपने जीवनकाल में इस महीने में इस तरह की वर्षा नहीं देखी थी। बरसात होती भी थी तो अधिक से अधिक एक-दो दिन तक। किसानों का कहना है कि लगातार एक सप्ताह से हो रही वर्षा के कारण सरसो, मटर, अरहर, गेहूं सहित आम तथा महुआ के फसल को भारी नुकसान हुआ है। मेराल प्रखंड से होकर बह रहे दानरो, सरस्वतिया तथा यूरिया नदी में पानी का प्रवाह शुरू हो गया है।

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