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अखिल भारतीय आदिवासी महासभा ने दिया धरना

बड़गड़ - स्थानीय प्रखण्ड कार्यालय के समक्ष शनिवार को अखिल भारतीय आदिवासी महासभा की बड़गड़ प्रखण्ड इकाई द्वारा अपनी विभिन्न मांगो के समर्थन में एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया गया । इस मौके पर आदिवासी महासभा के केंद्रीय अध्यक्ष जेपी ¨मज महासचिव सुनील ¨मज मुख्यरुप से उपस्थित थे । कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रखण्ड अध्यक्ष अर्जुन ¨मज ने की ।धरना कार्यक्रम के अंत में तिन सुत्री मांग पत्र राज्यपाल के नाम से सौपा गया । इन मांगो में रंका अनुमंडल को अनुसुचित क्षेत्र में शामिल करने रंका को नया विधानसभा क्षेत्र बना कर आदिवासियों के लिये सुरक्षीत करना व वनाधिकार कानुन को पुर्ववत लागु करने के लिये अध्यादेश लाने की मांग शामिल हैं ।धरना कार्यक्रम को संबोधित करते हुये जेपी ¨मज ने कहा की रंका अनुमंडल में जितने भी प्रखण्ड हैं ।सभी प्रखण्डो में आदिवासियों की बहुलता है ।बावजुद इसके भंडरिया प्रखण्ड को छोड़ शेष अन्य प्रखण्डो को अनुसुचित क्षेत्र का दर्जा नहीं दिया गया है ।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Feb 2019 05:55 PM (IST)Updated: Sat, 23 Feb 2019 05:55 PM (IST)
अखिल भारतीय आदिवासी महासभा ने दिया धरना
अखिल भारतीय आदिवासी महासभा ने दिया धरना

बड़गड़: प्रखंड कार्यालय के समक्ष शनिवार को अखिल भारतीय आदिवासी महासभा की बड़गड़ प्रखंड इकाई द्वारा अपनी विभिन्न मांगो के समर्थन में एक दिवसीय धरना दिया गया। इस मौके पर आदिवासी महासभा के केंद्रीय अध्यक्ष जेपी ¨मज, महासचिव सुनील ¨मज मुख्य रुप से उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रखंड अध्यक्ष अर्जुन ¨मज ने की। धरना के अंत में तीन सूत्री मांग पत्र राज्यपाल के नाम सौंपा गया। इन मांगो में रंका अनुमंडल को अनुसुचित क्षेत्र में शामिल करने, रंका को नया विधानसभा क्षेत्र बना कर आदिवासियों के लिए सुरक्षित करने व वनाधिकार कानून को पूर्ववत लागू करने के लिये अध्यादेश लाने की मांग शामिल है। जेपी ¨मज ने कहा की रंका अनुमंडल में जितने भी प्रखंड हैं। सभी प्रखंडों में आदिवासियों की बाहुलता है। बावजूद इसके भंडरिया प्रखंड को छोड़ शेष अन्य प्रखंडों को अनुसूचित क्षेत्र का दर्जा नहीं दिया गया है। जिस कारण पांचवी अनुसूची के तहत मिलने वाले लाभ से क्षेत्र के आदिवासियों को वंचित होना पड़ रहा है। उन्होंने कहा की वनाधिकार कानून 2006 के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जंगल में निवास करने वाले दावेदारों को अतिक्रमणकारी घोषित कर उन्हें जुलाई माह तक वनभूमि से बाहर निकालने का आदेश दिया गया है। गौरतलब है की याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार का कोई भी प्रतिनिधि व वकील उपस्थित नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि रंका अनुमंडल के पांचो प्रखंड को मिला कर एक विधानसभा क्षेत्र बनाया जाना चाहिए। ताकि आदिवासियों की बाहुल्यता होने के कारण राजनीति में आदिवासियों को प्रतिनिधित्व मिल सके। इस मौके पर मिलियानुस केरकेट्टा, केशव टोप्पो, बिरद लकडा़, केश्वर केरकेट्टा, जीवन गिद्ध, शिलानंद तिग्गा, देवनीस तिर्की, दया किशोर ¨मज, विश्राम बाखला, प्रदीप तिर्की सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।

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