दुर्घटना में छात्र के घायल होने पर अभिभावकों ने किया हंगामा
भवनाथपुर लौंग लाईफ अस्पताल के बगल स्थित सुनील सोनी के मकान में रविवार को माँ ¨वध्यवासिनी अल्ट्रासाउंड सेंटर का शुभारंभ की गई। जिसका उद्वघाटन भवनाथपुर सीएचसी प्रभारी डॉ. दिनेश कुमार ¨सह द्वारा दीप जलाकर तथा फीता काटकर किया। मौके पर डर दिनेश ¨सह ने कहा भवनाथपुर के लोगो को किसी भी प्रकार के अल्ट्रासाउंड सम्बन्धी जांच हेतु बाहर जाना पड़ता है ¨कतु अब मरीज को उचित शुल्क पर भवनाथपुर में ही जांच इलाज किया जा सकेगा जिससे मरीज परेशानी के साथ साथ अनावश्यक व्यय से बचेंगे।इस मौके पर संचालक डॉ. सुरेंद्र कुमार डॉ जयप्रकाश ठाकुर सूरज कुमार सहित अन्य स्वास्थकर्मी एवं ग्रामीण उपस्थित थे।
भवनाथपुर: कन्या प्राथमिक विद्यालय भवनाथपुर बस्ती को राजकीय बुनियादी विद्यालय में संचालित किए जाने से बच्चों को आवागमन में परेशानी हो रही है। शनिवार को सड़क दुर्घटना में स्कूल के एक छात्र के घायल हो जाने के कारण आक्रोशित अभिभावकों एवं ग्रामीणों ने रविवार को जमकर बवाल काटा। 20 सूत्री अध्यक्ष ब्रजेश ¨सह एवं बीडीसी चंदन ठाकुर द्वारा एक सप्ताह के भीतर भवन निर्माण की प्रक्रिया आरम्भ कराये जाने के आश्वासन के बाद लोग शांत हुए। भवनाथपुर बस्ती के राजेश कुमार पासवान, सकलदेव राम, सूरज कुमार, दिनेश ठाकुर, विमलेश कुमार, मंटू कुमार, अमरेश कुमार, नितेश कुमार, राकेश बैठा, कमला देवी, रूबि देवी, विमला देवी आदि अभिभावकों ने बताया कि प्रधानाध्यापक पांडे सूर्यकांत शर्मा द्वारा बीते तीन माह पूर्व विद्यालय की पुरानी भवन को गिराकर नए भवन बनवाने का भरोसा देते हुए उक्त विद्यालय को राजकीय बुनियादी विद्यालय भवनाथपुर के अंधेरानुमा कमरा में शिफ्ट किया गया। भवन निर्माण संबंधी प्रधानाध्यापक द्वारा दी गयी समय सीमा बीत जाने के बाद पता लगा कि एचएम द्वारा भवन निर्माण संबंधी कोई कागजात भवन निर्माण विभाग को नहीं दिया गया है। जबकि उक्त भवन निर्माण हेतु राशि खाते में पड़ा हुआ है। विद्यालय प्रबंधन समिति की अध्यक्ष प्रभा देवी ने बताया कि हेडमास्टर विद्यालय विकास की राशि निकालकर अपने पास रखकर कहते है अभी पांच हजार और बचे हैं। जबकि उक्त राशि को विद्यालय पर खर्च हीं नहीं किया जाता है। ग्रामीणों ने बताया कि उक्त विद्यालय को बुनियादी विद्यालय में संचालित किये जाने से हमारे बच्चों को तीन से चार किमी तक पैदल चलना पड़ रहा है। वहीं सड़क पर दुर्घटना होने का खतरा भी बना रहता है। प्रधानाध्यापक शर्मा ने कहा कि दो बच्चे भी यदि विद्यालय आएंगे तो हमारी रोजी रोटी चलेगी। इनकी इस बातों को सुनकर ग्रामीण और उग्र हो गए। वहां मौजूद 20 सूत्री अध्यक्ष एवं बीडीसी ने मामले को संभालते हुए एक सप्ताह के भीतर विद्यालय भवन निर्माण करवाने की बात कही तब जाकर मामला शांत हुआ।