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जिले में मनरेगा की 30,422 योजनाएं लंबित

- चार वर्षों से लंबित है विभिन्न प्रखंडों में विकास योजनाएं - भुगतान, एमआईएस इंट्री व अन्य कारणों से लंबित हैं योजनाएं - अधूरी योजनाओं को पूरा करने के लिए प्रशासन नहीं दिखा रहा सक्रियता - सबसे अधिक सदर प्रखंड में 3612 योजनाएं हैं लंबित - डंडा प्रखंड में सबसे कम 665 योजनाएं हैं लंबित संदीप केसरी शौर्य, गढ़वा : सरकार द्वारा विकास को गति देने के लिए प्रति वर्ष नई विकास योजनाएं चलाई जाती है। ताकि इसका लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिल सके। मगर नई योजनाएं स्वीकृति की दौड़ में पुरानी विकास योजनाएं धरी की धरी रह जाती है। जो योजना पूर्ण हो गई वह तो ठीक है मगर जो किसी कारण से लंबित रह गई। उसे देखने वाला शायद कोई नहीं। यही कारण है कि वर्ष 2015-16 से लेकर वर्ष 201

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Sep 2018 03:56 PM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2018 03:56 PM (IST)
जिले में मनरेगा की 30,422 योजनाएं लंबित
जिले में मनरेगा की 30,422 योजनाएं लंबित

गढ़वा : सरकार द्वारा विकास को गति देने के लिए प्रति वर्ष कई नई विकास योजनाएं शुरू की जाती हैं। ताकि इसका लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिल सके। मगर नई योजनाओं की दौड़ में पुरानी विकास योजनाएं धरी की धरी रह जाती हैं। जो योजना पूर्ण हो गई वह तो ठीक है मगर जो किसी कारण से लंबित रह गई, उसे देखने वाला शायद कोई नहीं।

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वित्तीय वर्ष 2015-16 से लेकर वर्ष 2018-19 तक जिले में मनरेगा की कुल 30 हजार 422 पुरानी विकास योजनाएं लंबित पड़ी हुई है। लंबित योजनाओं में मुख्य रूप से शौचालय निर्माण, पेयजल, ¨सचाई, भूमि समतलीकरण आदि से जुड़ी हैं। मैटेरियल व अन्य भुगतान, एमआईएस इंट्री समेत अन्य कारणों के कारण उक्त योजनाएं लंबित रह गई। मगर विभागीय पदाधिकारी पीछे मुड़कर देखने को तैयार नहीं। जिसके कारण लंबित योजनाओं की संख्या में लगातार इजाफा भी हो रहा है। जिले में मनरेगा योजनाओं पर इन चार वित्तीय वर्षो पर नजर डाले तो वित्तीय वर्ष 2015-16 में कुल 26,362 योजनाएं स्वीकृत हुई। जिसमें से 1,236 लंबित रह गई। जबकि वर्ष 2016-17 में 24,786 शुरू हुई, जिसमें से 7,561 अधूरी रह गई। इसी प्रकार वित्तीय वर्ष 2017-18 में 21294 योजनाएं शुरू हुई। जिसमें से 17,293 विकास योजनाएं अधूरी रह गई। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार योजनाओं को लंबित रखने के मामले में गढ़वा प्रखंड सबसे आगे हैं। इस प्रखंड में मनरेगा की कुल 3612 पुरानी योजनाएं लंबित हैं। जबकि सबसे कम डंडा प्रखंड में 665 पुरानी मनरेगा की योजनाएं लंबित हैं। इसी प्रकार मेराल में 2,707, कांडी प्रखंड में 2,151, रंका प्रखंड में 2,144, धुरकी प्रखंड में 2,134, नगर उंटारी प्रखंड में 2,048 पुरानी मनरेगा की योजनाएं लंबित रह गई है। हालांकि उप विकास आयुक्त नमन प्रियेश लकड़ा ने मनरेगा योजनाओं की समीक्षा के लिए टीम गठित कर इसकी समीक्षा करने का निर्देश दिया है। अब देखना है कि डीडीसी की पहल का नतीजा कितना सकारात्मक होता है। योजनाओं को पूरा करने के लिए संबंधित प्रखंड के बीडीओ सहित अन्य जिम्मेदार लोगों पर भी नकेल कसने होगी। तब योजनाएं पूरी होंगी।


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