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आइआइटी के लिए चयनित धीरज बनना चाहता है आईएएस

गढ़वा : सदर थाना क्षेत्र के कुंडी गांव निवासी अवकाश प्राप्त शिक्षक विश्वनाथ तिवारी के पोता धीरज कुम

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Jun 2018 06:30 PM (IST)Updated: Mon, 11 Jun 2018 06:30 PM (IST)
आइआइटी के लिए चयनित धीरज बनना चाहता है आईएएस
आइआइटी के लिए चयनित धीरज बनना चाहता है आईएएस

गढ़वा : सदर थाना क्षेत्र के कुंडी गांव निवासी अवकाश प्राप्त शिक्षक विश्वनाथ तिवारी के पोता धीरज कुमार तिवारी ने अपनी प्रतिभा से गढ़वा का नाम रौशन करने का काम किया है। नरेन्द्र तिवारी एवं सुषमा देवी का यह लाडला आइआइटी में नामांकन के लिए आयोजित जेई एडवांस की परीक्षा में 3202 रैंक लाकर अपने परिवार सहित जिले का नाम रौशन किया है। जानकारी के अनुसार डीएवी स्कूल गढ़वा से 2016 में 10 सीजीपीए के साथ मैट्रिक पास करने के बाद धीरज चिन्मया विद्यालय बोकारो में इंटर विज्ञान की पढ़ाई शुरू की। इसी बीच उसने जेई एडवांस की तैयारी शुरू कर दी। जेई मैंस की परीक्षा में 24 लाख विद्यार्थियों के साथ उसने भी अपनी प्रतिभा का आकलन शुरू किया। उसका चयन उन लगभग डेढ़ लाख छात्र-छात्राओं में हो गया, जो जेई एडवांस के लिए चयनित किये गए थे। धीरज ने पहली बार में ही जेई एडवांस की परीक्षा 3202 रैंक के साथ उतीर्ण कर लिया। वह इस रैंक के साथ उन 11000 भाग्यशाली प्रतिभाओं में शामिल हो गया, जिनका नामांकन आइआइटी में होगा। धीरज ने बताया कि 19 जून को कॉउंसि¨लग होना है। उसमें कॉलेज एलॉट किया जाएगा। उसने बताया कि 11वीं की पढ़ाई के साथ ही उसने आइआइटी इंट्रेंस एक्जाम की तैयारी शुरू कर दी थी। छुट्टी के दिनों में वह इसके लिए प्रतिदिन कम से कम 14 घंटा पढ़ाई करता था। स्कूल-को¨चग खुले रहते समय चार घंटा पढ़ता था। उसने बताया कि एनसीइआरटी एवं को¨चग से मिले नोट्स का अध्ययन करने से वह परीक्षा निकालने में सफल रहा। उसने यह भी बताया कि 40 वर्षों का जेई एडवांस के प्रश्नपत्र का अध्ययन एवं तीन से चार बार पढ़े एक-एक पुस्तकों एवं नोट्स का प्रैक्टिस बहुत ही सहायक हुआ। धीरज ने बताया कि वह फिलवक्त आइआइटी में नामांकन कराएगा। लेकिन उसका लक्ष्य आईएएस बनना है। उसने इसके लिए अभी से ही तैयारी शुरू कर दी है। उसने बताया कि वह आईएसएस बनकर दूसरों के लिए खासकर दीन दुखियों के लिए सेवा करने एवं शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर व्यवस्था कायम करने का अवसर पाना चाहता है। समाज एवं राष्ट्रहित में वह कुछ ऐसा करना चाहता है जिससे लोगों का कल्याण हो सके। उसने अपनी इस सफलता का श्रेय अपने दादा, मां-पिता तथा डीएवी के शिक्षकगण एवं को¨चग के शिक्षकों को दिया है।

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