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Gadhawa: खंडहर बने दर्जनों सरकारी भवन, कहीं गौशाला तो कहीं लोगों का बना आशियाना, भूत बंगला बना चिकित्सक आवास

गढ़वा जिले के रमकंडा प्रखंड क्षेत्र के गांवों में विभिन्न विभागों द्वारा बनाए गए दर्जन भर सरकारी भवन बनकर बेकार पड़े हुए हैं। सालों पहले बने इन भवनों का उपयोग नहीं होने के कारण कहीं इन भवनों को गौशाला तो कहीं आवास में परिवर्तित कर दिया गया है।

By Deepak sinhaEdited By: Mohit TripathiPublished: Wed, 15 Feb 2023 06:03 PM (IST)Updated: Wed, 15 Feb 2023 06:03 PM (IST)
Gadhawa: खंडहर बने दर्जनों सरकारी भवन, कहीं गौशाला तो कहीं लोगों का बना आशियाना, भूत बंगला बना चिकित्सक आवास
भवनों का बेकार होने का मुख्य कारण स्थल का गलत चयन किया जाना है।

नितेश तिवारी, गढ़वा: गढ़वा जिले के रमकंडा प्रखंड क्षेत्र के गांवों में विभिन्न विभागों द्वारा बनाए गए दर्जन भर सरकारी भवन बनकर बेकार पड़े हुए हैं। सालों पहले बने इन भवनों का उपयोग नहीं होने के कारण कहीं इन भवनों को गौशाला तो कहीं आवास में परिवर्तित कर दिया गया है।

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जर्जर हो चुके हैं भवन

इसके अलावा कई ऐसे सरकारी भवन भी हैं, जिनका उपयोग नहीं होने से अब वे जर्जर हो चुके हैं। किसी भवन की छत उड़ गयी तो किसी भवन के दरवाजे दीमक खा चुके हैं। इस तरह भवनों का बेकार होने का मुख्य कारण स्थल का गलत चयन बताया जाता है। इनमें आंगनबाड़ी भवन, एफसीआई गोदाम, प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्र, चिकित्सक आवास आदि भवन शामिल हैं।

आगनबाड़ी केंद्र बना गौशाला

रमकंडा प्रखंड मुख्यालय क्षेत्र के सेमरटांड़ टोला में करीब 11 साल पहले बना आंगनबाड़ी केंद्र का भवन शुरुआती दौर से ही गौशाला में परिवर्तित हो गया है। भवन बनने के बाद आज तक इसका उपयोग आंगनबाड़ी केंद्र के लिए नहीं किया गया।

रैयत को नौकरी का झांसा देकर जमीन पर बना दिया भवन

जानकारी के अनुसार, संवेदक ने जमीन मालिक को नौकरी का झांसा देकर रैयत के जमीन में भवन बना दी लेकिन जिस आंगनबाड़ी केंद्र के लिए यह भवन आवंटित था। उस जगह से काफी दूर नये भवन बनने से इसमें आंगनबाड़ी केंद्र संचालित नहीं हो सका। वहीं रैयत आंगनबाड़ी में नौकरी मिलने की उम्मीद पर भवनों का स्वयं से उपयोग कर रहे हैं।

नहीं संचालित हो सका आंगनबाड़ी केंद्र

इसी तरह प्रखंड मुख्यालय के कुम्हार टोली में भी रैयत को नौकरी दिलाने के नाम पर रैयती जमीन पर भवन बना दिया गया। भवन बनने के बाद जब विभाग ने आंगनबाड़ी केंद्र स्थानांतरित करने की सोची तो रैयत ने पहले नौकरी की मांग की। ऐसे में इस भवन में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित नहीं हो सका।

 भवन को बनाया आवास

वहीं अब इस भवन को आवास में परिवर्तित कर निजी उपयोग किया जा रहा है। इसी तरह तेहाड़ा टोले में बना आंगनबाड़ी केंद्र का भवन मवेशी को रखने में उपयोग हो रहा है। ग्रामीण बताते हैं कि यहां कोई भी आंगनबाड़ी केंद्र स्वीकृत नहीं है। इसके बावजूद भी यहां भवन बना दिया गया।

स्वास्थ्य उपकेंद्र में दरवाजे को दीमक खा गये दरवाजे

रमकंडा प्रखंड की सीमा पर बसे दुर्जन गांव में करीब छह साल पहले विभाग की ओर से करीब 50 लाख रुपये की लागत से स्वास्थ्य उपकेंद्र का भवन बनाया गया। हालांकि अब तक यहां किसी भी चिकित्सक, एएनएम को नियुक्त किया गया है। भवन बनने के बाद इसके चालू नहीं होने से भवन में लगे दरवाजे दीमक खा गए। इस कैम्पस में बने शौचालय और भवन खंडहर में तब्दील हो चुके हैं।

उद्घाटन से पहले ही मिट गया अस्तित्व 

फिलहाल ऐसे में यह भवन उद्घाटन होने से पहले ही अपने अस्तित्व खो चुका है। ऐसे में यहां के ग्रामीण इस कैम्पस में मवेशियों को बांधने का काम करते हैं। इसके चालू हो जाने से होमिया, दुर्जन, चुटिया, बिराजपुर गांव के लोगों को सुविधा मिलेगी। इसी तरह हरहे गांव में भी स्वास्थ्य उपकेंद्र का भवन निर्माण के बाद इसे चालू नही किया गया। ऐसे में भवन झाड़ियों से घिर गया है।

चिकित्सक आवास बना खंडहर

करीब आठ वर्ष पहले रमकंडा प्रखंड मुख्यालय में बने 100 बेड का अस्पताल के समय ही यहां चिकित्सकों का आवास भी बनाया गया। लेकिन यहां चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति नहीं होने के कारण चिकित्सक आवास भी अब खंडहर हो चुका है।

जर्जर हो रहे इस आवास के अगल-बगल झाड़ियों से भरा पड़ा है। यहां बरसाती खेती भी होती है। यहां आवास के साथ ही यहां बना 100 बेड का अस्पताल का अधिकांश भवन भी बेकार पड़ा है। इसके कुछ कमरों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित होता है।

एफसीआई गोदाम भवन बना शौचालय

रमकंडा प्रखंड मुख्यालय के पुराना प्रखंड कार्यालय परिसर में लाखों रुपये की लागत से वर्षों पहले बना एफसीआई गोदाम का भवन वर्तमान में शौचालय बन चुका है। निर्माण के वर्ष ही इस भवन कि छत तेज आंधी में उड़ गयी। दोबारा इसकी मरम्मत तक नहीं कराया गया। बताया जाता है कि रमकंडा प्रखंड के राशन डीलरों को 22 किमी दूर रंका

जाकर राशन उठाव करने में हो रही परेशानी से निजात दिलाने के लिए यहाां एफसीआई गोदाम बनाया गया था। लेकिन बनने के बाद आज तक यह भवन शुरू हो सका। जिसके कारण आज भी राशन के लिए डीलरों को रंका जाना पड़ता है।


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