ट्रैफिक नियमों की अनदेखी शहर में जाम का बड़ा कारण
जिले में सड़क सुरक्षा सप्ताह महज खानापूर्ति बन कर रह गया है। सड़क सुरक्षा सप्ताह के पहले दिन को छोड़ न तो प्रशासन ने इसे लेकर कोई विशेष सक्रियता दिखाई और न ही वाहन चालकों ने कानून तोड़ने की अपनी पुरानी आदतों में सुधार लाया। नतीजा है कि लोग जहां बेखौफ हो बगैर हेलमेट पहने तथा ट्रिपल राइडिग करते दो पहिया वाहन सड़कों पर सरपट दौड़ा रहे हैं। वर्तमान में शहर के व्यवसायियों के साथ पुलिस अधीक्षक अश्विनी कुमार सिन्हा की हुई बैठक के बाद शहर में पहले से चली आ रही नो इंट्री को ट्रायल के तौर
गढ़वा: जिले में सड़क सुरक्षा सप्ताह महज खानापूर्ति बन कर रह गया है। सड़क सुरक्षा सप्ताह के पहले दिन को छोड़ न तो प्रशासन ने इसे लेकर कोई विशेष सक्रियता दिखाई और न ही वाहन चालकों ने कानून तोड़ने की अपनी पुरानी आदतों में सुधार लाया। नतीजा है कि लोग जहां बेखौफ हो बगैर हेलमेट पहने तथा ट्रिपल राइडिग करते दो पहिया वाहन सड़कों पर सरपट दौड़ा रहे हैं। वर्तमान में शहर के व्यवसायियों के साथ पुलिस अधीक्षक अश्विनी कुमार सिन्हा की हुई बैठक के बाद शहर में पहले से चली आ रही नो इंट्री को ट्रायल के तौर पर 15 दिनों के लिए समाप्त कर दिया गया है। इस निर्णय का मुख्य मकसद शहर को जाम से निजात दिलाने की है। लेकिन इस कार्य में शहर में सड़कों का अतिक्रमण किये जाने के साथ-साथ शहर में वाहनों के पार्किंग के अभाव में सड़कों पर ही बेतरतीब तरीके से वाहनों का पार्किंग किये जाने के कारण लोगों को अभी भी जाम से निजात मिलता नहीं दिख रहा है। हां, नो इंट्री समाप्त किये जाने के बाद से यह असर देखने को मिल रहा है कि शहर में एक साथ बड़ी संख्या में जिस प्रकार से पूर्व में मालवाहक वाहनों का आवागमन हुआ करता था। उससे काफी हद तक निजात मिला है। लेकिन जरूरत है शहर में ट्रैफिक को सुचारू रूप से बहाल किये जाने को ले ड्यूटी पर लगाये गये जवानों को पूरी ईमानदारी से अपनी ड्यूटी निभाने की। क्योंकि ट्रैफिक नियमों को तोड़ रहे लोगों को बस मूकदर्शक बन देखने से ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार की बात करना बेईमानी साबित होगी।
- शहर में नो इंट्री खत्म करने का निर्णय सराहनीय है। नो इंट्री समाप्त किये जाने के बाद लोगों को रोज-रोज के जाम से काफी हद तक राहत मिली है। वाहन चालक अपनी लेन से बाहर नहीं जाए तो अभी भी जगह-जगह लग रही जाम से निजात मिल सकेगा। शहरी क्षेत्र में जबरदस्ती ओवर टेक करने वाले पर कार्रवाई करने की जरूरत है। हम सबों का भी फर्ज बनता है कि सड़क के किनारे अपनी मोटरसाइकिल खड़ा नहीं करें। सड़क के दोनो तरफ मोटरसाइकिल खड़ा करने के कारण भी शहर में सड़क जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
फोटो- 3- नवनीत कुमार शुक्ला, गढ़वा। - शहर में सड़क जाम की स्थिति आम बात बन गई है। प्रशासन द्वारा सड़क के किनारे से कई बार अतिक्रमण हटाया गया फिर भी दुकानदारों द्वारा सड़क के दोनो तरफ अपने दुकान का सामान रखकर सड़क का अतिक्रमण करने से बाज नहीं आ रहे हैं। केवल नो इंट्री समाप्त करने से ही शहर को जाम से निजात नहीं दिलाया जा सकता। पुलिस प्रशासन ऑटो को ऑटो स्टैंड में खड़ा करवाने का काम करें।क्योंकि ऑटो चालक कहीं भी गाड़ी रोक कर यात्री को गाड़ी में बैठाने और उतारने का काम करते हैं। इससे न केवल जाम की समस्या उत्पन्न होती है। बल्कि दुर्घटना की भी आशंका बनी रहती हे।
फोटो- 4 - डा. अनिल कुमार साह, गढ़वा। - गढ़वा पुलिस प्रशासन द्वारा शहर से 15 दिनों तक नो इंट्री को खत्म कर दिया गया है। नो इंट्री खत्म होने से तो लोगों को राहत मिली है। लेकिन शहर में सड़क जाम की स्थिति बनी ही रह रही है। ट्रैफिक पुलिस पदाधिकारी व जवान को शहर के सभी प्रमुख चौक-चौराहों पर पूरी मुस्तैदी के साथ डयूटी पर तैनात रहने की आवश्यकता है, तभी शहर में लगने वाली जाम नहीं निजात मिल सकेगा। शहर में कई जगहों पर दुकानदार अपने दुकान का सामान बाहर रखकर सड़क का अतिक्रमण कर लेते हैं। ऐसे लोगों को चिन्हित कर इनके विरुद्ध कार्रवाई की जरूरत है। ताकि शहर में जाम की स्थिति से बचा जा सके।
फोटो- 5 - ई. ओबैदुल्लाह अंसारी, गढ़वा ।
- शहर को जाम से निजात दिलाने के लिए केवल नो इंट्री समाप्त किया जाना समाधान नहीं है। जिस प्रकार से दानरो नदी के तटबंध पर सड़क बनाया गया है। इसी प्रकार शहर के बाहर-बाहर और भी सड़क बनाये जाने की आवश्यकता है। ताकि शहर के सड़क से वाहनों के बोझ कम हो सके। जब तक शहर में मालवाहकों का आवागमन होता रहेगा जाम से निजात दिलाने की बात करना बेईमानी के अलावा कुछ भी नहीं है। साथ ही ट्रैफिक ड्यूटी पर लगाये गये जवानों को भी ड्यूटी के प्रति ईमानदार होने की जरूरत है। क्योंकि इनकी अनदेखी भी शहर की यातायात व्यवस्था को प्रभावित कर रही है।
फोटो - 2 - जितेंद्र कुमार सिन्हा, सहिजना गढ़वा।