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जल बचाने के साथ ही आर्थिक समृद्धि की गाथा लिख रहे अजय सिंह

सत्यप्रकाश रवानी रमना (गढ़वा) प्रखंड में भू-जल के दोहन को रोकने के लिए लोग आगे आ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 07 Apr 2021 06:09 PM (IST)Updated: Wed, 07 Apr 2021 06:09 PM (IST)
जल बचाने के साथ ही आर्थिक समृद्धि की गाथा लिख रहे अजय सिंह
जल बचाने के साथ ही आर्थिक समृद्धि की गाथा लिख रहे अजय सिंह

सत्यप्रकाश रवानी, रमना (गढ़वा):

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प्रखंड में भू-जल के दोहन को रोकने के लिए लोग आगे आ रहे हैं। पानी को संरक्षित कर कल के लिए बूंद-बूंद जल बचाने की दिशा में लोग प्रयास कर रहे हैं। कुछ ऐसे भी लोग हैं जो जल बचाने के साथ ही उसी में आर्थिक समृद्धि की गाथा लिख रहे हैं। उसी में शामिल हैं मड़वनियां पंचायत के कोरगा निवासी व सामाजिक कार्यकर्ता अजय कुमार सिंह। अजय कुमार सिंह करीब दो एकड़ जमीन पर जल संरक्षण एवं मछली पालन के लिए तालाब का निर्माण कराए हैं। जल संचय को लेकर प्रकाशित खबरों से प्रेरित होकर उन्होंने कृषि युक्त पैतृक जमीन पर तालाब बनवाने का निर्णय लिया था। इनके पूर्वजों द्वारा छीपीताली, छेरगुदरी तथा कृष्णा बांध का निर्माण तो कराया ही था। अजय सिंह भी अपने पूर्वजों के नक्शे कदम पर चलते हुए निजी तालाब के बगल में अपने तीन एकड़ निजी भूमि पर भूमि संरक्षण विभाग के सहयोग से तालाब का निर्माण कराया है। अजय सिंह का यह प्रयास लोगों के लिए नजीर बन गया है। अजय सिंह ने बताया कि आज से 30 साल पहले कोरगा गांव की अधिकांश भूमि ड्राई जोन में था। यहां खेती की बात कौन करें पीने के पानी का भी संकट रहता था। जबकि पूर्वजों द्वारा कोरगा में दो-दो बांध का निर्माण कराया गया था। कोरगा में सदाबह सुखड़ा नदी बही है। इसके बावजूद यहां जल संकट बना रहता था। अपने निजी खर्च से जर्जर हो चूके बांध और गार्डवाल को दूरस्थ कराया। बंजर भूमि पर पौधा रोपण कर हरियाली लाने का प्रयास किया। सुखड़ा नदी पर सिरीज चेकडैम निर्माण कराने के लिए कई झंझावतो का सामना किया। अंतत: दो हजार ईस्वी के दशक में मेरा प्रयास रंग लाया। सुखड़ा नदी पर छह सिरीज चेकडैम का निर्माण कार्य सरकार द्वारा कराया गया। फलस्वरूप आज कोरगा, मड़वनीया, जुड़वनिया और रोहिला आदि गांवों में भी भूमिगत जलश्रोत में इजाफा हुआ है। उन्होंने कहां की पानी बचाने का मकसद है कि बारिश का पानी एकत्र हो, उसका सही उपयोग हो और पशु-पक्षी समेत अन्य को पानी के लिए भटकना न पड़े। यही सोच के साथ जल संरक्षण की दिशा में कदम आगे बढ़ाए हैं। अजय सिंह दूसरे लोगों को भी जल संरक्षण के लिए प्रेरित करते हैं कि कल के लिए बूंद-बूंद सहेज लो।


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