बेटी के खोजबीन से हुआ विभागीय कर्मी के मौत का खुलासा
गोपीकांदर लघु सिचाई विभाग के चतुर्थवर्गीय कर्मचारी नरेश का शव कमरे में पड़ा रहना कई सवाल को जन्म देता है। जहां एक ओर विभाग की कार्यशैली और संवेदनहीनता को दर्शाता है तो दूसरी ओर उसके अपनों की लापरवाही भी सामने आ रही है। घरेलू मामलों से परेशान नरेश का शव अभी और कितने दिन पड़ा रहता ये कोई नहीं जानता था। वो तो गनीमत रही की बेटी ने उसकी खोजबीन शुरू की और मकान मालिक को फोन किया और फिर पूरा मामला सामने आया। बीते 31 जनवरी के बाद से नरेश कार्यालय नहीं गया था।
31 जनवरी के बाद से विभाग ने नहीं ली कर्मचारी की सुध
संवाद सहयोगी, गोपीकांदर : लघु सिचाई विभाग के चतुर्थवर्गीय कर्मचारी नरेश का शव कमरे में पड़ा रहना कई सवाल को जन्म देता है। जहां एक ओर विभाग की कार्यशैली और संवेदनहीनता को दर्शाता है तो दूसरी ओर उसके अपनों की लापरवाही भी सामने आ रही है। घरेलू मामलों से परेशान नरेश का शव अभी और कितने दिन पड़ा रहता ये कोई नहीं जानता था। वो तो गनीमत रही की बेटी ने उसकी खोजबीन शुरू की और मकान मालिक को फोन किया और फिर पूरा मामला सामने आया। बीते 31 जनवरी के बाद से नरेश कार्यालय नहीं गया था। मामले को लेकर थानाध्यक्ष सुरेश पासवान ने बताया कि पत्नी अंजू देवी के बयान पर यूडी केस दर्ज किया गया है।मामले को लेकर पुलिस अधिकारियों ने बताया कि नरेश की बेटी कहीं दूसरे राज्य में रहकर पढ़ाई करती है। बीते चार फरवरी को उसे एक लाख रुपये नरेश को भेजना था। लेकिन शाम तक जब रुपये नहीं आए तो बेटी ने फोन करना शुरू किया। जिसके बाद लगातार फोन करने पर भी जब फोन रिसिव नहीं हुआ तो उसने पिता के करीबी कर्मियों को फोन किया। शनिवार की रात बेटी के प्रयास से मकान मालिक ने जाकर देखा तो उसके पिता मृत पड़े थे।
पत्नी से चल रहा था अनबन: नरेश के ग्रामीणों की मानें तो बीते कुछ दिनों से नरेश पारिवारिक कलह के कारण काफी परेशान रहता था। उसकी मौत के बाद शव लेने पहुंची अंजू देवी की संवेदनहीनता और तल्ख रिश्तों का खुलासा तब हुआ जब वह शव देखने के लिए गाड़ी से नहीं उतरी। वहीं वह थाना में परिजनों के सामने स्थानीय गोपीकांदर में ही पति के शव का अंतिम संस्कार करना चाहती थी। लेकिन बाद में काफी मान मनौव्वल के बाद वह शव ले जाने के लिए तैयार हुई।
वर्जन
20-25 तारीख के अंदर सभी कर्मियों की उपस्थिति की जांच की जाती है। नरेश ने 31 जनवरी को अंतिम उपस्थिति बनाई थी। जिस कारण उसकी खोजबीन करने की आवश्यकता महसूस नहीं की गई। वे प्रखंड में पंप खलासी के पद पर कार्यरत थे।
- संतोष मरांडी, अभियंता लघु सिचाई विभाग