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भोक्ताडीह घाट पर पुल बनाने की मांग जोर पकड़ा

दलाही : करमाटांड़-भोक्ताडीह नदी के भोक्ताडीह घाट पर पुल निर्माण कराने की मांग एक बार फिर से जोर पकड़ने लगी है। ग्रामीणों का कहना है कि भोक्ताडीह घाट पर पुल बनाने की मांग वर्षो से करते आ रहे हैं लेकिन अब तक किसी भी स्तर पर कोई सुनवाई नहीं हुई है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 08 Jan 2019 06:27 PM (IST)Updated: Tue, 08 Jan 2019 06:27 PM (IST)
भोक्ताडीह घाट पर पुल बनाने की मांग जोर पकड़ा
भोक्ताडीह घाट पर पुल बनाने की मांग जोर पकड़ा

दलाही : करमाटांड़-भोक्ताडीह नदी के भोक्ताडीह घाट पर पुल निर्माण कराने की मांग एक बार फिर से जोर पकड़ने लगी है। ग्रामीणों का कहना है कि भोक्ताडीह घाट पर पुल बनाने की मांग वर्षो से करते आ रहे हैं लेकिन अब तक किसी भी स्तर पर कोई सुनवाई नहीं हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि भोक्ताडीह-करमाटांड़ गांव के बीचोबीच इस नदी पर पुल बन जाने से प्रखंड के बासकीडीह, बड़ा डुमरिया पंचायत के साथ जामताड़ा, दुमका एवं देवघर जिला से मुख्य सड़क का जुड़ाव हो जाएगा। इस पुल के बन जाने से कई गांव के ग्रामीणों को बड़ी राहत मिलेगी। खासकर स्कूली बच्चों को प्राथमिक शिक्षा के बाद उच्च शिक्षा के लिए भोक्ताडीह नदी पार करके संताल हाई स्कूल कैराबनी व फतेहपुर उच्च विद्यालय जाने में सुविधा होगी। दूसरी ओर पंचायत के घुरमुन्दनी, बसकीडीह, बरमसिया, कोर्बोना, आस्ताजोड़ा, गाड़ापाथर समेत दर्जनों गांव के किसानों को अपनी उपज फतेहपुर बाजार में बेचने के लिए 10 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय कर घुरमुंदनी नवजोड़ा गांव होकर नहीं जाना पड़ेगा। गांव के रामकृष्ण राणा के मुताबिक पंचायत में एक भी हाईस्कूल नहीं है। भोक्ताडीह घाट पर पुल बन जाने से गांव के स्कूली बच्चों को बरसात के दिनों में नदी पार करने से छुटकारा मिल जाएगा। ग्रामीण भुलू पहाड़िया ने कहा कि चुनाव के समय हर बार विभिन्न पाíटयों के प्रत्याशी पुल बनवा देने का वायदा करते हैं लेकिन चुनाव के बाद को झांकने भी नहीं आता है। सुबोधन हांसदा ने कहा कि गांव के निकट हाट बाजार नहीं है। इसकी वजह से उपजाए गए रबी व खरीफ फसलों को बेचने के लिए नदी पार कर फतेहपुर बाजार जाना पड़ता है जिसकी वजह से तकरीबन 10 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है। वहीं जिला परिषद सदस्य सुरेश हांसदा कहते हैं कि भोक्ताडीह नदी के घाट पर पुल बनाया जाना अत्यंत जरूरी है। उन्होंने कहा कि पुल बनाने को लेकर एक बार सुनिश्चित रोजगार योजना के तहत वर्ष 1998 में तथा दूसरी बार आरईओ के द्वारा प्रयास भी किया गया था जिसमें दो ही स्पेन (स्तंभ) पारित हुआ था। जबकि यहां कम से कम पांच से छह स्पेन वाले पुल की जरूरत है।

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