राजनीति में संताल का रंग, लोस-विस में राजमहल का रहा संग
दुमका संताल परगना के 18 सीट में 16 सीट पर भले ही अंतिम चरण में चुनाव हो रहा है। लेकिन सीटों की गिनती का क्रम संताल से ही शुरू होता है। चौथे चरण में देवघर एवं मधुपुर का चुनाव है। तो बाकी के 16 सीट पर पांचवें चरण में 20 दिसंबर को मतदान होगा। संताल परगना की राजनीति सूबे में अहमियत रखती है। इसे आयोग की गिनती भी साबित करती है। लोकसभा सीट के परीसिमन में झारखंड लोकसभा का सीट राजमहल से शुरू हुआ।
दुमका : संताल परगना के 18 सीट में 16 सीट पर भले ही अंतिम चरण में चुनाव हो रहा है। लेकिन सीटों की गिनती का क्रम संताल से ही शुरू होता है। चौथे चरण में देवघर एवं मधुपुर का चुनाव है। तो बाकी के 16 सीट पर पांचवें चरण में 20 दिसंबर को मतदान होगा। संताल परगना की राजनीति सूबे में अहमियत रखती है। इसे आयोग की गिनती भी साबित करती है। लोकसभा सीट के परीसिमन में झारखंड लोकसभा का सीट राजमहल से शुरू हुआ। और विधानसभा की जब बारी आयी तो राजमहल से ही सीट की गिनती शुरू की गई। लोकसभा के 14 सीट का वन टू थ्री राजमहल से शुरू होकर गोड्डा में जाकर पूरा हो गया। दुमका दूसरे नंबर पर रहा। विधानसभा में राजमहल, बोरियो, बरहेट, पाकुड़, महेशपुर से चलकर शिकारीपाड़ा में प्रवेश कर गया। इसी तरह संताल परगना से शुरू होकर महगामा में 18 सीट पूरा होने के बाद गिरिडीह के रास्ते सीटों का सफर झारखंड की यात्रा पूरा किया है।
सफदर हाशमी कहते हैं कि पुस्तकें कुछ कहना चाहती है। क्या तुम उन पुस्तकों की बात नहीं सुनोगे। पुस्तकें ही अतीत है..। और इतिहास को जानने समझने के लिए वक्त देना होता है। कभी मुड़कर देखें तो लगेगा कि वह कुछ कह रही है, लेकिन आप उसे अनसुना कर आगे चले जाते हैं। झारखंड में विधानसभा चुनाव परवान चढ़ने लगा है। नगाड़ा बज रहा है। चुनाव की घोषणा के बाद ही सरकार बैकफूट पर चली जाती है और आयोग फ्रंट पर आ जाता है। लोकतंत्र के मंदिर को बेहतरीन बनाने के लिए वह अपना पूरा दम लगा देता है। 2000 में झारखंड का गठन हुआ तब लोकसभा सीट की गिनती संताल परगना से शुरू हुई। विधानसभा की बारी आयी तो वह भी उसी रास्ते चला।
1952 में 244 क्रम पर था राजमहल 252 पर दुमका : 1952 में राजमहल दामिन के नाम से विधानसभा सीट था। जिसका क्रम संख्या 244 था। 1972 में राजमहल नाम पड़ा और उसका क्रम घटकर 139 हो गया। इसी तरह दुमका का क्रम संख्या 252 था। 1972 में वह 152 पर खीसक कर आ गया। दो दशक में एक सौ सीट का क्रम बदला। 1952 में पाकुड़ सीट भी पाकुड़ दामिन के नाम से जाना जाता था। उस वक्त गोड्डा दामिन और गोड्डा दो सीट हुआ करता था। समय के साथ बदलता गया और आज जब झारखंड राज्य का गठन हुआ तो विधानसभा की गिनती संताल के सुदूर इलाका गंगा तट के राजमहल से ही शुरू हुआ।
बात चुनाव की हो रही है तो अभी पांच महीना पहले हुआ लोकसभा चुनाव का भी स्मरण कराते हैं। 2000 में राज्य का गठन हुआ। 2002 में उप चुनाव हुआ और संताल परगना की तीन सीट राजमहल, दुमका और गोड्डा एक, दो और तीन नंबर के क्रम में आ गया। आखिर आयोग ने कुछ तो महसूस किया अथवा राजनीतिक रंग देखा जो संताल से ही लोकसभा सीट की गिनती शुरू कर दिया। संताल परगना की एक अलग पहचान रही है। लेकिन अब विकास ने बदलाव की करवट लिया है।
संताल से ऐसे शुरू हुई विधानसभा की गिनती : राजमहल, बोरियो, बरहेट, लिट्टीपाड़ा, पाकुड़, महेशपुर, शिकारीपाड़ा, नाला, जामताड़ा, दुमका, जामा, जरमुंडी, मधुपुर, सारठ, देवघर, पोड़ैयाहाट, गोड्डा, महगामा। लोकसभा में यह है क्रम। राजमहल, गोड्डा, दुमका, चतरा, कोडरमा, गिरिडीह, धनबाद, रांची, जमशेदपुर, सिंहभूम, खूंटी, लोहरदगा, पलामू, हजारीबाग।