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मकर सक्रांति पर तातलोई गर्म जलकुंड में डुबकी लगाएंगे श्रद्धालु

प्रत्येक वर्ष की तरह ही इस वर्ष भी जामा प्रखंड के तातलोई में मकर सक्रांति पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु गर्म जलकुंड में डुबकी लगाएंगे। इसको लेकर यहां कोविड-19 के संक्रमण के बावजूद पारंपरिक मेला लगाने की भी तैयारी अंतिम चरण में है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Jan 2021 07:35 PM (IST)Updated: Tue, 12 Jan 2021 07:35 PM (IST)
मकर सक्रांति पर तातलोई गर्म जलकुंड में डुबकी लगाएंगे श्रद्धालु
मकर सक्रांति पर तातलोई गर्म जलकुंड में डुबकी लगाएंगे श्रद्धालु

संवाद सहयोगी, जामा: प्रत्येक वर्ष की तरह ही इस वर्ष भी जामा प्रखंड के तातलोई में मकर सक्रांति पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु गर्म जलकुंड में डुबकी लगाएंगे। इसको लेकर यहां कोविड-19 के संक्रमण के बावजूद पारंपरिक मेला लगाने की भी तैयारी अंतिम चरण में है। मेले के लिए दुकानें सजनी शुरू हो गई हैं। मकर संक्राति पर लगने वाले मेला में यहां दूरदराज से बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं। बहरहाल, प्रशासन भी मेला आयोजन को लेकर खामोश ही है।

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गर्म जल कुंड के लिए प्रसिद्ध है तातलोई का नाम: दुमका जिले से तकरीबन 20 किलोमीटर एवं जामा प्रखंड मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तातलोई गर्म जलकुंड के लिए प्रसिद्ध है। मकर सक्रांति पर यहां के जलकुंड में श्रद्धालु डुबकी लगाकर सूर्य की उपासना करने आते हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए प्रशासन की ओर से तीन जल कुंड , एक तालाब ,एक कूप एवं दो यात्री शेड का निर्माण कराया है। पूर्व में एक यात्री विश्रामशाला भी बनवाया गया है।

--------------------- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है तातलोई की: तातलोई की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि लगभग 200 वर्ष पुरानी है। पूर्व में यहां घना जंगल था। जंगल में यहां से होकर गुजरने वाली नदी में मवेशी जल पीने आते थे। नदी से कुछ दूर एक दलदल जमीन पर गर्म धारा बहती थी, जहां मवेशियों के प्रवेश करने पर वे दलदल में फंस कर गर्म जल धारा के कारण मर जाते थे। बाद में ग्रामीणों ने जंगल-झाड़ी को सामूहिक प्रयास से साफ कर एक कुंड का निर्माण कराया और पूजा-अर्चना की शुरुआत की। कालांतर में यही जगह तातलोई के नाम से प्रसिद्ध हुई। बाद में जिला प्रशासन को मिली तो पहली बार 1980 ई में तत्कालीन कमिश्नर अरुण कुमार पाठक के प्रयास से वर्ष 1980 में यात्री एवं श्रद्धालुओं के स्नान करने के लिए तीन जलकुंड, एक कूप, एक यात्री विश्रामशाला का निर्माण कराया था।

तातलोई जलकुंड को विकसित करने में तत्कालीन जिला परिषद अध्यक्ष सनाथ राउत एवं स्थानीय नागरिक कर्मनारायण राय, श्याम मांझी, शिवबालक सिंह, गंगाधर मुसुप, बंगाली मुसुप, त्रिभुवन कुंअर, रीतलाल मंडल, उच्छेदी मुसुप ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

--------------- कैसे जाएं तातलोई जलकुंड: दुमका-भागलपुर मुख्य मार्ग बारापलासी बाजार से लगभग चार किलोमीटर दूर उत्तर-पूर्व पक्की सड़क मार्ग से तातलोई जाने के लिए ऑटो, टेंपो, निजी वाहनों की सवारी सुविधा उपलब्ध है। वहीं काफी संख्या में रिजर्व बस एवं वाहनों से भी श्रद्धालु एवं पिकनिक मनाने यात्री हर साल पहुंचते हैं।

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साफा होड़ करने आते हैं शिव की उपासना: साफा होड़ समुदाय के लोग अपने-अपने धर्म गुरुओं के साथ यहां समूह में आकर नेम निष्ठा के साथ आस्था की डुबकी लगाते हैं और अपने इष्ट देव मरांग बुरु की पूजा अर्चना करते हैं। वहीं हिदू श्रद्धालु मकर संक्रांति पर स्नान करते हैं और भगवान सूर्य की उपासना करते हुए तन-मन की पवित्रता एवं परिवार की मंगल कामना की प्रार्थना करते हैं। मान्यता है कि यहां डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं का चर्म रोग एवं पेट संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। धार्मिक मान्यता है कि संक्रांति पर डुबकी लगाने से तन मन की पवित्रता एवं पूजा अर्चना के लिए शुद्धि प्राप्त होती है। तीन दिन पहले से ही यहां मेला लगने शुरू हो जाता हैं। सभी प्रकार की जरूरत की सामग्री की खरीदारी मेले में आने वाले लोग करते हैं। साथ ही मनोरंजन के लिए एक से बढ़कर एक आयोजन भी यहां होता है।


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