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17 माह बाद बेटी को देख छलके आंसू

17 माह बाद बेटी को सामने देख छलके आंसू

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 May 2019 05:50 PM (IST)Updated: Mon, 06 May 2019 05:50 PM (IST)
17 माह बाद बेटी को देख छलके आंसू
17 माह बाद बेटी को देख छलके आंसू

जागरण संवाददाता, दुमका : 17 माह बाद बेटी को सामने देख मां मसोदी टुडू और पिता मौसा मरांडी के आंसू बह निकले। बेटी को गले लगाया और इतने दिन कैसे बीते, उसकी जानकारी ली। बेटी भी परिजनों को सामने देखकर अपने आंसू नहीं रोक सकी और गले लगकर काफी देर तक रोती रही। रोजगार की तलाश में दिल्ली गई सुजाता दैनिक जागरण और झारखंड की समाज कल्याण मंत्री डॉ. लुईस मरांडी के प्रयास से रविवार को दिल्ली से रांची हवाई जहाज से आयी और रात को दुमका आने के बाद बाल कल्याण समिति ने आवश्यक प्रक्रिया पूरी करने के बाद उसे भाई दिनेश मरांडी के साथ घर भेजा।

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बता दें कि 16 साल की सुजाता मरांडी को रिश्ते में लगने वाले जीजा और दीदी 17 दिसंबर को रोजगार दिलाने के नाम पर दिल्ली ले गए। परिजनों ने इसका विरोध नहीं किया। दिल्ली पहुंचने के बाद जीजा ने एक प्लेसमेंट कंपनी से संपर्क कर सुजाता को सात हजार के वेतन पर नोएडा में रहनेवाली किसी मनीषा कुमारी के घर पर काम के लिए छोड़ दिया। करीब एक साल तक काम करने के बाद इसी साल अप्रैल माह की शुरूआत में मनीषा ने उससे कहा कि वह अपने पति के पास कुछ दिनों के लिए मुंबई जा रही है। तुम अकेली रहकर क्या करोगी, तुम भी अपने घर चली जाओ। मनीषा के घर से निकलने के बाद सुजाता प्लेसमेंट कंपनी के पास गई और घर जाने की अनुमति मांगी लेकिन, उसे जाने से रोक दिया गया। रात में किसी तरह से वह वहां से भागकर दिल्ली के आनंद बिहार रेलवे स्टेशन पहुंची, लेकिन उसे वहां घर जाने के लिए कोई ट्रेन नहीं मिली। मोबाइल नंबर पर घरवालों से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन बात नहीं हो सकी। स्टेशन पर ही उसकी मुलाकात दो आदिवासी महिला से हुई और वह उसे अपने साथ फरीदाबाद ले गयी। दूसरे दिन दोनों महिलाएं उसे घर पर छोड़कर काम पर चली गई। घर में अकेला पाकर सुजाता वहां से भागकर 29 अप्रैल को बुलंदशहर आ गई। रात सदर अस्पताल में गुजारने ते बाद अगली सुबह घर आने की बजाय रास्ता भटककर मिर्जापुर गांव आ गई। यहां पर उसकी नजर प्रधान दुष्यंत पर पड़ी और उन्होंने उसने पुलिस चौकी पहुंचा दिया। जहां से पुलिस ने उसे प्रधान के साथ भेज दिया।

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कैसे मिली परिजनों से

30 अप्रैल को गांव के प्रधान ने दैनिक जागरण को सारी जानकारी दी। दो मई को समाज सेवी राम मुर्मू व सच्चिदानंद सोरेन ने मसलिया के सागबेरी गांव जाकर परिजनों का खोज निकाला। इतना ही नहीं दोनों सदस्यों ने परिजनों की वीडियो संवाद के माध्यम से सुजाता से बात करायी और जल्द आकर ले जाने का आश्वासन दिया।

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मंत्री की अहम भूमिका

किशोरी समाज कल्याण मंत्री लुईस मरांडी के विधानसभा क्षेत्र की रहने वाली थी। मंत्री ने सारी जानकारी एकत्र करने के बाद अपने पति बी किस्कू को और सुजाता के भाई दिनेश मरांडी हवाई जहाज से दिल्ली भेजा। दिल्ली में दोनों सुजाता से मिले। उसे साथ लाने का प्रयास किया परंतु आधार कार्ड नहीं होने की वजह से सुजाता को हवाई जहाज से सफर करने की अनुमति नहीं मिली। सुजाता का आधार कार्ड प्लेसमेंट कंपनी के पास था। बी किस्कू ने अपने प्रभाव से दो दिन के अंदर उसका आधार कार्ड लिया। चार मई को उन्होंने सुजाता को दिल्ली का भ्रमण कराया। रविवार को करीब 12 बजे वे उसे लेकर दिल्ली से चले। दो घंटे के बाद रांची आ गए। बाद में कार से सुजाता दुमका आयी और उसे बाल कल्याण समिति को सौंपा गया।

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वर्जन

किशोरी नाबालिग थी, इसलिए इसमें बाल कल्याण समिति को आगे आना पड़ा। बुलंदशहर की बाल कल्याण समिति ने बाकायदा उसका ट्रांसफर कागज तैयार किया। किशोरी का बयान दर्ज करने के बाद रात को ही उसे भाई के सुपुर्द कर दिया गया।

मनोज कुमार साह, अध्यक्ष बाल कल्याण समिति, दुमका।

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