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झारखंड में तसर के क्षेत्र में असीम संभावनाएं : प्रो. मनोरंजन

दुमका : सिदो-कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मनोरंजन प्रसाद सिन्हा सेंट्रल तसर रिसर्च इं

By JagranEdited By: Published: Fri, 16 Mar 2018 07:27 PM (IST)Updated: Fri, 16 Mar 2018 07:27 PM (IST)
झारखंड में तसर के क्षेत्र में असीम संभावनाएं : प्रो. मनोरंजन
झारखंड में तसर के क्षेत्र में असीम संभावनाएं : प्रो. मनोरंजन

दुमका : सिदो-कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मनोरंजन प्रसाद सिन्हा सेंट्रल तसर रिसर्च इंस्टीच्यूट की ओर से रांची में तसर ककून के क्षेत्र में विकास की संभावनाएं व शोध विषय पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करेंगे। संगाष्ठी उद्घाटन करने रांची रवाना होने से पूर्व शुक्रवार को दैनिक जागरण संग बातचीत में उन्होंने कहा कि झारखंड और खास कर संताल परगना में तसर के क्षेत्र में असीम संभावनाएं है। जरूरत है इन संभावनाओं को सही तरीके आयाम देने व व्यावसायिक दृष्टिकोण से विकसित करने की। ताकि इस क्षेत्र के गरीबों के आय का मुख्य स्त्रोत तसर ककून बन सके। बताते चलें कि प्रो. मनोरंजन तसर रिसर्च एडवायजरी कमेटी के चेयरमैन भी हैं।

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उन्होंने बताया कि तसर-ककून के क्षेत्र में देश भर में होने वाले तमाम शोध उनके ही अनुमोदन से होना संभव है। सेमिनार के उद्देश्यों की चर्चा करते हुए प्रो. मनोरंजन ने कहा कि मॉल्यूकुल लेबल पर तसर ककून के क्षेत्र में विकास व सिल्क प्रोडक्शन को बढ़ावा देने के उद्देश्यों पर चर्चा करने के लिए देश भर से वैज्ञानिकों के अलावा विभिन्न विश्वविद्यालयों के शिक्षाविद्, केमिकल इंडस्ट्रीज कंपनियों के प्रतिनिधि शिरकत करेंगे। कुलपति ने कहा कि झारखंड के लिए यह बहुत बड़ा अवसर होगा जब देश भर के वैज्ञानिकों का इस सेमिनार में जुटान होगा। कई संभावनाओं के द्वार खुलने की जोरदार संभावना है।

एक सवाल पर कुलपति ने कहा कि आने वाले दिनों में संताल परगना खासकर दुमका तसर-ककून के साथ धागा व सिल्क प्रोडक्ट का बड़ा हब बन सकता है। इसके लिए उन्होंने सेंट्रल सिल्क बोर्ड की बैठक में री¨लग सेंटर खोले जाने का प्रस्ताव दिया है ताकि इससे धागा तैयार होने की प्रक्रिया शुरू हो सके। कहा कि समन्वित विकास के लिए यह जरूरी है कि तसर उत्पादन के साथ उसके प्रोडक्ट्स भी यहां तैयार हों।

कुलपति ने कहा कि सिदो-कान्हु मुर्मू विवि में जुलाई माह से शुरू हो रहे नए सत्र में सेरीकल्चर पर स्व-वित्त पोषित पाठ्यक्रम की शुरुआत की जाएगी। इस क्षेत्र में रुचि रखने वाले छात्र जुलाई में अपना नामांकन करा सकेंगे। यह पाठ्यक्रम डिप्लोमा स्तर का होगा और इसकी अवधि एक वर्ष की होगी।

कुलपति ने कहा कि अगर कोई महाविद्यालय सेरीकल्चर में डिग्री स्तर पर पाठ्यक्रम की शुरुआत करना चाहे तो विवि प्रबंधन उस प्रस्ताव को गंभीरता से लेगी।

सिदो-कान्हु मुर्मू विवि में स्व-वित्त पोषित सेरीकल्चर में डिप्लोमा स्तर की एक वर्षीय डिग्री की पढ़ाई इस सत्र जुलाई से शुरू किया जाएगा। विवि प्रबंधन ने इसके लिए ब्लू ¨प्रट तैयार कर लिया है। सेरीकल्चर के क्षेत्र में आने वाले छात्र नामांकन करा सकते हैं। इस क्षेत्र में करियर की भी अपार संभावनाएं हैं।

प्रो. मनोरंजन प्रसाद सिन्हा, कुलपति, एसकेएमयू

फोटो : 033


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