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लोस व विस के आचार संहिता में उलझ गया पीएम आवास

जामा जामा प्रखंड अंतर्गत ऊपर रंगनी गांव में विधवा बिहूला देवी आंबेडकर आवास प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ पाने के लिए नींव कटवा कर एवं सामग्री खरीद कर योजना की स्वीकृति के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है। लोकसभा चुनाव के वक्त उसे आश्वासन मिला था तब आचार संहिता लागू हो गया था। आज विधानसभा चुनाव का आचार संहिता लागू हो गया। लेकिन समस्या का निदान नहीं हो पाया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Nov 2019 05:24 PM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 06:16 AM (IST)
लोस व विस के आचार संहिता में उलझ गया पीएम आवास
लोस व विस के आचार संहिता में उलझ गया पीएम आवास

जामा : जामा प्रखंड अंतर्गत ऊपर रंगनी गांव में विधवा बिहूला देवी आंबेडकर आवास, प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ पाने के लिए नींव कटवा कर एवं सामग्री खरीद कर योजना की स्वीकृति के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है। लोकसभा चुनाव के वक्त उसे आश्वासन मिला था तब आचार संहिता लागू हो गया था। आज विधानसभा चुनाव का आचार संहिता लागू हो गया। लेकिन समस्या का निदान नहीं हो पाया।

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दरअसल लोकसभा चुनाव के पूर्व आसनजोर पंचायत के उपररंगनी गांव में घरेलू विवाद में बिहूला के पति सुबोध कापरी आत्महत्या कर ली थी। इस घटना के बाद स्थानीय लोगों के सहयोग से राहत के लिए महिला ने आवास योजना का लाभ एवं मुआवजा पाने के लिए प्रखंड में आवेदन दिया था। उन्हें जामा प्रखंड से तत्कालीन बीडीओ ने सहायता प्रदान करते हुए अनाज के अलावे मकान के लिए आश्वासन दिया था। पूर्व बीडीओ के निर्देश पर पंचायत स्वयंसेवक सदानंद मरीक एवं पंचायत सचिव ने उनके घर आकर आंबेडकर आवास, प्रधानमंत्री आवास देने का आश्वासन दिया था। पंचायत स्वयंसेवक ने महिला को भरोसा दिया कि उसका नाम आवास निर्माण के लिए भेज दिया गया है। इसलिए नींव कटवा लो और स्थल पर निर्माण सामग्री गिरा लो। अभी लोकसभा चुनाव में आदर्श आचार संहिता लागू हो गया है लोकसभा चुनाव समाप्त होते ही खाता में आवास योजना की राशि चली जाएगी। इसी उम्मीद और आश्वासन मिलने पर बिहुला ने कर्ज लेकर ईट खरीदा और नींव भी कटवाया। परंतु लोकसभा चुनाव गुजरने के बाद भी उनके खाते में आवास निर्माण के लिए राशि नहीं भेजी गई और न ही आवास योजना की स्वीकृति मिली। अब लोकसभा चुनाव गुजर बाद विधानसभा चुनाव की तिथि तय हो गई है। लेकिन स्थिति जस की तस है। स्वयंसेवक ने सूची में नाम नहीं रहने से अपना पल्ला झाड़ लिया है। विवश होकर महिला ने अब दूसरे के मकान में भाड़े लेकर शरण लेने को बाध्य हो गई है।

पीड़िता ने कहा कि किस कारण उन्हें आवास के लिए राशि मुहैया नहीं कराया जा रहा है यह उन्हें नहीं मालूम। लेकिन उनके पति की मौत हो जाने के बाद उन्हें राहत स्वरूप आंबेडकर आवास देने का आश्वासन प्रखंड कार्यालय एवं पंचायत से मिला था। इधर इस संबंध में प्रखंड विकास पदाधिकारी साधु चरण देवगम ने बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी मिली है कि स्वयंसेवक ने उक्त महिला को आंबेडकर आवास स्वीकृत कराने की बात कही थी लेकिन किसी कारण से उक्त महिला का नाम छूट गया है। किस कारण नाम छूटा है इस बात की पुष्टि के लिए प्रखंड समन्वयक दिनेश कुमार गुप्ता को जांच के लिए दिया गया है। जांच के उपरांत महिला का कथन सही पाए जाने पर दोषी कर्मी पर कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल महिला का नाम लाभुक सूची में जोड़ दिया गया है। महिला को आवास योजना का लाभ निश्चित तौर पर मिलेगा।


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