दुमका में हाईकोर्ट बेंच के लिए पीएमओ से गुहार
दुमका : बीते 18 साल से उपराजधानी दुमका हाईकोर्ट बेंच की स्थापना का मसला महज राजनीतिक दावपेंच में फंस कर रह गया है। राजनीतिक पाíटयां दुमका में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना के मसले को हाट केक बनाकर राजनीतिक लाभ लेने की कवायद से ज्यादा कुछ भी नहीं कर पा रही हैं।
दुमका : बीते 18 साल से उपराजधानी दुमका हाईकोर्ट बेंच की स्थापना का मसला महज राजनीतिक दावपेंच में फंस कर रह गया है। राजनीतिक पाíटयां दुमका में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना के मसले को हाट केक बनाकर राजनीतिक लाभ लेने की कवायद से ज्यादा कुछ भी नहीं कर पा रही हैं। हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की मांग सत्ता व विपक्षी दल समान रुप से करते आ रहे हैं लेकिन इस मामले में वैधानिक तरीके से अब तक एक इंच बात भी आगे नहीं बढ़ पाई है। भूमि अधिग्रहण से लेकर मुआवजा की राशि मुहैया कराने व प्रारंभिक सर्वे के अलावा कुछ भी नहीं हो सका है। यह दीगर बात है कि दुमका में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना को लेकर समय-समय पर राजनीति गरमाती रही है।
बिहार-पुनर्गठन विधेयक में है खंडपीठ बनाने का प्रावधान
बिहार राज्य पुनर्गठन विधेयक 2000 की धारा 25 (3) में झारखंड उच्च न्यायालय का खंडपीठ स्थापित करने का प्रावधान किया गया है। भारत के राजपत्र में भी इस प्रस्ताव को शामिल किया जा चुका है लेकिन दुर्भाग्य से बीते 18 साल से यह मसला जस का तस है। राज्य गठन के बाद से ही दुमका में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना को लेकर सत्ता पक्ष लगातार घोषणा तो कर रहा है लेकिन बात इससे आगे बढ़े इसकी दूर तक कोई उम्मीद नहीं दिख रही है।
पीएमओ में पत्र भेजकर की मांग
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समाजिक कार्यकर्ता राजेश कुमार ¨सह ने दुमका में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना को लेकर प्रधानमंत्री शिकायत कोषांग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा है कि दुमका में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना नहीं होने की वजह से गरीबों को सुलभ न्याय से वंचित होना पड़ रहा है। संताल परगना से रांची तक जाने में आíथक तौर पर असमर्थ लोग न्याय के अधिकार से वंचित हो रहे हैं। उन्होंने कहा है कि चूंकि संताल परगना में गरीबी ज्यादा है और यहां की अधिकांश आबादी महंगी न्यायिक प्रक्रिया की वजह से न्याय पाने में विफल हो रहे हैं इसलिए केंद्र सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेकर दुमका में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की दिशा में समुचित पहल करना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए कहा है कि केंद्र सरकार अगर इस दिशा में पहल करती है तो संताल परगना की जनता को नैसर्गिक न्याय का लाभ मिल सकता है। इधर राजेश कुमार ¨सह के शिकायती पत्र पर पीएमओ ने संज्ञान लेते हुए न्याय विभाग के सचिव को समुचित पहल कर इसकी जानकारी आवेदक को मुहैया कराने का निर्देश दिया है।