दो दर्जन नदियों के उद्गम स्थल होंगे संरक्षित
दुमका उपराजधानी से निकलनेवाली दो दर्जन नदियों का अस्तित्व संकट में है। ये नदियां धीरे-धीरे नाले का रूप लेती जा रही हैं। नदियों का अस्तित्व बचाने के लिए वन विभाग ने इनके उदगम स्थल को संरक्षित करने की योजना तैयार की है।
दुमका : उपराजधानी से निकलनेवाली दो दर्जन नदियों का अस्तित्व संकट में है। ये नदियां धीरे-धीरे नाले का रूप लेती जा रही हैं। नदियों का अस्तित्व बचाने के लिए वन विभाग ने इनके उदगम स्थल को संरक्षित करने की योजना तैयार की है। नदियों के कटाव को रोकने के लिए सभी के उदगम स्थल के अलावा रास्तों में पौधरोपण किया जाएगा। अभी तक विभाग ने पौधरोपण योजना के तहत केवल मयूराक्षी और ब्राह्माणी नदी के किनारे करीब 19 किलोमीटर के क्षेत्र में 57 हजार पौधे लगाए गए हैं लेकिन अब बची हुई नदियों के किनारे भी पौधा लगाने की तैयारी चल रही है।
दरअसल दुमका से करीब दो दर्जन नदियां बहती हैं। सभी का उद्गम स्थल दुमका है। केवल मयूराक्षी ही एक ऐसी नदी है जिसका उद्गम स्थल देवघर का त्रिकूट पर्वत है। पहाड़ी नदियां होने के कारण इनमें पानी ठहर नहीं पाता है। बारिश कम होने के कारण नदियां सिकुड़ कर नाले का रूप लेती जा रही हैं। नाले के समाप्त होने के बाद इनका अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। वन विभाग इन नदियों के उद्गम स्थल को संरक्षित कर इन्हें फिर से अपने स्वरूप में लाने का प्रयास किया जा रहा है।
किस तरह बचेगा नदियों का अस्तित्व
नदियों के उद्गम स्थल से मिट्टी का कटाव रोकने के लिए पौधारोपण किया जाएगा। नदियों के रास्ते में जो भी खाली जमीन मिलेगी, वहां भी पौधे लगाए जाएंगे। सखुआ पेड़ कट जाने से भी नदियों का अस्तित्व खतरे में आ गया है। इसलिए वन विभाग इनके उदगम स्थल को संरक्षित कर मिट्टी का कटाव रोकने का प्रयास करेगा ताकि नदियां नाले का रूप नहीं ले सकें।
दुमका में दो दर्जन नदियां
उपराजधानी के लोगों को शायद यह पता हो कि उनके जिले में कुल कितनी नदिया हैं। बहुत कम ही लोग जिन्हें एक दर्जन से अधिक नदियों के नाम पता होंगे। वन विभाग ने काफी प्रयास करके नदियों का पता लगाया है। दुमका से निकलकर बहनेवाली सभी नदियों की लंबाई आठ से लेकर 40 किलोमीटर के बीच है।
दुमका से निकलनेवाले नदियों में
मोतीहारा, ब्राह्माणी, द्वारका, टेपरा, भुरकुंडा, शीला, ईरो, गुमरा, तिरघना, गुमरो, पंचकुटिया, धोबैय, भुरभुरी, पुसारो, चंदना, बमनी, दोना, हरहटटा, हरडीहा, गोरनिया, भुरको, भामरी व सकटी हैं।
वर्जन
दुमका से निकलनेवाली नदियों के उद्गम स्थल को संरक्षित करने के लिए योजना बनाई गई है। नूनबील नदी को इसमें शामिल नहीं किया गया है। उसे शामिल करने का प्रस्ताव सरकार को भेज दिया गया है। उद्गम स्थल के अलावा उनके रास्तों की खाली जमीन में भी पौधारोपण किया जाएगा। उदगम स्थल के संरक्षित होने से नदियों का अस्तित्व बना रहेगा और इनमें पानी का ठहराव भी होगा।
सौरभ चंद्रा, डीएफओ, दुमका