मरीज का भरोसा देख चिकित्सकों का आत्मविश्वास बढ़ा
जागरण संवाददाता दुमका सरकारी अस्पताल गंभीर मरीजों को रेफर करके अपना पल्ला झाड़ने की कोि
जागरण संवाददाता, दुमका : सरकारी अस्पताल गंभीर मरीजों को रेफर करके अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश करता है। लेकिन, कभी-कभी ऐसे मरीज भी मिलते हैं तो चिकित्सकों को इलाज करने पर मजबूर कर देते हैं। दुमका के फूलो झानो मुर्मू मेडिकल कालेज एवं अस्पताल में सोमवार को कुछ ऐसा ही हुआ। यहां काठीकुंड प्रखंड की गंद्रक गांव की एक पहाड़िया महिला सुमित्रा देवी को अस्पताल से रेफर कर दिया गया था, लेकिन वह अस्पताल से जाने को तैयार नहीं हुई। आखिरकार उस महिला के प्लेसेंटा प्रिविया का सफल आपरेशन चिकित्सकों को करना पड़ा।
बता दें कि आमतौर पर फूलो झानो मुर्मू मेडिकल कालेज एवं अस्पताल में इस तरह के गंभीर मरीजों को रेफर कर दिया जाता है। अस्पताल प्रबंधन ने इस पहाड़िया महिला को भी रेफर कर दिया था, लेकिन जब वह अस्पताल से नहीं गई तो चिकित्सकों ने उसके आपरेशन का बीड़ा उठाया। इसके लिए अस्पताल के अधीक्षक डा. रविद्र कुमार से इजाजत ली गई और उनकी सहमति के बाद महिला का सफल आपरेशन किया गया था। तीन बच्चों की मां है सुमित्रा देवी
पीड़ित महिला को पूर्व से तीन बच्चे हैं। चौथा बच्चा उसके गर्भ में पल रहा था, लेकिन खून की कमी और अधिक रक्तस्त्राव के कारण बच्चे की मृत्यु कोख में ही हो गई थी। इस अवस्था को मेडिकल साइंस में प्लेसेंटा प्रिविया कहा जाता है। जब महिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया तो उसकी नाजुक हालत देखकर उसे रेफर कर दिया गया था। महिला का हिमोग्लोबिन लेवल पांच मिली ग्राम था। जब महिला अस्पताल से नहीं गई तो महिला रोग विशेषज्ञ व विभागाध्यक्ष डा. सविता शुक्ला दास के नेतृत्व में डा. मिताली पराशर, निश्चेतक डा. नरूल होदा के अलावा सिस्टर मोरीनीला मुर्मू, मोलिसेंट मुर्मू, जसमीना सोरेन, सलोमी हेंब्रम, पंकजिनी सोरेन, भरत कुमार एवं सुशील राम की टीम ने तकरीबन एक घंटा 50 मिनट के आपरेशन में महिला को सुरक्षित बचा लिया। महिला के गर्भ में दो यूटेरस था, जिसे बाहर निकाला गया। आपरेशन के दौरान महिला को रक्त भी अस्पताल से ही मुहैया कराया गया। बहरहाल महिला की हालत स्थिर है।