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जमीनी हकीकत से ओडीएफ का सपना काफी दूर

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By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Sep 2018 04:42 PM (IST)Updated: Thu, 13 Sep 2018 04:42 PM (IST)
जमीनी हकीकत से ओडीएफ का सपना काफी दूर
जमीनी हकीकत से ओडीएफ का सपना काफी दूर

पत्ताबाड़ी : दो अक्टूबर को दुमका जिले को खुले में शौच मुक्त घोषित किए जाने का प्रयास केवल सपना बनकर ही नहीं रह जाए। हांलाकि इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर अभियान चलाकर खुले में शौच मुक्त बनाने की हरसंभव कोशिशें हो रही हैं लेकिन जमीनी हकीकत इससे इतर है।

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जिले के शिकारीपाड़ा प्रखंड के गंद्रकपुर पंचायत के गंद्रकपुर गांव में तकरीबन 260 घरों की आबादी है। यह गांव पांच टोलों में बंटा है। गांव की अधिसंख्य आबादी पिछड़ों की है।

गांव में 64 शौचालयों का निर्माण एसबीएम से हुआ है।

जिनमें से कई शौचालय इस हाल में हैं जिसे देख सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसका उपयोग होता ही नहीं है।

गांव में बनने हैं 179 पीएम आवास

गांव में वित्तीय वर्ष 2016-17 में 119 तथा वित्तीय वर्ष 2017-18 में 60 प्रधानमंत्री आवास योजना की स्वीकृति दी गई है जिसमें से कई घरों का काम प्लास्टर तक हो चुका है लेकिन उसमें दरवाजे व शौचालय का निर्माण नहीं किया गया है।

आधी-अधूरी योजनाओं को धरातल पर उतारकर छोड़ दिया गया है जिसका नतीजा यह है कि अधकचरी योजनाओं के चलते ग्रामीण लाभ से वंचित रह जाते हैं। दूसरी ओर लाभुक को विश्वास में लेकर काम कर रहे दूसरे व्यक्ति सरकार की राशि का दुरूपयोग कर रहे हैं।

गंद्रकपुर पंचायत में है 11 गांव

गंद्रकपुर गमरा सोनाहारा गोराडंगाल सीतासाल चुकापानी झुरको पलमा लडुवाकेंद्र बेहराकुंडी दरबारपुर शामिल है। पंचायत की आबादी तकरीबन 6500 है।

क्या कहते हैं ग्रामीण

दिव्यांग राजेश मिर्धा कहते हैं कि दो वर्ष पहले उन्हें पीएम आवास मिला है। भवन निर्माण कार्य की देखरेख गांव का एक व्यक्ति कर रहा है। घर प्लास्टर करके छोड़ दिया है। दरवाजा व रंगरोगन नहीं कराया है। साथ ही शौचालय का निर्माण भी नहीं हुआ है। डोली देवी कहती हैं कि साल भर पहले एसबीएम से शौचालय का निर्माण हुआ है लेकिन पैसा नहीं होने के चलते दरवाजा नहीं लगा सका है।

माल पहाड़िया समुदाय की मीना देवी कहती हैं कि मुखिया ने छह महीना पहले गड्ढा खोदने को कहा था। गड्ढा भी खोदा गया लेकिन शौचालय नहीं बना। माल पहाड़िया समुदाय के श्यामा देवी ने कहा कि सरकार हमें शौचालय कहां दे रही है केवल शौचालय बनाने को ढोल पीटा जा रहा है। संपन्न लोगों का ही शौचालय बनाया जा रहा है।

रामपद मिर्धा बताते हैं कि मिर्धा टोला में 30 घर दलित समुदाय के हैं लेकिन शौचालय किसी के घर में नहीं है। आशा मिर्धा कहती हैं कि हमें खुले में शौच जाने में शíमंदगी महसूस होती हैं। सरकार हमे शौचालय दें।


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