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अब नहीं सूखता झिलुआ गांव का तालाब

मदन मोहन नंदी मसलिया आज से तीन साल पहले प्रखंड के झिलुवा गांव के लोग बारिश पर निर्भर र

By JagranEdited By: Published: Fri, 16 Apr 2021 05:04 PM (IST)Updated: Fri, 16 Apr 2021 05:04 PM (IST)
अब नहीं सूखता झिलुआ गांव का तालाब
अब नहीं सूखता झिलुआ गांव का तालाब

मदन मोहन नंदी, मसलिया : आज से तीन साल पहले प्रखंड के झिलुवा गांव के लोग बारिश पर निर्भर रहा करते थे। तालाब में जितना बारिश का पानी एकत्र होता था, उसी से खेतों की सिचाई होती थी। गर्मी में तालाब के सूखने पर लोग भगवान को याद किया करते थे। लेकिन दो साल से लोगों को पानी के लिए किसी को याद नहीं करना पड़ता है। बारिश का पानी इतना भर जाता है कि तालाब के पानी से सालों भर पटवन हो जाता है।

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दरअसल 70 वर्ष पुराने 10 बीघा में फैले तालाब के पानी पर लोग आश्रित रहते थे। नहाने से लेकर खेती के लिए तालाब का पानी उपयोग में लाया जाता था। इसके पानी से करीब 20 किसान 50 बीघा जमीन में पटवन करते थे। गेंहू के अलावा अन्य फसल से अच्छी कमाई होती थी। मछली पालन होता था। लेकिन बारिश के बाद तालाब में पानी कम हो जाया करता था। जिससे किसानों को पटवन में परेशानी होती थी। वर्ष 2018-19 में झालको ने 32 लाख से तालाब का जीर्णोद्धार कराया। इसमें ग्रामीणों ने भी श्रमदान किया। इस तरह से चारों ओर खुदाई की गई कि पहले बेकार जाना वाला पानी इसमें गिरने लगा। गर्मी में भरा रहने की वजह से किसानों की सिचाई की समस्या समाप्त हो गई। अब किसान हर तरह की फसल तैयार करते हैं। हर समय पानी रहने की वजह से आसपास के खेतों में नमी रहती है और कुंआ, चापाकल एवं डोभा में पानी का स्तर नीचे नहीं जाता है। मछली पालन से दोगुनी कमाई होने लगी है।

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गर्मी में जब दूसरे तालाब सूख जाते हैं तो इसमें पानी भरा रहता है। लोगों कई तरह की सुविधा का लाभ लेते हैं, वहीं पटवन की समस्या दूर हो गई। अब सिचाई के लिए हाथ पैर नहीं जोड़ना पड़ता है।

विप्लव कुमार कर, किसान

फोटो-10

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बारिश के जल का संग्रह होने से महिला व मवेशियों की सारी समस्या का समाधान हो गया। अब पानी के लिए भटकना नहीं पड़ता है। जो पानी पहले बेकार जाता था, अब वह संग्रह होता है। खेती से आमदनी करते बढ़ी है।

पांजल बास्की, किसान

फोटो-11


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